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Sunday, April 29, 2012

दवा कोई भी जखम भर नहीं पाई

दवा कोई भी मेरे जखम भर नहीं पाई ,
बिगड़े हालात तो हालत सुधर नहीं पाई,
मुश्किलों ने दरवाजे पर ताला लगा दिया,
रौशनी कमरों में फिर कभी भर नहीं पाई,
मैं हर दिन तिनका -तिनका मरा हूँ,
यादें तेरी लेकिन मुझमे मर नहीं पाई,
घंटों बैठा रहता हूँ समंदर किनारे,
जो डुबा दे मुझे वो लहर नहीं आई....

सजावट बढ गयी घर की मेरे जालों से

यादें तेरी जो मिटाई नहीं हैं सालों से,
सजावट बढ गयी घर की मेरे जालों से,
सोंचता हूँ फुर्सत में कोई काम करूँगा,
मगर छुटकारा मिलता नहीं खयालों से,
दिए में तेल नहीं और बत्ती भी गुल है,
घर का कोना कोना तरसा है उजालों से,
दर्द-वो-गम ये जखम और सितम क्यूँ,
जवाब आया नहीं लौट कर सवालों से,
रिहाई कैसे मिलती इस कैद से मुझको,
गुम गयी चाबी यारों, खुद तालों से,
अचानक छू गया एहसास तेरे आने का,
पलटते ही मिले छूटी खुशबू तेरे बालों से.........

Saturday, April 28, 2012

आँखों का दिया बुझा मुझमे रात रख गई

निगाहों को नम करके जज़्बात रख गई,
छुपते-छुपाते दिल में सारी बात रख गई,
इस डर से कहीं सारे भेद खुल ना जाएँ,
आँखों का दिया बुझा मुझमे रात रख गई,
पहले जखम दिया बाद मरहम भी लगाया,
फिर जानबूझ कर जख्मो पर हाँथ रख गई,
कि साथ रह रही थी जिस छत के नीचे उसपर ,
बादलों से चुरा कर बरसात रख गई.....

जगह दिल के पास की जो मैंने खरोंच ली

जगह दिल के पास की जो मैंने खरोंच ली,
दिल ने जहन में तेरी तस्वीर सोंच ली,
खाली पड़ा दिल आज तुझसे भर लिया,
प्यासी थी निगाहें वो भी है सींच ली,
एहसास तेरा मेरी साँसों ने जब किया,
दिलकश तेरी अदा तन में दबोच ली,
 
यूँ दूरी मुझको तेरी ऐसे सता रही है,
जिस्म पर से चमड़ी यादों ने नोंच ली...

Thursday, April 26, 2012

खुदा रहम नहीं करता

खुदा रहम नहीं करता, मुझे ख़तम नहीं करता,
मुझको गम देने वाला, खुद गम नहीं करता,
मेरी मासूम नज़रों को घेर बदली ने रखा है,
धार अश्कों की, ज़रा भी कम नहीं करता,
बिखर के चूर हो गया, मैं सबसे दूर हो गया,
कोई मेरे दिल से अब संगम नहीं करता,
किसी के छलनी जिस्म पर कितने ही तीर मारो,
लफ्ज़ के खंज़र से ज्यादा कुछ जखम नहीं करता,
फूलों ने छू, मुझे पत्थर बना दिया, 
जलता सूरज भी जिस्म मेरा नरम नहीं करता.

यहीं कहीं खोया है दिल का खज़ाना

किसी को मिले तो मुझको बताना,
यहीं कहीं खोया है दिल का खज़ाना,
फूलों के पौधों पे काँटों का कब्ज़ा,
मुश्किलों की डगर में मेरा ठिकाना,
समंदर उठा कर, हूँ आँखों में लाया, 

अब मुझको है पलकों से नदियाँ बहाना,
कभी फुरसतों के
जो मिले दो पल तो,
सजाऊँ मैं फिर से उजड़ा फ़साना,
मुझको मिली है उलझन अजब सी,
किया पेश किसने ये मुझे नजराना....

बवाल हो गया

कह दी सच्चाई तो बवाल हो गया,
खड़ा पलभर में लाखों सवाल हो गया,
ईमानदारी पर लगाया लांछन बेईमानी नें,
लगता है अच्छाई का इन्तेकाल हो गया,
इस कदर हावी हो गयी है महंगाई,
अब तो सांस लेने में बुराहाल हो गया,
रास्ता रोकें खड़ी हैं मुश्किलें,
गरीब गरीबे से अमीर अमीरी से मालामाल हो गया,
लुटेरे आयें है देश लुटने के लिए,
चोर अपने
ही देश का लाल हो गया....

Wednesday, April 25, 2012

मेरी माँ के कर दवा हो गए

दुखों के इरादे हवा हो गए,
मेरी माँ के कर दवा हो गए,
नहीं दर्द का, ना ही घावों से डर था,
अब आँचल की छावों में मेरा घर था,
खुशियों के पल बढ सवा हो गए,
मेरी माँ के कर दवा हो गए,
कभी न चुभा मुझको जख्मों का बिस्तर,
जो माँ हाँथ फेरे तो रह जाते पिसकर,
गम के बदल जलकर लवा हो गए, 

 मेरी माँ के कर दवा हो गए.....

Monday, April 23, 2012

एहसास

बंधे पैरों से ऐसे धागे थे,
पहुंचे वहीँ जहाँ से भागे थे,
टेढ़ा - मेढ़ा, वो भूल भुलैया रस्ता था,
जीवन लगता है मेरा बहुत सस्ता था,
बंद आँखों के तले हम जागे थे,
बूढ़े घुटनों में रोज़ दर्द बढने लगा,
बैठकर खाट से जब भी उठने लगा,
एहसास बिमारिओं के जगने लागे थे,
नींद भी आँखों से आँख-मिचोली खेलें,
यादें बचपन की पास आके होली
खेलें,
आज लगता है कि कितने अभागे थे ,
जर्ज़र दीवारें हो गयी हैं हृदय की,
साँसे आभार कर रही हैं समय की,
दरिया मौत के बह रहे आगे थे...

Sunday, April 22, 2012

बीच सीने के खंजर उतार डाला

बीच सीने के खंजर उतार डाला,
दोस्ती ने एक दोस्त मार डाला,
धब्बे खून के पोंछते - पोंछते, 
बिखरा मेरा घर संवार डाला,
तन्हा दिवार पर लटकी तस्वीर पर,
हंसके
चढ़ा फूलों का हार डाला,
आखिर में बस एक बात यही बोली,
"अरुन" आज चुका तेरा उधार डाला..

Friday, April 20, 2012

बूढी जिंदगी में मुझे बच्चा रहने दो

बूढी जिंदगी में मुझे बच्चा रहने दो,
झूठी बंदगी में मुझे सच्चा
रहने दो,
लालच बढ़ता जाए बढती हुई उमर संग.
ऐसी उमर से मुझे कच्चा रहने दो,
जो सारे हैं गलत आज की महफ़िल में,
तो कम से कम मुझे तो अच्छा रहने दो,

फूलों के जख्म से सीना हुआ है छलनी

फूलों के जख्म से सीना हुआ है छलनी,
ऐसे में धार अब काँटों की नहीं चलनी,
चाहत का जहाँ मुक्कमल नहीं था होना,
लगता है जिंदगी साँसों से नहीं पलनी,
उल्फत में तोडके रिश्तों के सारे बंधन,
ये अधूरी दास्ताँ अब मुझको नहीं खलनी,
मुट्ठी में बांधकर कौन रेत रख सका,
कसते ही हांथो को ये रेत है फिसलनी,  
बेकार जीने की उम्मीद दिल में रखना,
तूफानी इस हवा में कश्ती नहीं संभलनी,
इंसानों की फितरत मौत से है मिलती-जुलती, 
जिस्म से जान भी है धोके से निकलनी.

नहीं पास कुछ शिवा दिल के फ़कीर हूँ

आँखों में आंशू और छलकने पे नीर हूँ,
नहीं पास कुछ शिवा दिल के फ़कीर हूँ,
हालत है खस्ता,हूँ तिनके से भी सस्ता,
मैं अपने ही हांथो की मिटी-२ लकीर हूँ,
गम की सांस लेता हूँ जखम के साथ लेता हूँ,
दुखों की है नहीं कमी, दर्द से अमीर हूँ,
नफरत की तस्वीर बना नज़रों के लिए,
मैं मेरे ही फ़साने की लुटी हुई जगीर हूँ.

चोरी हुआ यूँ दिल तन की दुकान से

चोरी हुआ यूँ दिल तन की दुकान से,
मुझको बुरा बनाया,  मेरी जुबान से,
 
शोर भी मचाया मांगी थी मदद भी ,
मगर कोई नहीं निकला अपने मकान से,
 
खायी है मैंने ठोकर हर रोज़ रौशनी में,
चलना सिखा दिया अंधेरों ने ध्यान से,
मैंने खिलाफ पाया मेरे ही मेरे दिल को,
तबियत बिगड़ गयी दिल के बयान से,
पलकें सोंच से मेरी जो ज़रा झपकी,
इतने में भर गया कोई मुझे निशान से,

Thursday, April 19, 2012

पत्थर बना दिया

छू के फूलों ने मुझे पत्थर बना दिया,
जिंदगी को मौत से बत्तर बना दिया,
खाके ठोकर जो गिरा, तो कलियों ने,
जख्मों का तन पे बिस्तर बना दिया,
दबाकर जालिम ने मुझे दर्द के नीचे,
गम के कपड़ों का अस्तर बना दिया,
शुरू में पूंछा था की प्यार में क्या मिलता है,
मुझे ही मेरे सवालों का उत्तर बना दिया,

काबिलियत नहीं मिलती

तमाम कोशिशों के बाद भी काबिलियत नहीं मिलती,
मुश्किलें मिलती हैं बहुत सहूलियत नहीं मिलती, 
जिंदगी की राहों में जिद्दो - जहत बहुत हैं,
कभी खुद से खुद की तबीयत नहीं मिलती,
नींद आती नहीं बुरे ख्वाबों के डर से,
कि इन ख्वाबों से मेरी नियत नहीं मिलती,
ऐसा बदला है तेरी मोहोब्बत ने मुझे,
मेरी तस्वीर से मेरी
असलियत नहीं मिलती,
दिल से कहता हूँ तुझे निकाल दे मुझसे,
मगर पागल दिल पर मुमानियत नहीं मिलती.

निहायत बत्तमीज़ हो

कभी शरीफ तो कभी निहायत बत्तमीज़ हो,
पागल मेरे दिल को फिर भी तुम अज़ीज़ हो,
आँखों में तेरी सूरत चाँद से भी खुबसूरत,
तुम्हे होंठों पर रखूं तो बेहद लज़ीज़ हो,
ओढ़ी है मैंने मन पर तेरे तन की चादर, 

मेरे दिल ने जो पहनी तुम वो कमीज़ हो,
जान से भी ज्यादा हिफाज़त तेरी करूँ,
साँसों से बढकर,तुम कीमत की चीज़ हो..

Wednesday, April 18, 2012

कंगाल मेरा दिल, मैं बेजबान हो गया

कंगाल मेरा दिल, मैं बेजबान हो गया,
तेरी नज़र की बान पे कुरबान हो गया,
कितनी हरी-भरी थी मेरी जिंदगी,
तेरा रंग चढ़ा, तो पासबान हो गया,
मैंने बक्शा था सिर्फ दिलपे हक तेरा,
जाने कब साँसों का निगहबान हो गया,
मैंने ही कहा था मुझसे अपने दर्द दे दो,
जख्म मेरी इस अदा पे मेहरबान हो गया,

(
पासबान = संतरी, निगहबान = अभिभावक)

जिंदगी को प्यार से हीन कर लिया.

काम एक आज मैंने बेहतरीन कर लिया,
तेरी दिल्लगी पे फिरसे यकीन कर लिया,
कि खाके धोके पे धोके बार-बार,
मोहोब्बत को और भी हसीन कर लिया,
दर्द लेने आया इम्तेहान जब भी ,
मैंने जख्मो को ज़रा नमकीन कर लिया,
फ़ैल जाए न दिल कि आवाज़ हर तरफ,
अपनी धडकनों को बहुत महीन कर लिया,
लुटा के तुझपे दिल कि दुनिया,
जिंदगी को प्यार से हीन कर लिया.

Monday, April 16, 2012

दर्दे-दिल को उमरभर पालती जिंदगी

ख़ुशी के मौके दूर से टालती जिंदगी,
दर्दे-दिल को उमरभर पालती जिंदगी,
धकेल कर खुद को जलती आग में,
बड़े शौक से खुद को उबालती जिंदगी,
कि झोंके ने आशियाना उजाड़ डाला,
बिखरे तिनकों को संभालती जिंदगी,
बैठ कर फुर्सत में एक दिन यूँ ही,
भार जख्मों का तौलती जिंदगी,
फैला रेत का कारवां मिलो तलक,
भार के मुट्ठी रेत फिसालती जिंदगी,
इंतज़ार करते-२ नयी सुबह कि,
रात आँखों में ढालती जिंदगी,
रूठे-2 से क्यूँ लोग मुझसे रहते हैं,
वजह इस बात की खंगालती जिंदगी.