आइये आपका स्वागत है

Friday, November 30, 2012

जखम - छुपाना पड़ेगा

लबों पर हंसी को, बिछाना पड़ेगा,
निगाहों का पानी, सुखाना पड़ेगा,

नमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है,
जखम अपने दिल का, छुपाना पड़ेगा,

भरोसे के बदले, करे शक हमेशा,
मुहब्बत का लहजा, सिखाना पड़ेगा,

उदासी का आलम,हुआ साथ मेरे,
तबाही का बोझा, उठाना पड़ेगा,

वफ़ा करते-करते, लुटा चैन मेरा,
जुदाई में जिन्दा, जलाना पड़ेगा, 

नहीं इतनी अच्छी, सनम दिल्लगी है,
दगा का तुम्हें ऋण, चुकाना पड़ेगा।

Wednesday, November 28, 2012

इन दिनों - भाग चार

बिखरा है टूटा सारा, सामान इन दिनों,
आया है मेरे घर फिर, तूफ़ान इन दिनों,

लुट कर पहले खुद फिर,सबकुछ लुटा गया, 
चाहा है मेरे दिल ने, नुकसान इन दिनों,

जालिम वो जाजिब, है अपनी ओर खींचता,
लगता है बदला वो, बेईमान इन दिनों,

उरियां है सारा जीवन, बेजान सा लगे,
रूठा है मेरा मुझसे, भगवान इन दिनों,

दूरी की डोर नादिर है, गांठ दरमियाँ,
लगती हैं दिल राहें, सुनसान इन दिनों,

नैना हैं तेरे चाकू, दें घाव जब चले,  
लगता है लेकर छोड़ेंगे, जान इन दिनों,

बाजीचा हूँ, तेरी हांथों का नचा मुझे,
जिन्दा हूँ, मैं हूँ फिरभी,बेजान इन दिनों,


जाजिब-आकर्षक , उरियां-शून्य, नादिर-दुर्लभ,
बाजीचा-खिलौना 

Monday, November 26, 2012

घातक इश्क का विष

दिल की आदत को, बदला जाएगा,
ये दिल जब अपना, पगला जाएगा,

देखेंगे कितना, दम है इश्क में,
अब साँसों तक, ये मसला जाएगा,

करके कब्ज़ा सब, बैठे चोर हैं,
पकड़ो इनको तो, घपला जाएगा,

दे दे गम अपनी, यादों का अगर,
ये गम ही मुझको, बहला जाएगा,

बरसी है मेरी, आँखों में नमी,
कैसे चाहत का, नजला जाएगा,

घातक है चाहत का, विष जो चढ़ा,
मुस्किल से फिर दिन, अगला जाएगा।

Saturday, November 24, 2012

दिल था कच्चा - चटक गया

दिल था कच्चा, चटक गया,
मैं इस पथ में, भटक गया,

बंजर भी हूँ, विरान भी,
हरियाली को, खटक गया,

खंजर-चाकू,चली छुरी,
तेरी सुध में, अटक गया,

जर्जर दिल की, दिवार है,
नैना पानी, पटक गया,  

वश में धड़कन, नहीं रही,
दिल तो साँसे, गटक गया,

खुशियों में हाँथ, थाम के,
गम में आकर, झटक गया,

रूठा जब रब "अरुन" का,
कर से जीवन, छटक गया।।

Friday, November 23, 2012

इन दिनों - भाग तीन

तेरी बहुत आती है, याद इन दिनों,
दिल ने किया मुझको, बर्बाद इन दिनों,

गम ने निशाना, घर की ओर कर लिया,
कैदी बना है दिल, आज़ाद इन दिनों,

पागल मुझे तेरी, करती रही अदा,
कातिल तेरी अदा को, दाद इन दिनों,

डाली डकैती दिल की, जायदाद पर,
बढ़ता रहा हर दिन, बेदाद इन दिनों,

नक्बत इश्क में, आया "अरुन" के,
सुनता नहीं रब भी, फ़रियाद इन दिनों,

बेदाद - अत्याचार, 
नक्बत - दुर्भाग्य

Wednesday, November 21, 2012

जला है दिल "अरुन" का

नज़र में रात पार हो तो हो रहे, तो हो रहे,
नसीबा चूर यार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

बजी है धुन गिटार की, लगा है मन को रोग फिर,
जो टूटा प्रेम तार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

सबेरे-शाम-रात-दिन है, याद तेरी साथ बस
यही अगर जो प्‍यार  हो तो हो रहे, तो हो रहे,

नहीं हुआ है दर्द कम, दवा भी ली दुआ भी की,
ये ज़ख्‍़म बार-बार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

जला है दिल "अरुन" का, कुछ इस तरह से दोस्तों,
जलन ये जोरदार हो तो हो रहे, तो हो रहे.....
 
ये ग़ज़ल मैंने पंकज सुबीर सर के ब्लॉग के लिए लिखी थी, कुछ त्रुटियाँ थीं परन्तु पंकज सर नें त्रुटियों को संशोधित कर दिया है।
 
 

Sunday, November 18, 2012

कुछ - शे'र

होगा कैसा आगाज, देखा जाएगा,
कर लूं खुद को बर्बाद, देखा जाएगा,
जीना है मरना है, इश्क में हर घडी,
बाकी सब तेरे, बाद देखा जाएगा....

अश्कों पे कैसे, लगायेंगें ताले,
यादें तुम्हारी, जखम दिल में डाले,
बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।

दिन दूभर, लगी रात भारी।
ऐसी है, इश्क की बिमारी।।

शबनमी बूंदें, यूँ पलकों पे जमी होती है।
हम बहुत रोते हैं जब तेरी कमी होती है।।

इश्क नासूर, बेइलाज है।
जख्म नें बदला,मिजाज है।।
कभी आँखों से, बहे अश्क।
कभी दिल से दिल, नराज है।।  

Friday, November 16, 2012

इन दिनों - भाग दो

छलक जाता है आँखों से, सावन इन दिनों,
नसीबा टूटा है भारी है, मन इन दिनों,

सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,

क्यूँ है दिल में हलचल, ये भी मालुम नहीं,
नहीं माने मेरा कहना, धड़कन इन दिनों,

बसी है आखों में, तेरी सूरत जादुई,
लुटा चाहत में है दिल का, उपवन इन दिनों,

हुआ है दिल जबसे जख्मी, जागा है दर्द,
सभी से हो बैठी, मेरी अनबन इन दिनों,

बुझी है जीवन की लौ रह-2 के हर घडी,
जला है सांसों का, सारा ईंधन इन दिनों।

Sunday, November 11, 2012

चलो साथ मिलके दिवाली मनायें

चलो साथ मिलके, अँधेरा भगायें,
दिये रोशनी के, हम दिल से जलायें,

मिटा दें दिलों से, अमलन नफरतों को,
मुहब्बत नगर स्वच्छ, सुन्दर बसायें,

पिता-मात हैं, पावन मूरत खुदा की,
करें रोज़ पूजा, नतमस्तक झुकायें,

बहे प्रेम की दिल में, गंगा हमेशा,
गिरां जोड़, रिश्तों के भीतर लगायें,

पटाखे - मिठाई, हो सबको बधाई,
दिवाली पर्व आओ,मिलजुल मनायें।।

अमलन - सचमुच
गिरां - महत्वपूर्ण 

दीप पर्व एवं धनतेरस की सभी को हार्दिक शुभकामनायें

Saturday, November 10, 2012

इन दिनों - भाग एक

मुहब्बत का सूरज, ढला इन दिनों,
उजाला भी घर से, चला इन दिनों,

बिना तेरे जीना, सजा है लगे,
मुझे तेरा जाना, खला इन दिनों,

निगाहों से आंसू, बहे हर घडी,
जला दिल से ये, दिलजला इन दिनों,

तबाही का मंजर, बढ़ा दिन-ब -दिन,
उठा साँसों में, जलजला इन दिनों,

ख़ुशी तेरी यूँ ही, सलामत रहे,
दिया बन मैं तिल-2, जला इन दिनों,

वफ़ा करते-करते, जफा कर गये,
दुआ है तेरा हो, भला इन दिनों,

दर्द - बेचैनी - बेबसी रात दिन,
रहा खुशियों से, फासला इन दिनों। 

Thursday, November 8, 2012

कश्तियों का कातिल

जख्म मनमानी कर, खफा हो जाता है,
अश्क आँखों को, खामखा धो जाता है,

दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,

कश्तियों का कातिल, बवंडर सागर का,
लोभ में मांझी का, खुदा खो जाता है,

याद तेरी लाये, हवा का हर झोंका,
माफ़ करना ये दिल, अगर रो जाता है,

छोड़ जाता है साथ, जब कोई तन्हा,
लौट के आया कब चला, जो जाता है,

टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
मौत की बाँहों में, वही सो जाता है,

जाबित - मालिक, स्वामी 

Wednesday, November 7, 2012

मुझे इश्क की बिमारी लगी

दिन दूभर और रात भारी लगी,
जाने कैसी मुझे, बिमारी लगी, 

आँखों का हाल, दिल समझता नहीं,
साँसों में आग, रोज जारी लगी,

पागल हैं धडकनें, इश्क में इस कदर,
अब अच्छी और, बेकरारी लगी,

मीलों तक दूरियां, दिलों में रही,
 देती तकलीफ, याद खारी लगी,

बिखरी आबाद जिंदगी, इस तरह,
अत्र फूलों की लुटी, क्यारी लगी,

अत्र - सुगन्धित

Saturday, November 3, 2012

उसकी दुश्मनी, उसकी रिश्तेदारी,

कैसी आई समस्या, पाली कैसी बीमारी,
उसकी मुझसे दुश्मनी, उसकी दिल से रिश्तेदारी,

भीगी-भीगी दास्ताँ, कहती आँखें हैं जागी-जागी,
जिन्दा आफत धडकनों में, साँसों में मारामारी,

जर्जर मेरी काफिया, आवारा पागल मैं कातिब,
पेंचीदा मेरी ग़ज़ल है, आदत मेरी सरकारी,

दुर्भाग्य पूर्ण दर्द है, फंसी जिसमे है नारी,
मारी गुड़िया पेट में, तो कैसे गूंजे किलकारी,

अनजाने गम की खलिश, मुझमे सदियों से है कायम,
गमदीदा मेरी मुहब्बत, तेरी फितरत से हारी.


कातिब - लेखक

Friday, November 2, 2012

तुम्हे पाने की जिद

तुम्हे पाने की दिल में, उठी जो जिद नहीं होती,
दुनिया मेरी इस तरहा, लुटी हरगिज नहीं होती,

भीगी-भीगी आँखें हैं, सुबह से शाम तक यारों,
तेरी चाहत जो होती न, ये बारिश नहीं होती,

तेरी यादों का हर पल, मुझे बेचैन करता है,
मैं पागल कैसे होता, अगर साजिश नहीं होती,

हर पल अँधेरे से यूँ, दिलों के हैं भरे कमरें,
दिल के दर पे कोई, डोर जो बंदिश नहीं होती,

नादिर तेरी चाहत कैद है, दिन रात साँसों में,
ये दिल पत्थर यूँ होता न, जो रंजिश नहीं होती।।

नादिर - अनमोल

Wednesday, October 31, 2012

माँ के चरणों में

माँ के चरणों में भेजा है,
मैंने एक संदेश,

या तो मेरे घर आओ,
या मुझको दो आदेश,

मन का दरवाजा खोला,
माँ कर लो ना प्रवेश,

सेवा करने की खातिर,
मैं खिदमत में हूँ पेश,

न्योछावर जीवन करना,
अब मेरा है उद्देश्य,

चलना सच्ची राहों पे,
माँ देती हैं उपदेश।।।।

Saturday, October 27, 2012

कैसे मिलते राम

मारा-मारा फिरता है,
प्राणी चारों धाम,

मन के भीतर खोजा ना,
कैसे मिलते राम,

जीवन कैसा जीता है,
प्राणी हो गुमनाम,

एक दूजे के हिस्से हैं,
श्री राधे-घनश्याम,

किस्मत अपनी रूठे तो,
बनता बिगड़े काम,

होनी-अनहोनी सब,
भगवन तेरे नाम,

श्री राधा के चरणों में,
नतमस्तक प्रणाम।।

Friday, October 26, 2012

नेताओं का काम

झेले कैसे-कैसे है,
घोटाले आवाम,

सोंची समझी साजिश है,
नेताओं का काम,

कुछ दिन की भागा-दौड़ी,
सालों तक आराम,

सीधी-सादी जनता है,
समझे ना पैगाम,

धोखा-जिल्लत-मक्कारी,
बेंचे हैं बेदाम,

घूमे पहने खाकी,कर 
लाखों कत्लेआम ।।

Wednesday, October 24, 2012

बाप के कन्धों पे - हो बेटे का जनाजा

भार इस दुनिया में, 
किसका इतना जियादा,


बाप के कन्धों पे,
हो बेटे का जनाजा,


मौत से बद्तर,
है जीने का इरादा,

बदनसीबी कैसी,
है किस्मत ने नवाजा,

दुःख का है साया,
है जख्मों का तकाजा .....

Monday, October 22, 2012

वहीँ यादें तुम्हारी

वहीँ यादें तुम्हारी,
वहीँ आँखें मेरी नम,
वहीँ बातें तुम्हारी,
वहीँ पलछिन हैं हरदम,

न मुझमे आह है बाकी,
न मुझमे चाह है बाकी,
न पाई जख्म से राहत,
न कोई राह है बाकी,

वहीँ खुशियाँ तुम्हारी,
वहीँ जिन्दा मेरे गम,
वहीँ नींदें तुम्हारी,
वहीँ जागे-२ हम,

न मुझमे रंग हैं बाकी,
न साथी-संग हैं बाकी,
मिला है दर्द चाहत में,
दिलों में जंग हैं बाकी........

Sunday, October 21, 2012

जलता है आफ़ताब

शीतल है बहुत आब,
जलता है आफ़ताब,

बरसाए जब इताब,
भू का बढ़ जाए ताब,
 
चाहत का बद गिर्दाब,
बिखरेंगे टूट ख्वाब,
 
काँटा है यूँ ख़राब,
नाजुक फंसा गुलाब,
 
मन में अल का जवाब,
ढ़ूढ़ो पाओ ख़िताब.


(शब्दों के अर्थ)

आब = पानी
आफ़ताब = सूर्य
इताब = क्रोध
ताब = ताप
बद = बुरा
गिर्दाब = भंवर
अल = कला 

Friday, October 19, 2012

इश्क की मांग में

दिलों के खेल में,
धोखा भरपूर भरा है,
 

इश्क की मांग में,
गम का सिंदूर भरा है,
 

दर्द में टूटता,
आशिक मजबूर भरा है,
 

वफ़ा की राह में,
काँटों का चूर भरा है,
 

लुटी हैं कश्तियाँ,
सागर मगरूर भरा है,
 

जुबां पे प्यार की,
जख्मी दस्तूर भरा है,
 

गुलों के बाग़ में,
भौंरा मशहूर भरा है,
 

उम्र की दौड़ में,
दिक्कत नासूर भरा है......

Wednesday, October 17, 2012

धोखा मुझको हज़ार बक्शा

दिल का जिसको दारोमदार बख्शा,
दिल को उसने मेरे
मज़ार बख्शा,
 
दिल से ऐसे है दुश्मनी निभाई,
जख्मी गम का मुझको करार
बख्शा,
 
अपनी जिसको की जिंदगी हवाले,
काँटों को मेरा सब उधार
बख्शा,
 
साँसों का जिसको था खुदा बनाया,
धोखा उसने मुझको हज़ार
बख्शा....

Sunday, October 14, 2012

बयां होती नहीं हालत

दिलों के खेल में अक्सर,
लगे है जान की लागत,
 
दर्द में रो रहा है दिल,
पड़ी है रोज की आदत,
 
कहीं है दूर कोई तो,
कहीं फिर आज है स्वागत,
 
लुटा है चैन जब से दिल,
लगे हर रात को जागत,
 
खड़ा हो चल नहीं सकता,
बचे इतनी नहीं ताकत,
 
जले जब याद दिल में वो,
बयां होती नहीं हालत....

Friday, October 12, 2012

मेरा दिल है सनकी

मेरा दिल है पागल,
मेरा दिल है सनकी,

करता है हरदम ही,
ये दिल अपने मन की,
 
खतरा है दिल जैसे,
दोस्ती है दुश्मन की,
 
सूरत है तुझ जैसी,
इस दिल में दुल्हन की,
 
मेरा ये पागलपन,
चाहत है धड़कन की,
 
मज़बूरी में जीना,
आदत है जीवन की,
 
किस्मत टूटी जैसे,
टूटे हर बरतन की,
 
यादों में है अब भी,
माँ मेरे बचपन की,
 
साँसों की बेबसी,
खातिर है यौवन की,
 
रिमझिम सी बौछारें,
गिरती हैं सावन की,
 
नम-२ सी हैं पलकें,
बारिश में नयनन की.

Wednesday, October 10, 2012

सबके कंधे झुक जाते हैं

ये लौ बुझनी है साँसों की,
जल-2 कर तन के चूल्हों में,

सोने-चाँदी का क्या करना,
इक दिन मिलना है धूलों में,

काँटों से डर कर  क्यूँ जीना,
जी भर सोना है फूलों में, 

सबके कंधे झुक जाते हैं,
जब कर बढ़ता है मूलों में, 

हर पल जीता है मरता है,
झूले जो दिल के झूलों में, 
 

Monday, October 8, 2012

मुझे चाहत का भारी खजाना पड़ा

मरा गुमसुम मेरा दिल दिवाना पड़ा,
मुझे चाहत का भारी खजाना पड़ा,
 

"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"
 
मुझे जल-2 के खुद को बुझाना पड़ा,
मुझे खुद को ही दुश्मन बनाना पड़ा,
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

मुझे जख्मों से रिश्ता निभाना पड़ा,
मुझे खुद को ही पागल बताना पड़ा,
 
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

मुझे नींदों से खुद को उठाना पड़ा,
मुझे ख्वाबों को जिन्दा जलाना पड़ा,
 
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

मुझे अंखियों से सागर बहाना पड़ा,
मुझे खुशियों से दामन छुडाना पड़ा,
 
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

मुझे धड़कन पे ताला लगाना पड़ा,
मुझे साँसों को मरना सिखाना पड़ा,
 
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

Saturday, October 6, 2012

जलता है मसाल-दिल पर

छाया है अकाल -दिल पर,
पाला है बवाल - दिल पर,
 
बैठा है मलाल - दिल पर,
लाखों हैं सवाल -दिल पर,
 
यादें हैं हलाल -- दिल पर,
तेरा है खयाल -- दिल पर,

देखा है कमाल --दिल पर,
जलता है मसाल-दिल पर,

जख्मों की मजाल-दिल पर,
करता है धमाल --दिल पर, 

मारे है कुदाल ---दिल पर,
दिखता है पताल - दिल पर,
 
अश्कों का उबाल - दिल पर,
आँखें हैं निहाल ---दिल पर,
 
आया है भूचाल ---दिल पर,
मौसम है गुलाल --दिल पर.

Thursday, October 4, 2012

पागल आशिक हूँ मैं दिलजला दिल का

टूटा टूटा सा है ----- हौंसला दिल का,
जाने कैसा है ये --- सिलसिला दिल का, 

होता खुशियों से है --- फासला दिल का,
सोंचे जब-2 भी दिल है -- भला दिल का,
 
तिनका-तिनका बिखरी -- जिंदगी मेरी,
गम ये दिल को है, दिल से खला दिल का,
 
जीता - मरता हूँ ------ तेरे खयालों में,
पागल आशिक हूँ मैं - दिलजला दिल का,
 
साँसे ठहरीं हैं ------ धड़कन जुदा सी है,
बहता आँखों से है ---- जलजला दिल का,
 
जिद करता है दिल --- भूलूं न तुझको मैं,
चुभता मुझको है ये ----फैसला दिल का,
 
ढूंढा पर दिल का --- मिलता नहीं है हल, 
कितना मुस्किल है ये -- मामला दिल का,
 
फिरता रहता हूँ ------ मैं बावरा होकर,
जादू ऐसा है दिल पर --- चला दिल का,

उगता सूरज है दिल में --  ढला दिल का,
कोना-कोना है बुझके --- जला दिल का,

Monday, October 1, 2012

मुहब्बत की कारीगरी देखी

तबियत अपनी - जब हरी देखी,
मुहब्बत की - - - कारीगरी देखी,
 
उठा चाहत का -- जब पर्दा, मैंने,
नमी आँखों में थी ---  भरी देखी,
 
भुला दूँ तुझको -- याद या रक्खूं,
दर्द उलझन --- हालत बुरी देखी,
 
खफा है धड़कन - सांस अटकी है,
गले में हलचल ---- खुरदरी देखी,
 
सुर्ख रातें हैं ------ दिन बुझा सा है,
सुहानी शम्मा भी ------ मरी देखी,

Saturday, September 29, 2012

यादें तेरी गोदी में जब झुलाती हैं

नदियाँ कितनी -- आँखें मेरी बहाती हैं,
यादें तेरी गोदी में - - - जब झुलाती हैं,
 

थोड़ी-थोड़ी अब भी - उम्मीद है बाकी,
आजा तुझको साँसे - - मेरी बुलाती हैं,
 

बहता दरिया है- आफत का लहू बनके,
जब भी उलझन -- बातें तेरी बढ़ाती हैं,
 

सारे मेरे - - बेचैनी से --- भरे हैं दिन,
करवट - करवट में - रातें बीत जाती हैं,
 

बन गम मुझमें, बहता है प्रेम का सागर,
लहरें जीवन की -- जलती लौ बुझाती हैं,
 

होता मेरे है - - - जख्मों में - दर्द ज्यादा,
जब-
जब काँटा -- - चीज़ें तेरी चुभाती हैं.

Thursday, September 27, 2012

छोड़ा है मुझको तन्हा बेकार बनाके

छोड़ा है मुझको तन्हा --- बेकार बनाके,
मेरे ही गम का मुझको - औज़ार बनाके, 


तड़पाया उसने मुझको, हर रोज़ सजा दी,
यादों को भर है डाला -- हंथियार बनाके,
 

दिल में तेरा ही, तेरा ही -- प्यार भरा है,
पूजी है तेरी मूरत ----- सौ बार बनाके,


घोटाला - है रिश्वत - भ्रस्ठाचार बढा है,
जनता की बिगड़ी हालत, सरकार बनाके,
 

धड़कन को मेरी साँसों, को काम यही है,
जख्मों को रक्खा मुझमें, त्योहार बनाके,
 

समझे जो दुनियादारी -- वो दौर नहीं है,
खबरें उल्टी सीधी की --अखबार बनाके,
 

आँखों का पहले जैसा -- अंदाज़ नहीं है,
कर बैठी हैं अश्कों का-- व्यापार बनाके..

Monday, September 24, 2012

तुझको मुझसे अच्छा दिवाना मिल जाये

अश्कों को बहने का--- बहाना मिल जाये,
टूटे दिल को मेरे ---- ठिकाना मिल जाये,
 

मांगी है मैंने बस दुआ ----- इतनी रब से, 
तुझको मुझसे अच्छा-- दिवाना मिल जाये,
 

चाहत में प्यार की --किस्मत कुछ ऐसी हो,
सबके दिल को दिल का, खज़ाना मिल जाये,
 

धीरे-धीरे बढ़ता सिलसिला-- है जख्मों का,
थोडा मरहम मुझको--- लगाना मिल जाये,
 

साँसे सीने में -------- आखिरी हैं ऐसे में,
गुजरा मुझको मेरा ---- ज़माना मिल जाये,

Saturday, September 22, 2012

कीमत चाहत की

कीमत चाहत की अदा कर भूल गई,
वो खुद से मुझको जुदा कर भूल गई,
 

नम नैना मेरे, ---- उम्र भर संग रहे,
जुल्मी मुझको, गुदगुदा कर भूल गई,
 

मुझमे कायम, यूँ दर्द-गम-जखम रहा,
खुद को मेरा वो,--- खुदा कर भूल गई,
 

चाहा जब तक खूब मुझको प्यार किया,
फिर वो अपना,-- फायदा कर भूल गई,


मांगे मैंने फूल------ उससे प्यार भरे,
बोझा काँटों का,---- लदा कर भूल गई....

Thursday, September 20, 2012

यादों का मैं गोदाम बेंच दूँ

चाहत के पल,.... बेदाम बेंच दूँ,
फुरसत के दिन, आराम बेंच दूँ,
 
मुस्किल है,... कांटेदार जिंदगी,
फूलों को गम का,...बाम बेंच दूँ,
 
धोखा... बेचैनी.... और... बेबसी,
दिल को दिल का मैं काम बेंच दूँ,
 
गायब हो,, ये,,, मुस्कान होंठ से,
नैनों को इतना,,,,,, जाम बेंच दूँ,
 
रहता है तन्हा,,, रोज़- रोज़ दिल,
यादों का मैं,,,,,,,, गोदाम बेंच दूँ,

Wednesday, September 19, 2012

बेवफा है वफ़ा का ज्ञान देती है

बेवफा है, वफ़ा का, ज्ञान देती है,
जख्म देकर दर्द पे, ध्यान देती है,
 

इश्क में मैं जला हूँ, हर घडी यूँ ही,
रोज़ चादर ग़मों की, तान देती है,
 

मैं जिया हूँ, मरा हूँ, साथ यादों के,
मौत का वो मुझे, सामान देती है,
 

खेल है ये मुहब्बत, का बुरा इतना,
जिंदगी को जिंदगी ही, जान देती है,
 

सोंचता हूँ कभी, जो मैं भुलाऊं तो
और भी याद, उस दौरान देती है........

Sunday, September 16, 2012

दुश्मन तुझे दिल का कट्टर बना के

दुश्मन तुझे दिल का, कट्टर बना के,
पूजा करूँ तुझको, पत्थर बना के,
 

सोता रहूँ जीवन भर, चैन से मैं,
काटों तले अपना, बिस्तर बना के,
 

चल दी कहाँ ऐसे, जल्दी जुदा हो,
मेरी दशा इतनी, बत्तर बना के,
 

ना तो दुआ से, ना राहत दवा से,
तुमने थमाया गम, गठ्ठर बना के,
 

शिकवा गिला करता हूँ, रोज़ तुझसे,
तेरे खयालों का, उत्तर बना के....

Friday, September 14, 2012

साफ़ आटा लगे जैसे चोकर मिला

हौसला दिल्लगी का, दिल खोकर मिला,
प्यार मेरे गले मुझको, रोकर मिला,
 

फूल खिल ना सके, चाहत के फिर कभी,
प्रेम मुझको सदा, गम में धोकर मिला,
 
जिंदगी का दिया, जलकर बुझ भी गया,
फासला वक़्त का ना, कम होकर मिला,
 
अश्क हैं बह रहे, भीगी बरसात है,
रात का कारवां, मुझको सोकर मिला,
 
बेवफा है, वफ़ा का, पहने नाकाब है,
साफ़ आटा लगे, जैसे चोकर मिला,

चोकर = छानबुर, आटे को छानने के बाद निकलने वाला पदार्थ.

Wednesday, September 12, 2012

हूँ मैं चुप तू भी बोलना छोड़ दे

नम नैनो में गम, घोलना छोड़ दे,
हूँ मैं चुप तू भी, बोलना छोड़ दे,

है वादा तुम्हे मैं, भुला दूँ अभी,
तू यादों में गर, डोलना छोड़ दे,

कुछ पल के लिए, सूख जाये नमी,
तू अश्कों का नल, खोलना छोड़ दे,

जिद ना कर कहना, मान भी जा कभी,
दौलत चाहत की, तोलना छोड़ दे,

जाती दिल से मेरे, दरारें नहीं,
भूले बिसरे पल, छोलना छोड़ दे...

छोलना = छीलना 

Monday, September 10, 2012

अपने ही दिल का सताया हुआ हूँ

बेघर हूँ सब कुछ, लुटाया हुआ हूँ,
अपने ही दिल का, सताया हुआ हूँ,

घर से मेरे रौशनी, खो गई है,
जलता दीपक, बुझाया हुआ हूँ,
 
बूंदों की मुझको, जरुरत नहीं है,
अश्कों का सागर, उठाया हुआ हूँ,
 
काटों से मुझको, मुहब्बत हुई है,
फूलों को दुश्मन, बनाया हुआ हूँ,
 
अब तो तेरी, दिल्लगी जिंदगी है,
यादों में जी भर, नहाया हुआ हूँ,
 
चाहा है तुझको, हदों की हदों तक,
रब से भी आगे, बिठाया हुआ हूँ,
 
तेरे वास्ते है दुआ, भी दवा भी,
मैं गम का मरहम, लगाया हुआ हूँ.

Saturday, September 8, 2012

मैंने मुहब्बत कर ली है वो वाली

जाती नहीं मेरी, आँखों की लाली,
आदत निगाहों, को कैसी डाली,

साँसे दीवानी हैं, पागल है धड़कन,
मैंने मुहब्बत कर, ली है वो वाली,
 
दिन रात है यूँ, बेचैनी का आलम,
कर दो न घर, मेरे यादों का खाली,
 
गम से भरा है, मेरे दिल का कोना,
कैसी मुसीबत, ये मैंने है पाली,
 
रिश्ते निभाऊं, या तोडूं हर बंधन,
बजती नहीं है, अब रिश्तों की ताली.

Thursday, September 6, 2012

गम मेरा झलक गया

आँखों से जो हंसा तो सागर छलक गया,
सारा का सारा गम फिर मेरा झलक गया,

ना पलटी, ना ही देखा, इक भी बार मुझे,
मैं पीछे - पीछे उसके, मीलों तलक गया,
 
मेरी चिल्लाहट, ना मेरी आवाज सुनी,
धीरे - धीरे भारी, हो मेरा हलक गया,
 
इतना कुछ, पल दो पल में, मेरे संग हुआ,
बारिश ही बारिश, भर मुझमे फलक गया,
 
कुछ ऐसे दोस्तों, थी मेरी तकदीर जली,
चिंगारी भड़की सीने में, मैं बलक* गया.


*बलक = उबलना 

Wednesday, September 5, 2012

मैं आँखें भर-२ रोता हूँ

सोयी-२ रातों में, मैं जागा-जागा होता हूँ,
पल-२ तेरी यादों में, मैं आँखें भर-२ रोता हूँ, 

टूटा-टूटा रहता हूँ, खोई-खोई सी उलझन में,
दिल के कोने-२ में, मैं गम ही गम बस बोता हूँ,
 
चाहत की गहराई, ना मैं समझा, ना मैं जाना,
छोड़ा फूलों नें पत्थर कर, काटों में मैं जोता हूँ,
 
जीता हूँ मैं मरता हूँ, तेरे ख्यालों में अक्सर,
दर-२ मैं इस दुनिया में, जख्मों को लेकर ढोता हूँ,
 
मुस्किल है मुस्किल है, इन हालातों में मेरा जीना,
साँसों की डोरी तोड़ी है, आखिर अब मैं सोता हूँ.

Monday, September 3, 2012

प्रेम की, गिनती अढ़ाई है

नहीं पूरी प्रेम की, गिनती अढ़ाई है,
तभी मुस्किल प्रीत की, इतनी पढ़ाई है,

न जाना कोई न समझा, दिल्लगी दिल की,
बड़ी टेढ़ी रीत, नम पथ की चढ़ाई है,

तले पलकों के रखा, तुझको छुपा मैंने,
पर्ते दिल पे चाँद सी, सूरत मिढ़ाई है, 
 
जले हैं शोले, लगी है आग सीने में,
दर्द की कीमत, दिलों ने ही बढ़ाई है,

चढ़ा जादू इश्क का, इस तरह कुछ मुझपे,
मुहब्बत के नाम की, दिल पे कढ़ाई है....

Sunday, September 2, 2012

बेचैन मेरे दिल को, आराम चाहिए

बेचैन मेरे दिल को, आराम चाहिए,
तरसी निगाहों को भी, पैगाम चाहिए,

हालात हैं नाजुक, है गम का सहारा,
खामोश होंठों को थोडा, जाम चाहिए,
 
मुझको उम्रभर के लिए, हासिल दर्द है,
नमकीन अश्कों को घर में, काम चाहिए,
 
मदहोश कर पहले, जख्मों से नवाजा,
दीवानगी का बाकी अब, अंजाम चाहिए,
 
हर बार तूने तोडा, दिल का भरोसा,
अब और कुछ भी करने का, दाम चाहिए.

Friday, August 31, 2012

ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे

खंज़र वो सितमगर, लफ़्ज़ों से उतारे,
ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे,
 
 उलझन है बेबसी, छाई है उदासी,
मैं तन्हा रह गया, अश्कों के सहारे,
 
मंजिल है दूर, मुस्किल है राह दोस्तों,
अब नज़रों को, नहीं जंचते है नज़ारे,
 
चुभते हैं फूल, काटों से रोज़ मुझको,
फूलों को कौन है, आखिर जो सुधारे,
 
ताज़ी -ताज़ी रही, हर पल याद मुझमे,
बुझती हर सांस आजा, तुझको पुकारे.......

Thursday, August 30, 2012

वादों में हैं दरारें, टूटी है कसम

वादों में हैं दरारें, टूटी है कसम,
जख्मों से जख्म खाके, जख्मी हैं जखम,

यादों के संग है अश्कों का सैलाब,
बहकी-२ हवा है, बहंकें  हैं कदम,

उमीदों का गलीचा, नम है ग़मगीन,
कातिल, बेवफा है दुश्मन मेरा सनम,

धड़कन की ये उदासी, अब है दिन रात,
लाखों की भीड़ में दहशत है हर कदम, 

मेरे लिए था खुदा से बढ़कर ये इश्क,

समझा जब प्यार तो टूटा मेरा भरम.


Sunday, August 26, 2012

जख्मों की मुझको, है दौलत नवाजी

जख्मों की मुझको, है दौलत नवाजी,
यादों में जिन्दा, है हर बात ताजी,

नम-2 सी है, भीगी-2 निगाहें,

हारी है मैंने, जीती आज बाजी,

अक्सर सीने में, होती हैं हलचलें,

मरने को साँसे, हैं तैयार राजी,

कहते हैं नैना, सब मेरी कहानी,

पढ़ धीरे-२ , क्या है जल्दबाजी,

कहते हैं सब,  तुम झूठी बेवफा हो,

लेकिन तुम ये, कह दो है झूठ नाजी....

Saturday, August 25, 2012

सीने पर से हांथों को, जो मैं हटा लूँ.......

खुशियाँ सारी तेरी, दिक्कत मैं उठा लूँ,
चाहत के लिए इतना, साहस मैं जुटा लूँ,

पूजा तुझको मैंने, माना है खुदा भी,
मंदिर है दिल में तुझको, आ मैं बिठा लूँ,

मांगी है रब से, खुशियाँ तेरी दुआ में,
तेरे गम सारे खुद पे, खुद मैं लुटा लूँ,

ख्वाइश हो ना पायी, पूरी जिंदगी की,
बाहों में तेरी दो पल, ही मैं बिता लूँ,

चलते-चलते थम ना जाएँ, धडकनें ये,
सीने पर से हांथों को, जो मैं हटा लूँ......

Thursday, August 23, 2012

लगता है अब मेरा, मौत से मिलन है

जो प्यारा था जीवन, अब वही कफ़न है,
जख्मों से टूटा - टूटा, हुआ बदन है,

गुमसुम है धड़कन, चुपचाप हैं होंठ भी,
दिल का मेरे अब तो, हो चुका निधन है,

मैं, वो कैसे जाऊं, भूल तेरी अदा,
यादों से तेरी, होने लगी चुभन है,

तन्हा था तन्हा, ही रह गया दिल सदा,
बाहर बेचैनी, भीतर दर्द है घुटन है,

बिखरा है ख्वाबों का, फूल गिर टूटकर,
लगता है अब मेरा, मौत से मिलन है........

Wednesday, August 22, 2012

सूखते मेरे लबों को भीगता सावन बना

जान का सारा ज़माना आज है दुश्मन बना,
प्यार तेरा वाकई दिन रात का उलझन बना,

डूब कर आराम कर है नींद आँखों में भरी,
टूट ख्वाबों से बड़ा ही दूर का बंधन बना,

चुन लिया मैंने तुझे, अब धडकनों का खुदा,
पूजने को दिलनशीं इक बार तुझको मन बना,

बात इतनी सी नहीं जो बोल दूँ इक सांस में,
साथ तेरा दो पलों का अब मिरा जीवन बना,

घोलकर अपनी निगाहों से पिला गम घूंट भर,
सूखते मेरे लबों को भीगता सावन बना...............

Monday, August 20, 2012

आँखों से मेरे दोस्त, ना निशाने का शौक रख

आँखों से मेरे दोस्त, ना निशाने का शौक रख,
पागल दिल है, दिल से दिल ना लगाने का शौक रख,

गायब हो ना जाये, ये नींद आँखों से रात की,
यादों में इतना खुद को ना जगाने का शौक रख,

चाहत में थोडा तो रख तू भरोसा, शक छोड़ दे,
लम्हा-लम्हा ऐसे, ना आजमाने का शौक रख,

राहों पर बिखरे हैं पत्थर, ज़रा चल, संभल ज़रा,
ठोकर हैं दुश्मन, दोस्त ना बनाने का शौक रख,

आ सकती है फिर ये पागल हवा, लेकर जलज़ला,
 तूफानों को अपने घर ना बिठाने का शौक रख............

Sunday, August 19, 2012

यादों का मखमली गम

यादों का मखमली गम ओढ़, सो नहीं पाता,
सब जाना चाहता हूँ भूल, हो नहीं पाता,

आया आराम ना मुझको दुआ, दवा भायी,
आँखों में झलकता है अश्क, रो नहीं पाता,

मैं प्यासा इक समंदर हूँ, कई महीनों से,
मुझको दीवानगी है याद, खो नहीं पाता,

पागल हो, भूल बैठा रात और दिन सारे,
पल दो पल का सुकूं हो चैन ढो नहीं पाता,

जिसको मैं ढूंढता हूँ हर घडी उदासी में,
करके बेताब मिल हर रोज़, वो नहीं पाता......

Thursday, August 16, 2012

मामला है दिल्लगी का

मामला है दिल्लगी का और कोई बात नहीं,
उलझनों में घिर चुका हूँ चैन मेरे साथ नहीं,

भूल जाऊं मैं तुझे या रोज़ तुझको याद करूँ,
सुबह ना अच्छी लगे ये शाम भी कुछ खास नहीं,

अजब सी ये कशमश, है डंसती हर रोज़ मुझे,
जिंदगी उलझी कहीं अब ठीक भी हालात नहीं,

फूल मुझको चुभ रहे हैं, हौंसला है पस्त हुआ,
जख्म मुझमे पल रहे हैं, सु:ख की बारात नहीं,

टूट कर बिखरा हूँ ऐसे जख्म पाये चोट लगी,
और वो बोले कि इसमें यार मेरा हाँथ नहीं...............

Monday, August 13, 2012

कुछ-२ सबको बांटे दिल

बोयें नैना, काटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल,  

खुशियाँ मातम, लाये गम
सूखी पलकें,  कर दे नम,
जख्मों को है छांटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल,

पल में ज्यादा, पल में कम,
लाये बारिश, का मौसम,
वादा करके नाटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल,

साँसे, धड़कन जाये थम,
बहती आँखें , हैं हरदम,
यादों के भरदे कांटे दिल, 
कुछ-२ सबको बांटे दिल,

ठहरें रातें जाएँ जम,
बरसे बेचैनी छम-२,
फैलाता सन्नाटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल.........

Sunday, August 12, 2012

कुल्हाड़ी से ख्वाबों पे वार हो

धोखा नैनो को तेरे स्वीकार हो,
तुझको भी तेरे जैसे से प्यार हो,
 

तू भी तडपे छुप-२ के रोये कभी,
तेरे गालों पर अश्कों की धार हो,
 

गायब तो तेरी रातों की नींद औ,
गम-ए-कुल्हाड़ी से ख्वाबों पे वार हो,
 

बिगड़ी हालत चिंता हो मजबूरियां,
हर लम्हा अब तेरा दिल बीमार हो,
 

गीला-गीला दिल का कोना हर घडी,
भीगी - भीगी यादों की दिवार हो.......... 

Wednesday, August 8, 2012

कीमत दर्दे दिल की अदा कर दे

कीमत दर्दे दिल की अदा कर दे,

तू खुद को मेरा खुदा कर दे,

आ जा वापस जिंदगी में फिर,

चाहे सांसों से जुदा कर दे,

गम में जीना हो न हो मरना,

ऐसा मौसम तू सदा कर दे,

तिरछी नज़रों से चला जादू,

मुझको खुदपे तू फ़िदा कर दे,

बेबस लब कह ना सके कुछ भी,

कार्य इतना बेहुदा कर दे.....

Friday, August 3, 2012

जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो

साँसों पे छाई खबर तुम हो,
मेरी आँखों की नज़र तुम हो,

हंसा हूँ पाकर साथ तुम्हारा,
खुशियों में होता असर तुम हो,

मर जाऊँगा मैं भूल ना जाना,
जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो,

पाके इतना मदहोश हूँ तुमको,
मेरे सपनों का नगर तुम हो,

लाऊँगा तारे फलक से मैं,
तुम्ही जां मेरी जिगर तुम हो........

Wednesday, August 1, 2012

राह वो पगली बदलती नहीं

आह जो दिल से मेरे निकलती नहीं,
राह वो पगली शायद बदलती नहीं,

रोज़ मरता हूँ, जीता हूँ कभी-कभी,
हाल देख कर भी थोडा पिघलती नहीं,

खो गई पाकर, तुमको जिंदगी कहीं,
आज कल तबियत भी तो मचलती नहीं,

रूबरू आँखों में है, चेहरा तिरा,
अश्क बहते हैं, पर वो मसलती नहीं,

बात आती थी सारी, याद रात भर,
सांस सीने में रुकी, टहलती नहीं.......

Monday, July 30, 2012

खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है

अजनबी पर ना भरोसा कर अभी सुनसान है।
लूट कर सब चल बसेगा साथ जो सामान है।।

पूंछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का।
यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है।।

शोर गलियों में मचा है, वो बनी दुल्हन मिरी।
प्यार मेरा आज देखो चढ़ रहा परवान है।।

इश्क से ये दिल हमेशा यार क्यूँ डरता रहा।
इश्क तुमको पा लगा मुझको बड़ा आसान है।।

ताड़ते इज्ज़त घरों की फिर दुशाशन रूप में।  
खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है।।

Sunday, July 29, 2012

आज भी अनजान है

छीन बैठा इश्क जिसका सांस दिल से जान है,
मौत से मेरी वही बस आज भी अनजान है।

जिंदगी भर भागता था मौत के अंजाम से,
पर रहा क़दमों तले हर रोज़ ही शमशान है।

मान हो सम्मान, आदर भाव की हो भावना,
"यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है"

छोड़ बेशक से गयी माँ तू मुझे संसार में,
आज भी माँ याद तेरा रूप ही भगवान है।

ताकती मेरी निगाहें राह जिस इंसान की,
लौट कर आया नहीं वो आ गया तूफ़ान है।

Friday, July 27, 2012

201 पोस्ट कुछ और शे'र

प्यार से मुझको, अनमोल नगीना दे दो,
जिंदगी को बस , इक और महीना दे दो,

हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,
वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,

हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,
आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ.....

दे धोखा फिरसे, तू फिर दिल्लगी कर ले,
अपनी वश में, तू मेरी हर ख़ुशी कर ले.....

मुझको नशा हुआ जैसे शराब का,
जो गम पढ़ लिया तेरी किताब का......

शायद मैं नहीं रहा

दोस्त ....दोस्त वो नहीं रहा,
दिल के मारे, दिल नहीं रहा,


बहता पानी, आँख में नमी,
सागर छूटा, अब नहीं रहा,
 

धड़कन धीमी, और हो गयी,
काबू खुद पर, जो नहीं रहा,
 

अब बस तेरा, इंतज़ार है,
इतनी जल्दी, सो नहीं रहा,
 

रुकी सांसे बस, अभी -अभी,
शायद सच में, मैं नहीं रहा..........

Wednesday, July 25, 2012

कुछ शेर

मुझको भी जिंदगी की, जरुरत बना गई,
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //

आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //

देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,
देन है ये हसीनो की, है मेहरबानी //

लगा था मेला, मैं नीलाम हो गया,
कि दिल का सौदा, मेरा काम हो गया //

क्या कहूँ उसको समझ नहीं आता,
दिल में रहता है, घर नहीं आता //

ज़रा सी बात कह दी तो मलाल कर गई,
बुरा वो मान बत्तर, और हाल कर गई //

आदमी

आदमी को कर रहा है, तंग आदमी,



सभ्यता सीखा गया बे-ढंग आदमी,



कोशिशें कर-2 हुआ है, कामयाब अब,



आसमां में भर रहा है, रंग आदमी,



देख के लो हो गयीं, हैरान अंखियाँ,



ओढ़ बैठा है, बुरा फिर अंग आदमी,



सोंच के ना काम कोई आज तक किया,



जी रहा इन्हीं आदतों के, संग आदमी,



दूसरों के दुःख को हरदिन, बढाता था,



हाल अपना जान अब है, दंग आदमी............

Monday, July 23, 2012

इक तरफ - इक तरफ

इक तरफ सुन्दर, जग-जमाना,
इक तरफ लुटता, मैं खज़ाना,
इक तरफ प्याला, है मदहोश,
इक तरफ लब, मेरे खामोश,
इक तरफ बिजली, हैं बादल,
इक तरफ आशिक, मैं पागल,
इक तरफ सागर, है गहरा,
इक तरफ खाली, मैं ठहरा,
इक तरफ खुशियों, के मौसम,
इक तरफ गम में, मैं हरदम,
इक तरफ मस्ती, में सावन,
इक तरफ सूना, मैं आँगन,
इक तरफ क़दमों, में मंजिल,
इक तरफ टूटा हूँ, मैं दिल,
इक तरफ हंसती, है बस्ती,
इक तरफ प्यासी, मैं धरती,
इक तरफ जलती, है आग,
इक तरफ साबुन, मैं झाग,
इक तरफ महफ़िल सुर ताल,
इक तरफ गुजरा, मैं साल,
इक तरफ दुश्मन दिल दीवाना,
इक तरफ जंगल, मैं वीराना...............

Sunday, July 22, 2012

हम कंटीले थे

वो कोमल थे, हम कंटीले थे,


आँखें सूखीं थी, हम गीले थे,


रास्ते फूलों के, पथरीले थे,


जख्मी पग, कांटें जहरीले थे,


ढहे पेंड़ों से, पत्ते ढीले थे,


बिखरे हम, कर उसके पीले थे,


नाजुक लब, नयना शर्मीले थे,


घर में बदबू थी, हम सीले थे,


हम फीके भी ,हम चमकीले थे..........

Friday, July 20, 2012

पानी था या हवा था

पानी था, या हवा था,
वो किस दिल, की दुआ था,


ठंडा मौसम, कड़ी लू
वो गम था, या दवा था,
 

लगता था, वो खुदा पर,
किस्मत था, या जुआ था,
 

बेवजह तबियत, जुदा थी,
शायद हमे, कुछ हुआ था,
 

बहता आंसू, मेरा ही,
घायल नस को, छुआ था.

उम्मीदों का कोना

लहू से लथपथ,  उम्मीदों का कोना है,
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है,

मिला लुटा हर लम्हा, जीवन का तिनका सा,
लबों पे रख कर लफ़्ज़ों को, जी भर रोना है,

छुड़ा के दामन अब वो दोस्त, अपना बदला,
मिला के आँखों का गम, सारा आलम धोना है,

जिगर में रखता हूँ, जलता -बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है,

कभी-कभी जब तबियत, दिल की बिगड़ी मेरे यारों,
निकाल साँसों को अपना दम खुद ही खोना है..........

Thursday, July 19, 2012

दिल तुझसे ज़रा खफा है

नाराज हूँ मैं, दिल तुझसे ज़रा खफा है,
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है

खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला  
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,

डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,

मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है

धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है..........

Saturday, July 14, 2012

ये दिल दिल्लगी के, बिलकुल खिलाफ है

शीशे की तरह दिल में, इक बात साफ़ है,
ये दिल दिल्लगी के, बिलकुल खिलाफ है,
खता इतनी थी कि उसने, मज़बूरी नहीं बताई,
फिर भी उसकी गलती, तहे-दिल से माफ़ है,
लगने लगी है सर्दी, अश्कों में भीगने से,
इतना हल्का हो गया, तन का लिहाफ है,
हर आस मर चुकी है, बस सांस ऑन है,
और दिल भी जल-२ के, बुझ हुआ ऑफ है,
मौत है कि बक्श देती है, मुझको बार-बार,
तेरे बाद जिंदगी में, अब जीने का खौफ है.....

Friday, July 13, 2012

तेरी याद आती है माँ

दिल खोलकर सखियों में मेरा ज़िक्र करती थी,
ज़रा सी देर क्या हो जाए बहुत फिक्र करती थी.........

तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
अश्क आँखों में जब आता है, दर्द जब मुझको सताता है,
जब उदास हो जाता है मन, जब बढ़ जाती है उलझन,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

जब सुबह कोई समय पर उठाता नहीं, चाय से भरा प्याला दिखाता नहीं,
जब सर पे कोई हाँथ रख कहता नहीं, बेटा देर हो जाएगी उठ जा,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

जब आवाज नहीं आती कानो में, कि ज़रा ध्यान से गाडी चलाना,
दफ्तर पहुँच कर मुझे तुम बताना, समय पर बेटा खाना है, खाना,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

लौटकर शाम को जब घर आता हूँ, खाली कुर्सी पर जब तू दिखती नहीं,
आज का दिन कैसा गुजरा, जब न पूंछे कोई.
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

देर हो या सबेर कोई रोकता नहीं, ग्लास भर पानी को टोकता नहीं,
सर में दर्द जब-जब चढ़ जाता है, हद से ज्यादा जो ये बढ़ जाता है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

दोस्तों के घर मैं जब जाता हूँ, अपनी माँ से मुझे जब वो मिलवाते हैं,
जब - जब पूंछे है वो घर में कैसे है सब.
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

बे-रौनक पापा का जब-जब चेहरा दिखा, दर्द उनके भी चेहरे पर था लिखा,
बात दिल कि जब पापा छुपाते हैं माँ, समय कैसे तेरे बिन बिताते हैं माँ,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

नज़रें जब दिवार पर चढ़कर आपकी मुस्कुराती तस्वीर देखती हैं,
आसमान में जब सारे तारे जगमगा के आपस में बातें करते हैं,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

चाँद कि किरणे जब खिड़की पर दस्तक देती हैं,
और चंदा मामा कि कहानी याद आती है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

आसमां जब धरती कि याद में आंशू बहाता है,
समंदर जब किनारों को डुबो जाता है,
सबेरा जब सूरज कि बिंदिया सजाता है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

घर में बस्ती ये ख़ामोशी, और जब-२ घर आये मौसी,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

मेरे जीवन कि अनमोल सबसे चीज़ ले गया,
मेरी माँ को मुझसे छीन डायबिटीज़ ले गया....

Thursday, July 12, 2012

तेरा नाम भूल जाऊं

बस दो घूंट पियूँ , और सारा जाम भूल जाऊं
कि तुझे याद करूँ, और तेरा नाम भूल जाऊं,
जीवन के सफ़र में कहीं, तू मिले जो दुबारा,
तेरा हाल पूंछू , और क्या था काम भूल जाऊं,
मिलने को तुझसे, जब भी सजाऊं कोई रात,
मारे ख़ुशी के मैं तो वही, शाम भूल जाऊं, 
वैसे तो दिल की याद है, हर बात मुंहजबानी,
पर लिखते वक़्त क्या था, पैगाम भूल जाऊं,
आज चाहता हूँ कह दूँ, पर जान का है खतरा,
मैं क्या करूँ की बाद का, अंजाम भूल जाऊं.......

पलटके हंस गई जबसे

पलटके हंस गई जबसे,नज़र में बस गई तबसे,
समंदर से निकलती लहरें,किनारा रस गई जैसे,
दिल से खेल खेला है, लगा उल्फत का मेला है,
याद जब तेरी आई तो सांसे फंस गई फिरसे,
बड़े शातिर खिलाडी हैं, हम समझे अनाड़ी हैं,
देखकर मुझको राहों में नज़रें फेर गई मुझस.....

Wednesday, July 11, 2012

दिल लगाने को तुला है

नापाक इरादे से दिल लगाने को तुला है,
इक शक्स मेरी हस्ती मिटाने को तुला है,
हजारों किये हैं जुर्म मगर सजा कोई नहीं,
मुझको भी गुनाहों में फ़साने को तुला है,
सौदागर है, दिलों का व्यापार करता है,
धंधा है यही वो जिसको, बढ़ाने को तुला है,
धमकी दे रहा है, सीने पर मेरे चढ़कर,
जालिम है जबरजस्ती, डराने को तुला है,
आता है नए - नए रोज़, दावं सीख कर,
मेरे जीवन को जुए में, हराने को तुला है....

रात उधार मांगता हूँ

बस नींद भरी रात उधार मांगता हूँ,
दिल के लिए जज़्बात उधार मानता हूँ,
कोई तोड़ जाये जो होंठो से मेरे चुप्पी,
कुछ लफ़्ज़ों की सौगात उधार मानता हूँ,
मुमकिन नहीं है फिर तसल्ली के वास्ते,
गूंगे लबों पे इक बात उधार मांगता हूँ,
सांसो की चाल थोड़ी धीमी पड़ गयी है,
कुछ दिन जीने के हालात उधार मांगता हूँ,
फुटपाथ पर बसे कुछ भूंखे पेटों को,
थोड़ी दाल थोड़े भात उधार मांगता हूँ...........

ज़रा सी बात

ज़रा सी बात बोलो तो बताना हैं बना लेते,
उठा - गिरा कर पलकें फ़साना हैं बना लेते,
कहानी रच लेते हैं, जुबां से लम्बी चौड़ी वो,
पत्थरों को ज़रा छूकर, खज़ाना हैं बना लेते,
निगाहें रूठ जाएँ तो, बस्तियां लुट जाती हैं,
अपने आगे पीछे इक, जमाना हैं बना लेते,
यादों के बीते पल जब - जब जाग जाते हैं,
मेरी सारी खुशियों का हर्जाना हैं बना लेते.....

समस्याओं का समाधान चाहिए

बढ़ती हुई समस्याओं का, समाधान चाहिए,
इंसान के अवतार में, फिर भगवान चाहिए,
मुश्किलों से घिरी हुई है,अपनी जन्म-भूमि,
अब एक जुझारू योद्धा,बड़ा बलवान चाहिए, 
बैठे हैं भ्रष्ठाचारी, हर मोड़ हर कदम पर,
अब इनकी खातिर,एक नया शमशान चाहिए,
नज़रों में झलकती खोट, घरों में रखे भर-२ नोट,
आँधियों से बात नहीं बननी,आज तूफ़ान चाहिए.....

मैं तेरे बिन निकल आया

छोड़ कर उल्फत की गलियां, मैं तेरे बिन निकल आया,
जलाया जब रातों में मुझको, इक नया दिन निकल आया,
दिल में दफनाई थी यादें, आज जो फुर्सत में खोदीं,
बे-दर्द जिन्दा जख्मों का, वही पल-छिन निकल आया,
सोंचकर रात भर जागे, सबेरा कल नया होगा,
मगर बीता वही समय उठ के , प्रतिदिन निकल आया,
गुमसुदगी की राहों पर, भटकता छोड़ गया मुझको , 
वही मंजर था जो मेरे दोस्तों, बड़ा कठिन निकल आया,
किताबें खोल कर हैं बैठी, यादों से लहुलुहान वही पन्ने,
पढ़ते - पढ़ते तेरा दिया हुआ, मुझमे चिह्न निकल आया....

Monday, July 9, 2012

मुस्कुराना भूल आये हैं

ख़ुशी से हंसते-हंसते लब, मुस्कुराना भूल आये हैं,
आज हम अपने ही घर का, ठिकाना भूल आये हैं,
यादों के सब लम्हे , यादों से मिटाकर हम,
उसके साथ वो गुजरा, जमाना भूल आये हैं,
बुझाकर रख गई जब वो, सुहाने साथ बीते पल,
सुलगता यादों का वो पल छिन, जलाना भूल आये हैं,
लगी जब चोट हकीकत की, जग गई नींद से आँखें,
बंद आँखों पर ख्वाबों को, सजाना भूल आये हैं,
उसे खुशहाल रखना, इस दिवाने दिल की आदत थी,
अब उसकी खातिर अपने अश्क, बहाना भूल आये हैं....

Sunday, July 8, 2012

नैनों के अनोखे रूप

मन को आहत कर गए नैनो से निकले बाण,
नैना अद्भुत लीला रच , ह्रदय से हरते प्राण.....

प्रभु के दर्शन हो गए, जब नैनो के खुल गए द्वार,
नैनों की नदियाँ बह रहीं, बिन मांझी मजधार.....
मुख से बोला न गया बोल गए सब नैन,
मीठी भाषा बोल कर छीन गए हैं चैन,

छोटे -२ शब्दों को ध्यान से ढूंढते नैना,
दो शीशों के नीचे से हैं कैसे घूरते नैना,
हुए जब बूढ़े तन तो बने पथरीले हैं नैना,
सूखी - २ पलकों के, नीचे गीले हैं नैना,
गरीबी के साये में दिखते भूखे हैं नैना,
घिर के आया है सावन, फिर भी सूखे हैं नैना,
दया में भीगे हैं नैंना, हया भी सीखे हैं नैना,
सुन्दर मखमली सूरत पे दो अनोखे हैं नैना............
झुर्रियां पड़े चेहरों पे हो गयी धुंधली हैं अँखियाँ,
तकलीफें सह-२ के बन बैठी बदली हैं अँखियाँ,


थोडा गौर से देखो , निगाहों में समंदर है,
प्रेम का रास्ता जाता सदा गम के अंदर है,
जुबां पर लौट आये हैं, सारे शब्द दर्द के,
दिलों से खेलने वाला, वो शातिर सिकंदर है,
मरता क्या नहीं करता, दिलपे जोर नहीं चलता,
बड़ी मासूम हर अदा, वो फूलों से सुंदर है.....


Saturday, July 7, 2012

नयन

दो नैनो से बोल गई अपने मन की बात,
खुद नैना बंद सो रही, मैं जागूं दिन-रात,
आग लगा कर सुलग रहे, हैं मेरे जज़्बात,
सूखे - सूखे नैनों से, बहे प्रेम बरसात......

समझे प्राणी न कभी नैनो की हर बात,
नैनो के मीठे बोल तो है नैनो में बरसात,
नैनो में उजियाला है नैनो में बसी है रात........

नैना भोले भाले हैं, नैना हैं बदमाश,
नैनो में बसी शरारत, नैनो में विश्वास,
नैनो के कारण लगे सभी दिलो में आग,
नैनो में दूरी न रही, जाओ कितना भाग....



नयन में नीर रखे हैं, नयन में तीर रखे हैं,
नयनों में न जाने कितने गहरे क्षीर रखे हैं,
सूरमा हों बड़े कितने नयन से हार जाते हैं,
निहत्थे हैं मगर कितने यूँ ही मार जाते हैं,
नयनों में छुपी चुप्पी नयन ताड़ जाते हैं,
मरुअस्थल कभी तो बन आषाढ़ जाते हैं,
नयन रोकते भी हैं, नयन टोकते भी हैं,
कभी गहरी खाई में लाकर झोंकते भी हैं,
नैनों के अनेखों रूप, पल में छाया पल में धूप
नैनों में कई मौसम, बराबर रखते खुशियाँ-गम.....

नयन दुनिया दिखाते हैं, नयन दुनिया छुपाते हैं,
नयन आंशू बहते हैं, नयन मुस्कान लाते हैं,
नयन इंसान जगाते हैं, नयन सुख-दुःख दिखाते हैं,
नयन गलती बताते हैं, नयन परख सिखाते हैं.......


कभी तीखे ये औज़ार, कभी छींटे और बौछार,
कभी जो मीठे बोलें बोल, रस जीवन में देते घोल,
कभी तेवर हैं रंग-रंगीले, कभी दिखते हैं भड़कीले,

कभी करते हैं मनमानी, कभी बरसाते जमकर पानी,
कभी झुक करके करें हया, कभी उठ करके करें दया,
कभी तोड़ जाते हैं ये दिल, कभी हर जाते हैं मुस्किल,
कभी दिल से गए उतर, कभी दिल में कर गए घर,
कभी लिख जाएँ कई कहानी, कभी दे जाएँ कई निशानी,
कभी हो जाएँ जब मजबूर, ले जाते हैं मीलों दूर,
कभी सपने सजाते हैं, कभी हरदम जगाते हैं,
कभी खुद रूठ जाते हैं, कभी खुद को मनाते हैं,
कभी लाचार हो देखें, कभी तलवार ये फेंकें,
कभी मुस्किल बने भाषा, कभी आसान सी आशा,
कभी सच झूंठ की दे पहचान, कभी बन जाती हैं अनजान,
कभी रिश्तें करें शुरुआत, कभी इक भी न बोलें बात...


नियत की पहचान नयन करें, किसी पे कुर्बान नयन करें,
छुपाकर धोका तले पलकों के, दिलों को हैरान नयन करें,
गिरा कर धूल कर दे, उठा कर अमूल कर दे,
चाव से अपनी पसंद कर बड़ा सम्मान नयन करें....


नयन ही नीर रखते हैं, ह्रदय की पीर रखते हैं,
नयन उत्सुक भी होते हैं, नयन ही धीर रखते हैं, 
नयन इकरार करते हैं, नयन इनकार करते हैं,
नयन दुत्कार करते हैं, नयन ही प्यार करते हैं.......

Friday, July 6, 2012

ख्वाब आँखों के

ख्वाब आँखों के कोई भी मुकम्मल हो नहीं पाए,
खाकर ठोकर यूँ गिरे फिर उठकर चल नहीं पाए,
खिलाफत कर नहीं पाए बंधे रिश्ते कुछ ऐसे थे,
सवालों के किसी मुद्दे का कोई हल नहीं पाए,
बड़े उलटे सीधे थे, गढ़े रिवाज तेरे शहर के,
लाख कोशिशों के बावजूद हम उनमे ढल नहीं पाए,
थरथराते होंठो ने जब, शिकायत दिल से की,
बहते अश्कों को हांथो से हम फिर मल नहीं  पाए,
लगी जब आग सीने में, तेरी यादों की वजह से,
हम जल गए,  किस्से जल नहीं पाए......

दोहे

बांधो मन की राह में एक प्रेम की डोर,
मीठा सागर रस का भर जाए हर ओर,
कहती है मेरी लेखनी मचाते हुए शोर,
दिल के नाते दिल मिलें दिल पे किसका जोर,

सुन्दर-सुन्दर शब्दों में सुन्दर-सुन्दर बोल,
तीखे - कडवे लफ्जों को मुख से तो न तोल,
कच्चा धागा प्रेम का है बड़ा अनमोल,
सीरत के सामने, कुछ सूरत का न मोल......


 

रात के तेवर

रात के तेवर जब - जब बदले नज़र आये,
तेरी यादों के मौसम बड़े उबले नज़र आये,
तसल्ली दे रहे हैं, हालात मुझे लेकिन,
आँखों से सारे मंजर दुबले नज़र आये,
भभकते अश्कों को कोई साथ न मिला,
न रुके और न कभी संभले नज़र आये,
फंस गए इस तरह बदनसीबी की जाल में,
मजबूरियों से हम न निकले नज़र आये....

गिरके बिखरके

मैं तो गिरके बिखरके आज टूट लिया रे,
तेरी नैनो की भाषा हमे ने लूट लिया रे,
नाम मेरा छपा इश्क के पन्नों पर है,
खुद को भरके मोहोब्बत में कूंट लिया रे,
जबसे तेरी निगाहों ने मुझको छुआ,
तबसे तन्हाई की बाहों से छूट लिए रे,
आगे जो भी हो इल्ज़ाम जिंदगी का,
आज जीने के लिए तेरा घूंट लिए रे.......

सागर हुआ है प्यासा

हो गयी चाँद को हैरानी, सागर हुआ है प्यासा,
निगाहों ने मेरी खातिर ऐसा चेहरा है तलाशा,
उजड़े हुए चमन में फिर से फूल खिल गया हो,
मेरे रब ने, जैसे खुद किसी, हीरे को हो तरासा,
यारों दिन में भी हो जाए अंधेरों का  इजाफा,
उसकी सूरत जो न दिखे तो बढ जाती है निराशा,
ये पहाड़ सी जिंदगानी चुटकी में गुजर जाए,
तेरा साथ जो मिले, मुझको राहों में जरा सा,
तू ही दिल की आरजू, तू ही प्यार की परिभाषा,
तूफां में बुझ रहे चरागों की तू है आशा.......

दिलों से निवेदन

मोहोब्बतों से विनती दिलों से निवेदन,
नहीं दिल्लगी में मिले, कोई साधन,
नाजुक बहुत हैं ये रिश्तों के धागे,
नहीं फिर जुड़ेगा, जो टूटा ये बंधन,
संभालेंगे कैसे लडखडाये कदम जब,
फ़िसलेंगे हांथो से अपनों के दामन,
पनप नहीं पाते ज़ज्बात फिर दिलो में,
सूना हो गया जो निगाहों का आँगन,
आँखों का बाँध छूटा तो कैसे बंधेगा,
अश्को से हो जायेगी इतनी अनबन....

Thursday, July 5, 2012

बिखरे हुए पन्ने

बिखरे हुए पन्ने किताबों के आगे,
जिंदगी रुक गयी हिसाबों के आगे,
सवालों के पीछे सवालों के तांते,
उलझी जवानी जवाबों के आगे,
जीने में जिद्दोजेहद हो गयी है,
सुधरे हुए हारे खराबों के आगे,
कोई चोट देकर कोई चोट खाकर,
सब लेटे पड़े हैं शराबों के आगे,
आँखों में सजाये जिसे बैठे सभी हैं,
मंजिल नहीं है उन ख्वाबों के आगे.......

तेरी भीगी निगाहों ने

तेरी भीगी निगाहों ने जब-जब छुआ है मुझे,
तेरा एहसास मिला तो कुछ-कुछ हुआ है मुझे,
फिसल कर छूट गया तेरा हाँथ मेरे हांथो से,
सितम गर ज़माने से मिली बददुआ है मुझे, 
लगी है ठोकर संभालना बहुत मुस्किल है,
घूंट चाहत का लग रहा अब कडुआ है मुझे,
तरसती- बेबाक नज़रें ताकती हैं रास्तों को,
दिखा तेरी सूरत के बदले सिर्फ धुँआ है मुझे....

Wednesday, July 4, 2012

दिवाने निकल पड़े

आँखों से मौत के निशाने निकल पड़े,
दिल पे चोट खाए दिवाने निकल पड़े,
बसती है तेरी चाहत सनम मेरी रूह में,
सूखे लबों की प्यास बुझाने निकल पड़े,
चाहतों के मामले फसानों में कैद है,
इल्जामों का पिटारा दिखाने निकल पड़े,
यादों का तेरे मौसम जब - जब आया है,
अश्को में बीते सारे ज़माने निकल पड़े,
होता है दर्द अक्सर तेरे बदले मिजाज़ से,
आज अपने साथ तुझको मिटाने निकल पड़े,
उल्फत की जिंदगी मैं जी-जी कर हारा हूँ,
समंदर में कश्तियाँ को बसाने निकल पड़े,
वो हंस-2 के मर गयी, मैं रो-२ के जी गया,
मेरे सीने में वफ़ा के जो खजाने निकल पड़े,
देखेंगे आज है कितनी ताकत तेरे सितम की,
हम गर्दन को तेरे आगे झुकाने निकल पड़े,
कहती है हूँ मैं दरिया, तुम डूब जाओगे,
फिर भी तेरे शहर में साँसे डुबाने निकल पड़े.......

Monday, July 2, 2012

दिल ने दुल्हन बना लिया

तुझे देखते ही दिल ने दुल्हन बना लिया,
तुझे चाहने को मैंने भी, मन बना लिया,
साजिश रच गयी तेरी नज़रें इस तरह कि,
खुदको लुटाकर एकदम निर्धन बना लिया,
अब ना छुपा सकेगी अपनी बुरी नियत को,
मैंने शीशे में ढाल खुद को दर्पन बना लिया,
नज़रों से जब नज़र टकराई तो नज़र लगी,
मुर्रझाये हुए फूलों से लदा चमन बना लिया,
तूने साथ जब छोड़ा, जख्मो की राह में फिर,
दर्द वो गम को ही अपना जीवन बना लिया......

समय की मजबूरियाँ

बह रहीं समय की धारा में, मजबूरियाँ थीं,
दो दिल एक थे मगर ज़ज्बातों में दूरियाँ थीं,
फ़साने बुनते रहे, नए - नए नज़रों के तले,
और जिगर पर चल रही, चाकू - छूरियाँ थीं,
हालात भी मौसम की तरह रुख बदलते थे,
माथे पर शिकन और चेहरे पर झुर्रियाँ थीं, 
कहीं मातम था, बहते अश्क थे गालों पर,
कहीं ख़ुशी के माहौल में तल रही पूरियाँ थीं.....

मैं बदल जाता हूँ

मैं, तेरे छूने से बदल जाता हूँ,
कतरा-२ तुझमे पिघल जाता हूँ,
बनकर एहसास मुझमे पलती है,
मैं तेरे दुवाओं से संभल जाता हूँ,
राहें आसान होती हैं पथरीली भी,
मैं जब भी तेरे पीछे निकल जाता हूँ,
थाम लेती हैं हाँथ आगे बढ़कर,
मैं जब मजबूरियों में फिसल जाता हूँ....

तेरा साया

तेरा साया, मेरे साए को ताकता है,
पीछे - पीछे मेरे अक्सर भागता है,
कभी छोड़ देता है तन्हा मुझे अकेले,
कभी दौड़ कर तेज रास्ता रोकता है,
पहले बरसाके कहर यादों का मुझपे,
फिर पलट, मुझे हंसकर देखता है.....

Sunday, July 1, 2012

तुझको मैंने जब-जब सोंचा

तुझको मैंने जब-जब सोंचा है बार-बार,
बहते हुए अश्कों को पोंछा है बार-बार,
यूँ तो बहुत कुछ मैं भूल चूका हूँ, पर,
यादों ने तेरी मुझको नोचा है बार-बार,
सारे घाव जिस्म पर अब सूख गए हैं,
दिल का जखम दिल ने खरोंचा है बार-बार,
देखने के लिए मुझको जिन्दा हूँ या नहीं,
मेरे तन को चाकुओं से कोंचा है बार-बार..........