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Sunday, January 27, 2013

कभी खाने के लाले हैं

ग़ज़ल
वज्न : 1222 , 1222

कभी पैसों की किल्लत तो,
कभी खाने के लाले हैं,

हमीं तो इक नहीं जख्मी,
हजारों दर्द वाले हैं,

कई हैरान रातों से,
किसी के दिन भी काले हैं,

सभी अच्छे यहाँ देखो,
मुसीबत के हवाले हैं,

गुनाहों के सभी मालिक,
कतल का शौक पाले हैं,

धुले हैं दूध के लेकिन,
नियत में खोट जाले हैं,

शराफत में शरीफों की,
जुबां पे आज ताले हैं,

बुरा ना मानना यारों,
जरा कातिब दिवाले हैं.
 
कातिब - लेखक, लिपिक
 

Friday, January 25, 2013

नतीजा न निकला मेरे प्यार का

ग़ज़ल
वज्न : 122 , 122 , 122 , 12

तुझे हम नयन में बसा ले चले,
मुहब्बत का सारा मज़ा ले चले,

चली छूरियां हैं जिगर पे निहाँ,
छिपाए जखम दिल ठगा ले चले,

तबीयत जो मचली तेरी याद में,
उमर भर अलग सा नशा ले चले,

कटे रात दिन हैं तेरे जिक्र में,
अजब सी ये आदत लगा ले चले,

नतीजा न निकला मेरे प्यार का,
ये कैसा नसीबा लिखा ले चले.....


निहाँ - गुप्त चोरी-छुपे

Wednesday, January 23, 2013

अदब से सिरों का झुकाना ख़तम

ख़ुशी का हँसी का ठिकाना ख़तम,
घरों में दियों का जलाना ख़तम,

बड़ों के कहे का नहीं मान है,  
अदब से सिरों का झुकाना ख़तम,

कहाँ हीर राँझा रहे आज कल,  
दिवानी ख़तम वो दिवाना ख़तम,

नियत डगमगाती सभी नारि पे,  
दिलों का सही दिल लगाना ख़तम,

गुनाहों कि आई हवा जोर से,  
शरम लाज का अब ज़माना खतम,

मुलाकात का तो समय ही नहीं,  
मनाना ख़तम रूठ जाना ख़तम,

जुबां पे नये गीत सजने लगे,
पुराना सुना हर तराना ख़तम.....

Sunday, January 20, 2013

क्या खुदा भगवान आदम???

खो रहा पहचान आदम,
हो रहा शैतान आदम,


चोर मन ले फिर रहा है,  
कोयले की खान आदम,


नारि पे ताकत दिखाए,  
जंतु से हैवान आदम,


मौत आनी है समय पे,  
जान कर अंजान आदम,


सोंचता है सोंच नीची,  
बो रहा अपमान आदम,


मौज में सारे कुकर्मी,
क्या खुदा भगवान आदम???

Friday, January 18, 2013

खरामा - खरामा

खरामा - खरामा चली जिंदगी,
खरामा - खरामा घुटन बेबसी,

भरी रात दिन है नमी आँख में,
खरामा - खरामा लुटी हर ख़ुशी,

अचानक से मेरा गया बाकपन,
खरामा - खरामा गई सादगी,

शरम का ख़तम दौर हो सा गया,
खरामा - खरामा मची गन्दगी,

जमाना भलाई का गुम हो गया,
खरामा - खरामा बुरा आदमी,

जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
खरामा - खरामा जहर सी लगी.

प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है

(बह्र: रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन)
वज्न : 2122, 1122, 1122, 22


चोर की भांति मेरी ओर नज़र करती है,
प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है,


फूल से गाल तेरे बाल तेरे रेशम से,
चाल हिरनी सी मेरी जान दुभर करती है,


धूप सा रूप तेरा और कली सी आदत,
बात खुशबू को लिए साथ सफ़र करती है,


कौन मदहोश न हो देख तेरी रंगत को,
शर्म की डाल झुकी घाव जबर करती है,


मार डाले न मुझे चाह तुझे पाने की,
मौत के पास मुझे रोज उमर करती है..

Saturday, January 12, 2013

हद है

मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,  
लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,  
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

कौन अपना है पराया है हमे क्या मालुम,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से,
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.

Wednesday, January 9, 2013

कलियुग मेरे भगवान अब तत्काल बदलो

इंसान की फितरत खुदा हर हाल बदलो,
थोड़ी समय की गति जरा सी चाल बदलो,

खोटी नज़र के लोग अब बढ़ने लगे हैं,
आदत निगाहों की गलत इस साल बदलो,

जीना नहीं आसान इस दौरे जहाँ में,
अपमान ये घृणा बुरा हर ख्याल बदलो,

नारी नहीं सुरक्षित दरिंदों की नज़र से,
कमजोरियां ये नारिओं की ढाल बदलो,

लाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
सरकार है बेकार शासनकाल बदलो,

नारद उठाओ प्रभु को किस्सा सुनाओ,
कलियुग मेरे भगवान अब तत्काल बदलो.

Monday, January 7, 2013

संकल्प

संकल्प है अंधेर की नगरी मिटानी है,
संकल्प है अपमान की गर्दन उड़ानी है,

दुश्मन हो बेशक मेरी लेखनी समाज की,
संकल्प है इन्सान की सीमा बतानी है,

अंग्रेज जिस तरह से हिंदी को खा रहे,
संकल्प है अंग्रेजों को हिंदी सिखानी है,

बहरे हुए हैं जो-जो अंधों के राज में,
संकल्प है आवाज की ताकत दिखानी है,

रीति -रिवाज भूले फैशन के दौर में,
संकल्प है आदर की चादर बिछानी है,

भटकी है युवा पीढ़ी दौलत की चाह में,
संकल्प है शिक्षा की सही लौ जलानी है....

Thursday, January 3, 2013

दानव का किरदार ले गए

जीने के आसार ले गए,
जीवन का आधार ले गए,
भूखों की पतवार ले गए,
लूटपाट घरबार ले गए,
छीनछान व्यापार ले गए,
दौलत देश के पार ले गए,
खुशियों के बाज़ार ले गए,
औषधि और उपचार ले गए,
सारा आदर सत्कार ले गए,
प्रेम भाव त्यौहार ले गए,
पेट्रोल बढ़ाया कार ले गए,
गाड़ी मेरी मार ले गए,
खुद्दारी खुद्दार ले गए,
दानव का किरदार ले गए.

Monday, December 31, 2012

जब बुढ़ापे का - खुदा दे के सहारा छीने

ओ. बी. ओ. तरही मुशायरा अंक ३० में शामिल मेरी दूसरी ग़ज़ल

मौत को दूर, मुसीबत बेअसर करती है,
गर दुआ प्यार भरी, साथ सफ़र करती है,

जान लेवा ये तेरी, शोख़ अदा है कातिल,
वार पे वार, कई बार नज़र करती है,

देख के तुम न डरो, तेज हवा का झोंका,
राज की बात हवा, दिल को खबर करती है,

फासले बीच भले, लाख रहे हों हरदम,
फैसला प्यार का, तकदीर मगर करती है,

जख्म से दर्द मिले, पीर मिले चाहत से,
प्यार की मार सदा, घाव जबर करती है,

जब बुढ़ापे का, खुदा दे के सहारा छीने,
रात अंगारों के, बिस्तर पे बसर करती है...

Saturday, December 29, 2012

जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है

"ओ बी ओ तरही मुशायरा" अंक ३० में शामिल मेरी पहली ग़ज़ल.

दिल्लगी यार की बेकार हुनर करती है,
मार के चोट वो गम़ख्व़ार फ़िकर करती है,

इन्तहां याद की जब पार करे हद यारों,
रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है,

आरजू है की तुझे भूल भुला मैं जाऊं,
चाह हर बार तेरी पास मगर करती है,

देखने की तुझे न चाह न कोई हसरत,
माफ़ करना जो ये गुस्ताख नज़र करती है,

मुश्किलें दूर कहीं छोड़ मुझे ना जाएँ,
जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है,

सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे,
इक यही बात तेरी दिल पे असर करती है.


गम़ख्व़ार - दिलासा देते हुए

Friday, December 28, 2012

कुण्डलिया प्रथम प्रयास

आदरणीय श्री अरुण कुमार निगम सर के द्वारा संशोधित कुण्डलिया प्रथम प्रयास


सोवत जागत हर पिता, करता रहता जाप,
रखना बिटिया को सुखी, हे नारायण आप 

हे नारायण आप , कृपा अपनी बरसाना
मिले मान सम्मान,मिले ससुराल सुहाना

बीते जीवन नित्य,प्रेम के पुष्प पिरोवत
अधरों पर मुस्कान,सदा हो जागत सोवत 


Thursday, December 27, 2012

तुम न मुझको भूल जाना

तुम न मुझको भूल जाना,
याद करना याद आना,
 
जिंदगी तेरे हवाले,
छोड़ दो या मार जाना,
 
प्यार तेरा बंदगी है,
आज है तुझको बताना,
 
चाहते हैं लोग सारे,
दाग से दामन बचाना,
 
ठीक ये बिलकुल नहीं है,
हार कर आंसू बहाना .....

Monday, December 24, 2012

इसी देश की धरती पे थे जन्मे स्वयं विधाता

यही देश था वीरों की गाता अद्भुत गाथा,
इसी देश की धरती पे थे जन्मे स्वयं विधाता,

कभी यहाँ प्रेम -सभ्यता की भी बात निराली,
आज यहाँ प्रणाम नमस्ते से आगे है गाली,
इक मसीहा नहीं बचा है कौन करे रखवाली,
शहरों में तब्दील हो रहा प्रकृति की हरियाली,

आज इसी धरती पे प्राणी को प्राणी है खाता,
इसी देश की धरती पे थे जन्मे स्वयं विधाता,

घटती हैं हर रोज हजारों शर्मसार घटनाएं,
काम दरिंदो से बद्तर, खुद को पुरुष बताएं,
पान सुपारी ध्वजा नारियल जो हैं रोज चढ़ाएं,
जनता का धन लूटपाट के अपना काम चलाएं,

अपना ही व्यख्यान सुनाकर फूले नहीं समाता,
इसी देश की धरती पे थे जन्मे स्वयं विधाता,

होंठों पे सौ किलो चासनी दिल में पर मक्कारी,
बुरी नज़र की दृष्टि कोण से देखी जाएँ नारी,
भ्रष्टाचार ले आया है भारत में लाचारी,
अब जनता की खैर नहीं फैली अजब बिमारी,

ऐसी हालत देख खड़ा बुत भी है शर्माता, 
इसी देश की धरती पे थे जन्मे स्वयं विधाता,

Saturday, December 22, 2012

उठे दर्द जब और उमड़े समंदर

लगी आग जलके, हुआ राख मंजर,
जुबां सुर्ख मेरी, निगाहें सरोवर,
 
लुटा चैन मेरा, गई नींद मेरी,
मुहब्बत दिखाए, दिनों रात तेवर,
 
सुबह दोपहर हर घड़ी शाम हरपल,
रही याद तेरी हमेशा धरोहर,
 
गिला जिंदगी से रहा हर कदम पे,
बिताता समय हूँ दिनों रात रोकर,
 
दिलासा दुआ ना दवा काम आये,
उठे दर्द जब और उमड़े समंदर.

Thursday, December 20, 2012

ओ. बी. ओ. "चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता" अंक-21 के लिए लिखी रचना

भीग-भीग बरसात में, सड़ता रहा अनाज,
गूंगा बना समाज है, अंधों का है राज,

देखा हर इंसान का , अलग-अलग अंदाज,
धनी रोटियां फेंकता, दींन है मोहताज,

दौलत की लालच हुई, बेंचा सर का ताज,
अब सुनता कोई नहीं, भूखों की आवाज,

कहते अनाज देवता, फिर भी यह अपमान,
सच बोलूं भगवान मैं, बदल गया इंसान,

काम न आया जीव के, सरकारी यह भोज,
पाते भूखे पेट जो, जीते वे कुछ रोज...

Sunday, December 16, 2012

लड़खड़ाते पांव मेरे - जबकि मैं पीता नहीं

याद में तेरी जिऊँ, मैं आज में जीता नहीं,
लड़खड़ाते पांव मेरे, जबकि मैं पीता नहीं,
 
नाज़ नखरे रख रखें हैं, आज भी संभाल के,
मैं नहीं इतिहास फिरभी, सार या गीता नहीं,
 
तोलना है तोल लो तुम, नापना है नाप लो,
प्यार मेरा है समंदर, यार दो बीता नहीं,
 
आह निकलेगी नहीं, तुम लाख चाहो भी सनम,
दर्द की आदत मुझे है, मैं जखम सीता नहीं,
 
चाहता हूँ भूलके सब, दो कदम आगे चलूँ,
और खुद तकदीर से मैं अबतलक जीता नहीं.

Saturday, December 15, 2012

टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर

टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर,
दर्द ही हासिल रहा है जिंदगी भर,
 
अधमरा हर बार मुझको छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,
 
देखकर मुझको निगाहें फेर लेना,
दौर ये मुश्किल रहा है जिंदगी भर,
 
बेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,
 
नींद से मैं जाग जाता हूँ अचानक,
खौफ यूँ शामिल रहा है जिंदगी भर,
 
चाह है मैं चाहता उसको रहूँ बस,
इक यही आदिल रहा है जिंदगी भर.

Friday, December 14, 2012

बूढ़े बाबा की दीवानी

मोटी - मोटी चादर तानी,
फिर भी भीतर घुसकर मानी,
 
जाड़े की जारी मनमानी,
बूढ़े बाबा की दीवानी,
 
दादा - दादी, नाना - नानी,
कहते बख्शो ठंडक रानी,
 
रविकर किरणें आनी जानी,
पावक लगती ठंडा पानी
 
देखो जिद मौसम ने ठानी,
बारिश करके की शैतानी,
 
राहें सब जानी पहचानी,
कुहरे ने कर दी अनजानी,
 
बंधू बोलो मीठी वानी,
सबके मन को है ये भानी.

Thursday, December 13, 2012

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये,
बेवजह उड़ता हुआ बादल बनाये,

लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,
रेत में सूखा घना जंगल बनाये,

जान के दुखती रगों को छेड़कर,
दर्द की थोड़ी बहुत हलचल बनाये,

पास रखना है मुझे हर हाल में,
आँख का सुरमा कभी काजल बनाये,

दौर आया मुश्किलों की ओढ़ चादर,
और वो पत्थर मुझे दलदल बनाये,

मैं रहा तन्हा अकेला जिंदगी भर,
दूर सब अपने खड़े थे दल बनाये,

जान लो वो मार देगा जान से जो,
चासनी लब पर रखे हरपल बनाये....

Monday, December 10, 2012

शीत डाले ठंडी बोरियाँ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 26 के लिए लिखी रचना "हेमंत ऋतु" पर आधारित

देख माथे की शिकन औ त्योरियाँ,
शीत डाले ढेर ठंडी बोरियाँ,

गोद में अपनी लिटाकर सूर्य को,
गुनगुनाती है सुनाती लोरियाँ,

धुंध को फैला रही है राह में,
बांधती है मुश्किलों की डोरियाँ,

बादलों के बाद रखती आसमां,
धूप की ऐसे करे है चोरियाँ,

सुरसुरी बहती पवन झकझोर दे,
काम खुल्लेआम सीनाजोरियाँ.

Sunday, December 9, 2012

हेमंत ऋतु पर कुछ हाइकू

शीतल जल
रविकर किरण
हिम पिघल

आग जलाई
कहर निरंतर
ओढ़ रजाई

चौपट धंधे
हैं चिंतित किसान
छुपे परिंदे

गर्म तसला
मुरझाई फसल
सूर्य निकला

घना कुहासा
खिलखिले सुमन
शीतल भाषा

पौष से माघ
सुरसुरी पवन
पानी सी आग

शुरू गुलाबी
मानव भयभीत
शिशिर बाकी

Saturday, December 8, 2012

कारवाँ ठंडी हवा का

कारवाँ ठंडी हवा का आ गया है।
धुंध हल्का कोहरा भी छा गया है।। 1
 
राह नज़रों को नहीं आती नज़र अब।
कौन है जो रास्तों को खा गया है।। 2
 
पांव ठंडे, हाँथ ठंडे - थरथराते।
जान पर जुल्मी कहर बरसा गया है।। 3
 
पास घर दौलत नहीं रोटी न कपड़े।
कुछ नसीबा मुश्किलों को भा गया है।। 4
 
घिर रही घनघोर काली है घटा फिर।
वर्फबारी कर ग़ज़ब रब ढा गया है।। 5
 
बोल बाला मर्ज का फिर से जगा है।
सर्द सोया दर्द भी भड़का गया है।। 6

Friday, December 7, 2012

कुछ हाइकु

मित्र मित्रता
शिव भोले श्री राम
सत्य सत्यता

गंगा स्नान
सुन्दर हो विचार
अंतर ध्यान

व्याकुल मन
अशांत सरोवर
राम भजन

कर्म प्रधान
सम्पूर्ण परमात्मा
आत्म सम्मान

भीषण ज्वर
होनी हो अनहोनी
श्री गिरधर

गीता का सार
लोक व परलोक
 जीत में हार

जग कल्याण
ब्रम्हा - विष्णु - महेश
आत्मा है प्राण 

Thursday, December 6, 2012

प्यार से तस्वीर मेरी पोंछना आंसू बहाके

प्यार से तस्वीर मेरी, पोंछना आंसू बहाके।
शीश खटिये पे टिकाकर, सोंचना आंसू बहाके।।

चैन से जी भी न पाये,चैन से मर भी न पाये।
याद के टुकड़े पुराने, नोंचना आंसू बहाके।।

इस कदर मेरी मुहब्बत, कर गई बर्बाद उसको।
नाम लिख मेरा हँथेली, गोंचना आंसू बहाके।।

जब कभी मेरी कमी खलती, उसे है खामखा तब।
दर्द में दुखती रगों को कोंचना आंसू बहाके।।

जख्म से मजबूर होके, घाव ले जीती रही।
क्या करे तकदीर को है, कोसना आंसू बहाके।।

चाँद से हो खूबसूरत, जब कभी उसको कहूँ मैं।
शर्म से फिर मुस्कुराना, रोकना आंसू बहाके।।

Monday, December 3, 2012

कुछ - हाइकु

पराया धन
बढ़ाता परेशानी
मन में चिंता 

बुरी नज़र
जलाती तिल तिल
प्रेम संसार

क्रोधित मन
समझता कब है
अपनी भूल

ज्ञानी ह्रदय
बड़ा शांत स्वभावी
प्रकृति जैसा

फूल के पीछे
पड़ी हवा दिवानी
भौंरा पागल

शाम - सबेरे
है ठण्ड झकझोरे
शीत ऋतु की 

घूमा मंदिर
भगवान को पाया
मन भीतर

माँ की ममता
अथाह पारावार
पार न पाए

Sunday, December 2, 2012

दूरियां हों लाख - याद है जाती नहीं

दिन कहीं छुप खो गया है, रात भी बाकी नहीं।
मुश्किलें हैं हर कदम पर, बात बन पाती नहीं।।

इक दफा दिल पे कभी, जो राज कोई कर गया।
दूरियां हों लाख चाहे, याद फिर जाती नहीं।।

दिल्लगी कर दिल दुखाना, ठीक ये आदत नहीं।
पास तेरे दिल नहीं, तू और जज्बाती नहीं।।

नाज तेरी मैं वफ़ा पे, रात दिन करता रहा।
बेवफा तेरी कहानी पर, जुबाँ गाती नहीं।।

जख्म गर नासूर बनके, जिस्म को छलनी करे। 
मौत है ये जिंदगी, जो मौत कहलाती नहीं।।

Saturday, December 1, 2012

छलके -अंजु बूंद

छलके जब-जब अंजु, बूंद तब-तब,
तेरी सूरत लिए, निगाह निकली,

आई तेरी याद, जब एकाएक,
मेरे दिल में दर्द, आह निकली,

नामुमकिन तुझको, हुआ भुलाना,
तेरी इतनी यार, चाह निकली,
 
यूँ बेचैनी - बेबसी बढ़ी की,
पीड़ा हर पल छिन,अथाह निकली,

कातिल तेरी जब, हुई मुहब्बत,
हर धड़कन मेरी, गवाह निकली.

अंजु - आँसू 

Friday, November 30, 2012

जखम - छुपाना पड़ेगा

लबों पर हंसी को, बिछाना पड़ेगा,
निगाहों का पानी, सुखाना पड़ेगा,

नमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है,
जखम अपने दिल का, छुपाना पड़ेगा,

भरोसे के बदले, करे शक हमेशा,
मुहब्बत का लहजा, सिखाना पड़ेगा,

उदासी का आलम,हुआ साथ मेरे,
तबाही का बोझा, उठाना पड़ेगा,

वफ़ा करते-करते, लुटा चैन मेरा,
जुदाई में जिन्दा, जलाना पड़ेगा, 

नहीं इतनी अच्छी, सनम दिल्लगी है,
दगा का तुम्हें ऋण, चुकाना पड़ेगा।

Wednesday, November 28, 2012

इन दिनों - भाग चार

बिखरा है टूटा सारा, सामान इन दिनों,
आया है मेरे घर फिर, तूफ़ान इन दिनों,

लुट कर पहले खुद फिर,सबकुछ लुटा गया, 
चाहा है मेरे दिल ने, नुकसान इन दिनों,

जालिम वो जाजिब, है अपनी ओर खींचता,
लगता है बदला वो, बेईमान इन दिनों,

उरियां है सारा जीवन, बेजान सा लगे,
रूठा है मेरा मुझसे, भगवान इन दिनों,

दूरी की डोर नादिर है, गांठ दरमियाँ,
लगती हैं दिल राहें, सुनसान इन दिनों,

नैना हैं तेरे चाकू, दें घाव जब चले,  
लगता है लेकर छोड़ेंगे, जान इन दिनों,

बाजीचा हूँ, तेरी हांथों का नचा मुझे,
जिन्दा हूँ, मैं हूँ फिरभी,बेजान इन दिनों,


जाजिब-आकर्षक , उरियां-शून्य, नादिर-दुर्लभ,
बाजीचा-खिलौना 

Monday, November 26, 2012

घातक इश्क का विष

दिल की आदत को, बदला जाएगा,
ये दिल जब अपना, पगला जाएगा,

देखेंगे कितना, दम है इश्क में,
अब साँसों तक, ये मसला जाएगा,

करके कब्ज़ा सब, बैठे चोर हैं,
पकड़ो इनको तो, घपला जाएगा,

दे दे गम अपनी, यादों का अगर,
ये गम ही मुझको, बहला जाएगा,

बरसी है मेरी, आँखों में नमी,
कैसे चाहत का, नजला जाएगा,

घातक है चाहत का, विष जो चढ़ा,
मुस्किल से फिर दिन, अगला जाएगा।

Saturday, November 24, 2012

दिल था कच्चा - चटक गया

दिल था कच्चा, चटक गया,
मैं इस पथ में, भटक गया,

बंजर भी हूँ, विरान भी,
हरियाली को, खटक गया,

खंजर-चाकू,चली छुरी,
तेरी सुध में, अटक गया,

जर्जर दिल की, दिवार है,
नैना पानी, पटक गया,  

वश में धड़कन, नहीं रही,
दिल तो साँसे, गटक गया,

खुशियों में हाँथ, थाम के,
गम में आकर, झटक गया,

रूठा जब रब "अरुन" का,
कर से जीवन, छटक गया।।

Friday, November 23, 2012

इन दिनों - भाग तीन

तेरी बहुत आती है, याद इन दिनों,
दिल ने किया मुझको, बर्बाद इन दिनों,

गम ने निशाना, घर की ओर कर लिया,
कैदी बना है दिल, आज़ाद इन दिनों,

पागल मुझे तेरी, करती रही अदा,
कातिल तेरी अदा को, दाद इन दिनों,

डाली डकैती दिल की, जायदाद पर,
बढ़ता रहा हर दिन, बेदाद इन दिनों,

नक्बत इश्क में, आया "अरुन" के,
सुनता नहीं रब भी, फ़रियाद इन दिनों,

बेदाद - अत्याचार, 
नक्बत - दुर्भाग्य

Wednesday, November 21, 2012

जला है दिल "अरुन" का

नज़र में रात पार हो तो हो रहे, तो हो रहे,
नसीबा चूर यार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

बजी है धुन गिटार की, लगा है मन को रोग फिर,
जो टूटा प्रेम तार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

सबेरे-शाम-रात-दिन है, याद तेरी साथ बस
यही अगर जो प्‍यार  हो तो हो रहे, तो हो रहे,

नहीं हुआ है दर्द कम, दवा भी ली दुआ भी की,
ये ज़ख्‍़म बार-बार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

जला है दिल "अरुन" का, कुछ इस तरह से दोस्तों,
जलन ये जोरदार हो तो हो रहे, तो हो रहे.....
 
ये ग़ज़ल मैंने पंकज सुबीर सर के ब्लॉग के लिए लिखी थी, कुछ त्रुटियाँ थीं परन्तु पंकज सर नें त्रुटियों को संशोधित कर दिया है।
 
 

Sunday, November 18, 2012

कुछ - शे'र

होगा कैसा आगाज, देखा जाएगा,
कर लूं खुद को बर्बाद, देखा जाएगा,
जीना है मरना है, इश्क में हर घडी,
बाकी सब तेरे, बाद देखा जाएगा....

अश्कों पे कैसे, लगायेंगें ताले,
यादें तुम्हारी, जखम दिल में डाले,
बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।

दिन दूभर, लगी रात भारी।
ऐसी है, इश्क की बिमारी।।

शबनमी बूंदें, यूँ पलकों पे जमी होती है।
हम बहुत रोते हैं जब तेरी कमी होती है।।

इश्क नासूर, बेइलाज है।
जख्म नें बदला,मिजाज है।।
कभी आँखों से, बहे अश्क।
कभी दिल से दिल, नराज है।।  

Friday, November 16, 2012

इन दिनों - भाग दो

छलक जाता है आँखों से, सावन इन दिनों,
नसीबा टूटा है भारी है, मन इन दिनों,

सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,

क्यूँ है दिल में हलचल, ये भी मालुम नहीं,
नहीं माने मेरा कहना, धड़कन इन दिनों,

बसी है आखों में, तेरी सूरत जादुई,
लुटा चाहत में है दिल का, उपवन इन दिनों,

हुआ है दिल जबसे जख्मी, जागा है दर्द,
सभी से हो बैठी, मेरी अनबन इन दिनों,

बुझी है जीवन की लौ रह-2 के हर घडी,
जला है सांसों का, सारा ईंधन इन दिनों।

Sunday, November 11, 2012

चलो साथ मिलके दिवाली मनायें

चलो साथ मिलके, अँधेरा भगायें,
दिये रोशनी के, हम दिल से जलायें,

मिटा दें दिलों से, अमलन नफरतों को,
मुहब्बत नगर स्वच्छ, सुन्दर बसायें,

पिता-मात हैं, पावन मूरत खुदा की,
करें रोज़ पूजा, नतमस्तक झुकायें,

बहे प्रेम की दिल में, गंगा हमेशा,
गिरां जोड़, रिश्तों के भीतर लगायें,

पटाखे - मिठाई, हो सबको बधाई,
दिवाली पर्व आओ,मिलजुल मनायें।।

अमलन - सचमुच
गिरां - महत्वपूर्ण 

दीप पर्व एवं धनतेरस की सभी को हार्दिक शुभकामनायें

Saturday, November 10, 2012

इन दिनों - भाग एक

मुहब्बत का सूरज, ढला इन दिनों,
उजाला भी घर से, चला इन दिनों,

बिना तेरे जीना, सजा है लगे,
मुझे तेरा जाना, खला इन दिनों,

निगाहों से आंसू, बहे हर घडी,
जला दिल से ये, दिलजला इन दिनों,

तबाही का मंजर, बढ़ा दिन-ब -दिन,
उठा साँसों में, जलजला इन दिनों,

ख़ुशी तेरी यूँ ही, सलामत रहे,
दिया बन मैं तिल-2, जला इन दिनों,

वफ़ा करते-करते, जफा कर गये,
दुआ है तेरा हो, भला इन दिनों,

दर्द - बेचैनी - बेबसी रात दिन,
रहा खुशियों से, फासला इन दिनों। 

Thursday, November 8, 2012

कश्तियों का कातिल

जख्म मनमानी कर, खफा हो जाता है,
अश्क आँखों को, खामखा धो जाता है,

दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,

कश्तियों का कातिल, बवंडर सागर का,
लोभ में मांझी का, खुदा खो जाता है,

याद तेरी लाये, हवा का हर झोंका,
माफ़ करना ये दिल, अगर रो जाता है,

छोड़ जाता है साथ, जब कोई तन्हा,
लौट के आया कब चला, जो जाता है,

टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
मौत की बाँहों में, वही सो जाता है,

जाबित - मालिक, स्वामी 

Wednesday, November 7, 2012

मुझे इश्क की बिमारी लगी

दिन दूभर और रात भारी लगी,
जाने कैसी मुझे, बिमारी लगी, 

आँखों का हाल, दिल समझता नहीं,
साँसों में आग, रोज जारी लगी,

पागल हैं धडकनें, इश्क में इस कदर,
अब अच्छी और, बेकरारी लगी,

मीलों तक दूरियां, दिलों में रही,
 देती तकलीफ, याद खारी लगी,

बिखरी आबाद जिंदगी, इस तरह,
अत्र फूलों की लुटी, क्यारी लगी,

अत्र - सुगन्धित

Saturday, November 3, 2012

उसकी दुश्मनी, उसकी रिश्तेदारी,

कैसी आई समस्या, पाली कैसी बीमारी,
उसकी मुझसे दुश्मनी, उसकी दिल से रिश्तेदारी,

भीगी-भीगी दास्ताँ, कहती आँखें हैं जागी-जागी,
जिन्दा आफत धडकनों में, साँसों में मारामारी,

जर्जर मेरी काफिया, आवारा पागल मैं कातिब,
पेंचीदा मेरी ग़ज़ल है, आदत मेरी सरकारी,

दुर्भाग्य पूर्ण दर्द है, फंसी जिसमे है नारी,
मारी गुड़िया पेट में, तो कैसे गूंजे किलकारी,

अनजाने गम की खलिश, मुझमे सदियों से है कायम,
गमदीदा मेरी मुहब्बत, तेरी फितरत से हारी.


कातिब - लेखक

Friday, November 2, 2012

तुम्हे पाने की जिद

तुम्हे पाने की दिल में, उठी जो जिद नहीं होती,
दुनिया मेरी इस तरहा, लुटी हरगिज नहीं होती,

भीगी-भीगी आँखें हैं, सुबह से शाम तक यारों,
तेरी चाहत जो होती न, ये बारिश नहीं होती,

तेरी यादों का हर पल, मुझे बेचैन करता है,
मैं पागल कैसे होता, अगर साजिश नहीं होती,

हर पल अँधेरे से यूँ, दिलों के हैं भरे कमरें,
दिल के दर पे कोई, डोर जो बंदिश नहीं होती,

नादिर तेरी चाहत कैद है, दिन रात साँसों में,
ये दिल पत्थर यूँ होता न, जो रंजिश नहीं होती।।

नादिर - अनमोल

Wednesday, October 31, 2012

माँ के चरणों में

माँ के चरणों में भेजा है,
मैंने एक संदेश,

या तो मेरे घर आओ,
या मुझको दो आदेश,

मन का दरवाजा खोला,
माँ कर लो ना प्रवेश,

सेवा करने की खातिर,
मैं खिदमत में हूँ पेश,

न्योछावर जीवन करना,
अब मेरा है उद्देश्य,

चलना सच्ची राहों पे,
माँ देती हैं उपदेश।।।।

Saturday, October 27, 2012

कैसे मिलते राम

मारा-मारा फिरता है,
प्राणी चारों धाम,

मन के भीतर खोजा ना,
कैसे मिलते राम,

जीवन कैसा जीता है,
प्राणी हो गुमनाम,

एक दूजे के हिस्से हैं,
श्री राधे-घनश्याम,

किस्मत अपनी रूठे तो,
बनता बिगड़े काम,

होनी-अनहोनी सब,
भगवन तेरे नाम,

श्री राधा के चरणों में,
नतमस्तक प्रणाम।।

Friday, October 26, 2012

नेताओं का काम

झेले कैसे-कैसे है,
घोटाले आवाम,

सोंची समझी साजिश है,
नेताओं का काम,

कुछ दिन की भागा-दौड़ी,
सालों तक आराम,

सीधी-सादी जनता है,
समझे ना पैगाम,

धोखा-जिल्लत-मक्कारी,
बेंचे हैं बेदाम,

घूमे पहने खाकी,कर 
लाखों कत्लेआम ।।

Wednesday, October 24, 2012

बाप के कन्धों पे - हो बेटे का जनाजा

भार इस दुनिया में, 
किसका इतना जियादा,


बाप के कन्धों पे,
हो बेटे का जनाजा,


मौत से बद्तर,
है जीने का इरादा,

बदनसीबी कैसी,
है किस्मत ने नवाजा,

दुःख का है साया,
है जख्मों का तकाजा .....

Monday, October 22, 2012

वहीँ यादें तुम्हारी

वहीँ यादें तुम्हारी,
वहीँ आँखें मेरी नम,
वहीँ बातें तुम्हारी,
वहीँ पलछिन हैं हरदम,

न मुझमे आह है बाकी,
न मुझमे चाह है बाकी,
न पाई जख्म से राहत,
न कोई राह है बाकी,

वहीँ खुशियाँ तुम्हारी,
वहीँ जिन्दा मेरे गम,
वहीँ नींदें तुम्हारी,
वहीँ जागे-२ हम,

न मुझमे रंग हैं बाकी,
न साथी-संग हैं बाकी,
मिला है दर्द चाहत में,
दिलों में जंग हैं बाकी........

Sunday, October 21, 2012

जलता है आफ़ताब

शीतल है बहुत आब,
जलता है आफ़ताब,

बरसाए जब इताब,
भू का बढ़ जाए ताब,
 
चाहत का बद गिर्दाब,
बिखरेंगे टूट ख्वाब,
 
काँटा है यूँ ख़राब,
नाजुक फंसा गुलाब,
 
मन में अल का जवाब,
ढ़ूढ़ो पाओ ख़िताब.


(शब्दों के अर्थ)

आब = पानी
आफ़ताब = सूर्य
इताब = क्रोध
ताब = ताप
बद = बुरा
गिर्दाब = भंवर
अल = कला 

Friday, October 19, 2012

इश्क की मांग में

दिलों के खेल में,
धोखा भरपूर भरा है,
 

इश्क की मांग में,
गम का सिंदूर भरा है,
 

दर्द में टूटता,
आशिक मजबूर भरा है,
 

वफ़ा की राह में,
काँटों का चूर भरा है,
 

लुटी हैं कश्तियाँ,
सागर मगरूर भरा है,
 

जुबां पे प्यार की,
जख्मी दस्तूर भरा है,
 

गुलों के बाग़ में,
भौंरा मशहूर भरा है,
 

उम्र की दौड़ में,
दिक्कत नासूर भरा है......

Wednesday, October 17, 2012

धोखा मुझको हज़ार बक्शा

दिल का जिसको दारोमदार बख्शा,
दिल को उसने मेरे
मज़ार बख्शा,
 
दिल से ऐसे है दुश्मनी निभाई,
जख्मी गम का मुझको करार
बख्शा,
 
अपनी जिसको की जिंदगी हवाले,
काँटों को मेरा सब उधार
बख्शा,
 
साँसों का जिसको था खुदा बनाया,
धोखा उसने मुझको हज़ार
बख्शा....

Sunday, October 14, 2012

बयां होती नहीं हालत

दिलों के खेल में अक्सर,
लगे है जान की लागत,
 
दर्द में रो रहा है दिल,
पड़ी है रोज की आदत,
 
कहीं है दूर कोई तो,
कहीं फिर आज है स्वागत,
 
लुटा है चैन जब से दिल,
लगे हर रात को जागत,
 
खड़ा हो चल नहीं सकता,
बचे इतनी नहीं ताकत,
 
जले जब याद दिल में वो,
बयां होती नहीं हालत....

Friday, October 12, 2012

मेरा दिल है सनकी

मेरा दिल है पागल,
मेरा दिल है सनकी,

करता है हरदम ही,
ये दिल अपने मन की,
 
खतरा है दिल जैसे,
दोस्ती है दुश्मन की,
 
सूरत है तुझ जैसी,
इस दिल में दुल्हन की,
 
मेरा ये पागलपन,
चाहत है धड़कन की,
 
मज़बूरी में जीना,
आदत है जीवन की,
 
किस्मत टूटी जैसे,
टूटे हर बरतन की,
 
यादों में है अब भी,
माँ मेरे बचपन की,
 
साँसों की बेबसी,
खातिर है यौवन की,
 
रिमझिम सी बौछारें,
गिरती हैं सावन की,
 
नम-२ सी हैं पलकें,
बारिश में नयनन की.

Wednesday, October 10, 2012

सबके कंधे झुक जाते हैं

ये लौ बुझनी है साँसों की,
जल-2 कर तन के चूल्हों में,

सोने-चाँदी का क्या करना,
इक दिन मिलना है धूलों में,

काँटों से डर कर  क्यूँ जीना,
जी भर सोना है फूलों में, 

सबके कंधे झुक जाते हैं,
जब कर बढ़ता है मूलों में, 

हर पल जीता है मरता है,
झूले जो दिल के झूलों में, 
 

Monday, October 8, 2012

मुझे चाहत का भारी खजाना पड़ा

मरा गुमसुम मेरा दिल दिवाना पड़ा,
मुझे चाहत का भारी खजाना पड़ा,
 

"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"
 
मुझे जल-2 के खुद को बुझाना पड़ा,
मुझे खुद को ही दुश्मन बनाना पड़ा,
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

मुझे जख्मों से रिश्ता निभाना पड़ा,
मुझे खुद को ही पागल बताना पड़ा,
 
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

मुझे नींदों से खुद को उठाना पड़ा,
मुझे ख्वाबों को जिन्दा जलाना पड़ा,
 
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

मुझे अंखियों से सागर बहाना पड़ा,
मुझे खुशियों से दामन छुडाना पड़ा,
 
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

मुझे धड़कन पे ताला लगाना पड़ा,
मुझे साँसों को मरना सिखाना पड़ा,
 
"तेरे नैनों से नैना मिलाने के बाद"

Saturday, October 6, 2012

जलता है मसाल-दिल पर

छाया है अकाल -दिल पर,
पाला है बवाल - दिल पर,
 
बैठा है मलाल - दिल पर,
लाखों हैं सवाल -दिल पर,
 
यादें हैं हलाल -- दिल पर,
तेरा है खयाल -- दिल पर,

देखा है कमाल --दिल पर,
जलता है मसाल-दिल पर,

जख्मों की मजाल-दिल पर,
करता है धमाल --दिल पर, 

मारे है कुदाल ---दिल पर,
दिखता है पताल - दिल पर,
 
अश्कों का उबाल - दिल पर,
आँखें हैं निहाल ---दिल पर,
 
आया है भूचाल ---दिल पर,
मौसम है गुलाल --दिल पर.

Thursday, October 4, 2012

पागल आशिक हूँ मैं दिलजला दिल का

टूटा टूटा सा है ----- हौंसला दिल का,
जाने कैसा है ये --- सिलसिला दिल का, 

होता खुशियों से है --- फासला दिल का,
सोंचे जब-2 भी दिल है -- भला दिल का,
 
तिनका-तिनका बिखरी -- जिंदगी मेरी,
गम ये दिल को है, दिल से खला दिल का,
 
जीता - मरता हूँ ------ तेरे खयालों में,
पागल आशिक हूँ मैं - दिलजला दिल का,
 
साँसे ठहरीं हैं ------ धड़कन जुदा सी है,
बहता आँखों से है ---- जलजला दिल का,
 
जिद करता है दिल --- भूलूं न तुझको मैं,
चुभता मुझको है ये ----फैसला दिल का,
 
ढूंढा पर दिल का --- मिलता नहीं है हल, 
कितना मुस्किल है ये -- मामला दिल का,
 
फिरता रहता हूँ ------ मैं बावरा होकर,
जादू ऐसा है दिल पर --- चला दिल का,

उगता सूरज है दिल में --  ढला दिल का,
कोना-कोना है बुझके --- जला दिल का,

Monday, October 1, 2012

मुहब्बत की कारीगरी देखी

तबियत अपनी - जब हरी देखी,
मुहब्बत की - - - कारीगरी देखी,
 
उठा चाहत का -- जब पर्दा, मैंने,
नमी आँखों में थी ---  भरी देखी,
 
भुला दूँ तुझको -- याद या रक्खूं,
दर्द उलझन --- हालत बुरी देखी,
 
खफा है धड़कन - सांस अटकी है,
गले में हलचल ---- खुरदरी देखी,
 
सुर्ख रातें हैं ------ दिन बुझा सा है,
सुहानी शम्मा भी ------ मरी देखी,