आइये आपका स्वागत है

Sunday, March 11, 2012

जान जाएगी मेरी

जान जाएगी मेरी मोहोब्बत के इस जहर में.
मै हूँ मेहमान बस एक रात का तेरे शहर में.
पा ली  मोहोब्बत मगर खुद खो दिया मैंने,
थक गया चलते-चलते दर्द की इस डगर में.
देकर दिल मोहोब्बत की थी दौलत खरीदी,
बिक गया मुफ्त में,  चाहत बही  नहर  में,
मिल गया मिटटी में में सपनो का आशियाना
डर - डर के रहता हूँ अब भी उसी कहर में.

No comments:

Post a Comment

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर