आइये आपका स्वागत है

Tuesday, May 28, 2013

ग़ज़ल : प्यार का रोग दिल लगा लाया

(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ)
२१२२-१२१२-२२ 

फाइलातुन मुफाइलुन फेलुन 


प्यार का रोग दिल लगा लाया,
दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,

याद में डूब मैं सनम खुद को,
रात भर नींद में जगा लाया,

तुम ही से जिंदगी दिवाने की,
साथ मरने तलक लिखा लाया,

चाँद तारों के शहर में तुमसे,
फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,

तेरी अँखियों से लूट कर काजल,
मेघ घनघोर है घटा लाया.

18 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना
    क्या बात

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक ग़ज़ल की रचना,धन्यबाद मित्रवर.

    ReplyDelete
  3. अरुण जी बढ़िया ग़ज़ल ....

    चाँद तारों के शहर में तुमसे,
    फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,

    तेरी अँखियों से लूट कर काजल,
    मेघा घनघोर है घटा लाया.

    बहुत बहुत बधाई !

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुन्दर रचना।

    ReplyDelete
  5. वाह....
    आँखों का काजल मेघों में....
    बढ़िया ग़ज़ल....

    अनु

    ReplyDelete
  6. वाह !!!बहुत बेहतरीन सुंदर गजल ,,

    ReplyDelete
  7. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (29-05-2013) के सभी के अपने अपने रंग रूमानियत के संग ......! चर्चा मंच अंक-1259 पर भी होगी!
    सादर...!

    ReplyDelete
  8. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (29-05-2013) के सभी के अपने अपने रंग रूमानियत के संग ......! चर्चा मंच अंक-1259 पर भी होगी!
    सादर...!

    ReplyDelete


  9. प्रिय अरुण अनंत....

    प्यार का रोग दिल लगा लाया,

    दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,

    कौन बोला कि दिल लगा लाया

    मुफ्त में दर्द को बढ़ा लाया.......................क्या करें , होता है, होता है...

    याद में डूब मैं सनम खुद को,

    रात भर नींद में जगा लाया,

    मैं तो डूबा तुझे न बख्शूंगा

    नाव मँझधार में फँसा लाया....................आशिकी का मजा तभी है जब--दोनों तरफ हो आग बराबर लगी हुई...........

    तुम ही से जिंदगी दिवाने की,

    साथ मरने तलक लिखा लाया,

    बोल शुभ-शुभ मगर जरा हौले

    भ्रात बल्ला नया-नया लाया....................भाई सुन लेगा तो हसरत अभ्भी ही पूरी कर देगा...............

    चाँद तारों के शहर में तुमसे,

    फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया,

    प्यार का मर्म इसको कहते हैं

    एक ही घूँट ने नशा लाया........................इस हालिएगज़ल वजनदार शेर के लिए दिली मुबारकबाद............

    तेरी अँखियों से लूट कर काजल,

    मेघा घनघोर है घटा लाया.

    मोर नाचा हृदय के उपवन में

    मोरनी साथ में बुला लाया.......................काजली घटा की छटा देख कर मन का मोर झूम उठा...................

    ReplyDelete
  10. प्यार का रोग दिल लगा लाया,
    दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
    बेहतरीन गजल
    God Bless U

    ReplyDelete
  11. waah bahut badhiya ..pyaar ka rog hota hi aisa hai ..

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर गज़ल....

    ReplyDelete
  13. अरुण जी बढ़िया ग़ज़ल
    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ

    ReplyDelete
  14. प्यार का रोग दिल लगा लाया,
    दर्द तकलीफ भी बढ़ा लाया,
    बेहतरीन गजल
    :-)

    ReplyDelete
  15. वाह क्या कहने...
    बहुत उम्दा ग़ज़ल है ये तो!

    ReplyDelete
  16. wah achhi,sarthak,saras gazal.....

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर