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भास्कर भूमि.कॉम
आइये आपका स्वागत है
Monday, March 12, 2012
गुनाह
कुछ गुनाह हुए और, कुछ हुए गुनाहों को छुपाने के लिए.
मुझे मिलता रहा जख्म सिर्फ तुझको पाने के लिए.
वो हर वादे को तोड़ कर यूँ ही चल दिए.
मै सहता रहा दर्द इक वादे को निभाने के लिए.
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आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
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