आइये आपका स्वागत है

Monday, May 21, 2012

बदले हालात

हालात बदले हालत में हुई तबदीली,
ज़रा और हो गई फिर
तबीयत ढीली,
आँखें बरसीं इतनी कि कर गई गीली,
आज तन ने दर्दे-दिल कि नमी पी ली,
एक जनम में मैंने कई जिंदगी जी ली,
घाव जख्मों से मिले सारे दर्द ने सी ली.......

3 comments:

  1. समय का पहिया निरंतर चलता ही रहता है क्यूंकि बदलाव ही प्रकृति का नियम है सुंदर भाव संयोजन

    ReplyDelete
  2. आज तन ने दर्दे दिल की नमी पी ली......

    सुंदर..
    लिखते रहें...

    ReplyDelete
  3. बहुत बहुत शुक्रिया पल्लवी जी / अनु जी

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर