हालात बदले हालत में हुई तबदीली,
ज़रा और हो गई फिर तबीयत ढीली,
आँखें बरसीं इतनी कि कर गई गीली,
आज तन ने दर्दे-दिल कि नमी पी ली,
एक जनम में मैंने कई जिंदगी जी ली,
घाव जख्मों से मिले सारे दर्द ने सी ली.......
ज़रा और हो गई फिर तबीयत ढीली,
आँखें बरसीं इतनी कि कर गई गीली,
आज तन ने दर्दे-दिल कि नमी पी ली,
एक जनम में मैंने कई जिंदगी जी ली,
घाव जख्मों से मिले सारे दर्द ने सी ली.......
समय का पहिया निरंतर चलता ही रहता है क्यूंकि बदलाव ही प्रकृति का नियम है सुंदर भाव संयोजन
ReplyDeleteआज तन ने दर्दे दिल की नमी पी ली......
ReplyDeleteसुंदर..
लिखते रहें...
बहुत बहुत शुक्रिया पल्लवी जी / अनु जी
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