प्यासे लबों को पैमानों तक ले चलो,
हुस्न का किस्सा जमानों तक ले चलो,
मैं एक लाश हूँ, मुझे जिन्दा न समझो,
बस मुझे आखिरी इम्तेहानों तक ले चलो....
जो गुज़रा तेरा साथ, वो सफ़र बन गया,
मेरे दिल में तेरी खातिर घर बन गया,
मुझे चोट देकर तूने छोड़ा था जहाँ पर,
बेगाना वो मेरे लिए अब शहर बन गय....
हालात का हूँ मारा हौंसला-आफजाई चाहिए,
दिल को वफ़ा के बदले ना बेवफाई चाहिए,
जानता हूँ मानता हूँ विश्वास भी बहुत है,
मुझको न किसी बात की सफाई चाहिए...
हुस्न का किस्सा जमानों तक ले चलो,
मैं एक लाश हूँ, मुझे जिन्दा न समझो,
बस मुझे आखिरी इम्तेहानों तक ले चलो....
जो गुज़रा तेरा साथ, वो सफ़र बन गया,
मेरे दिल में तेरी खातिर घर बन गया,
मुझे चोट देकर तूने छोड़ा था जहाँ पर,
बेगाना वो मेरे लिए अब शहर बन गय....
हालात का हूँ मारा हौंसला-आफजाई चाहिए,
दिल को वफ़ा के बदले ना बेवफाई चाहिए,
जानता हूँ मानता हूँ विश्वास भी बहुत है,
मुझको न किसी बात की सफाई चाहिए...
No comments:
Post a Comment
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर