आइये आपका स्वागत है

Thursday, May 3, 2012

नजरिया बदल गया

नज़रों के देखने का नजरिया बदल गया,
दिलों में बह रहा , दरिया बदल गया,
कल तक मुझे संभाला आज जख्मों से किया छलनी,
क्या हुआ जो प्यार करने का जरिया बदल गया,
देर रात तलक एक दूजे से बात करके सोये,
सुबह के साथ - साथ संवरिया बदल गया.

No comments:

Post a Comment

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर