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Wednesday, June 13, 2012

नेताओं के विचार

तुम  वोट देना फिर से, हम चोट देंगे फिर से,
गरीबी से लहलहाता खेत, हम जोत देंगे फिर से,
ये सारी जनता - जनार्दन, मेरे हैं नोट के साधन,
करके इनकी जेब खाली, मेरे घर में भर लिया धन,  
हम आवाज उठाने वालों का गला घोंट देंगे फिर से,
हम जीत गए हैं, दुःख बीत गए हैं,
मेरे सुख के दिन आये, चैन सबका छीन लाये,
तुम विश्वास मुझपर करना, हम खोट देंगे फिर से,
जब आएगा इलेक्शन , हम तभी देंगे दर्शन,
बस दो-चार वादों से, जनता का जीतेंगे मन,
भ्रष्टाचार का नया हम, बिस्फोट देंगे फिर से.....
तुम  वोट देना फिर से, हम चोट देंगे फिर से.......
 

7 comments:

  1. बहुत अच्छा और सटीक व्यंग्य किया है आपने अरुण जी.

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  2. क्या कहने..
    बहुत ही बेहतरीन व्यंग रचना....
    :-)बहुत खूब....:-)

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  3. बहुत सुन्दर और सटीक व्यंग्य...

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  4. kafi dhardar vyang hai, sundar rachna.

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