मैं सीलन की बस्ती, नमी का ठिकाना,
मुझमे बारिश के मौसम का है जमाना,
कि सदा छाये रहते हैं, यादों के बादल,
नहीं छोड़ेंगे बिन किये मुझको पागल,
महंगा साबित हुआ मेरा दिल लगाना,
जख्मों के खातिर मुझे चुन लिया है,
ग़मों के धागों से मुझे बुन दिया है,
मैं उसके लिए इस जमीं का खज़ाना....
मुझमे बारिश के मौसम का है जमाना,
कि सदा छाये रहते हैं, यादों के बादल,
नहीं छोड़ेंगे बिन किये मुझको पागल,
महंगा साबित हुआ मेरा दिल लगाना,
जख्मों के खातिर मुझे चुन लिया है,
ग़मों के धागों से मुझे बुन दिया है,
मैं उसके लिए इस जमीं का खज़ाना....
बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी
ReplyDeleteमैं उसका दीवाना, मैं उसका दीवाना...
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