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Monday, July 2, 2012

मैं बदल जाता हूँ

मैं, तेरे छूने से बदल जाता हूँ,
कतरा-२ तुझमे पिघल जाता हूँ,
बनकर एहसास मुझमे पलती है,
मैं तेरे दुवाओं से संभल जाता हूँ,
राहें आसान होती हैं पथरीली भी,
मैं जब भी तेरे पीछे निकल जाता हूँ,
थाम लेती हैं हाँथ आगे बढ़कर,
मैं जब मजबूरियों में फिसल जाता हूँ....

4 comments:

  1. नहीं एहसान करते वो, अपना काम करते हैं -
    तुझको दिखा बाजार में, अपना नाम करते हैं ||

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  2. शुक्रिया भाई जान

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  3. वाह SIR क्या बात है

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