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Sunday, August 26, 2012

जख्मों की मुझको, है दौलत नवाजी

जख्मों की मुझको, है दौलत नवाजी,
यादों में जिन्दा, है हर बात ताजी,

नम-2 सी है, भीगी-2 निगाहें,

हारी है मैंने, जीती आज बाजी,

अक्सर सीने में, होती हैं हलचलें,

मरने को साँसे, हैं तैयार राजी,

कहते हैं नैना, सब मेरी कहानी,

पढ़ धीरे-२ , क्या है जल्दबाजी,

कहते हैं सब,  तुम झूठी बेवफा हो,

लेकिन तुम ये, कह दो है झूठ नाजी....

3 comments:

  1. सराहना के लिए बहुत-२ शुक्रिया मित्र

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  2. कहते हैं नैना, सब मेरी कहानी,
    पढ़ धीरे-२ , क्या है जल्दबाजी,....

    नैनों की भाषा है ... शीरे शीरे पढेंगे तो समझ आयगी ... सही कहा है ... खूबसूरत शेर ...

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    1. दिगम्बर सर यूँ ही अपना आशीर्वाद बनाये रखिये, धन्यवाद

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