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Friday, August 31, 2012

ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे

खंज़र वो सितमगर, लफ़्ज़ों से उतारे,
ठहरीं हैं कश्तियाँ, यादों के किनारे,
 
 उलझन है बेबसी, छाई है उदासी,
मैं तन्हा रह गया, अश्कों के सहारे,
 
मंजिल है दूर, मुस्किल है राह दोस्तों,
अब नज़रों को, नहीं जंचते है नज़ारे,
 
चुभते हैं फूल, काटों से रोज़ मुझको,
फूलों को कौन है, आखिर जो सुधारे,
 
ताज़ी -ताज़ी रही, हर पल याद मुझमे,
बुझती हर सांस आजा, तुझको पुकारे.......

10 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति...

    कुँवर जी,

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  2. शुक्रिया कुँवर जी

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  3. वाह ... बहुत ही बढिया ।

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    1. तहे दिल शुक्रिया सदा जी.

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  4. उलझन है बेबसी, छाई है उदासी,
    मैं तन्हा रह गया, अश्कों के सहारे,
    सब शेर अच्छे हैं मुबारक हो .......

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    1. बहुत-२ शुक्रिया सुनील सर.

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  5. Replies
    1. तहे दिल से अभिवादन आदरणीय धीरेन्द्र जी

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