आइये आपका स्वागत है

Friday, March 18, 2016

मैं मरुथल

हम दोनों के संबंधों की, केवल इतनी है सच्चाई ।
मैं मरुथल पसरा मीलों तक, तुम निर्झरणी सिंधु समाई ।।

मेरा जीवन ज्वलनशील है,
तुममें पूर्ण प्रेम, शीतलता,
मैं कठोर भीतर बाहर से,
तुममें केवल निहित सरलता,


युगों युगों से मैं प्यासा हूँ, मेरी तृष्णा बुझ ना पाई ।
मैं मरुथल पसरा मीलों तक, तुम निर्झरणी सिंधु समाई ।।
# अरुन अनन्त #

No comments:

Post a Comment

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर