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Wednesday, April 11, 2012

शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश

शिकवा नहीं कसम से मैं करता हूँ सिफारिश,
तुम मेरा तन भिगो दो चाहत की करके बारिश,
जीने दो मुझे कल तक, या आज मार दो तुम,
मैंने बना दिया अपनी साँसों का तुझको वारिश,
जी भर के देख लूँ मैं, बस इक बार सामने आ,
तेरी तस्वीर खींचने की आँखों ने की गुजारिश,
 
ख्वाइश है ये ज़रा सी तमन्ना भी बस यही है, 
कभी मेरे जहन से न मिटे प्यार की ये खारिश....

11 comments:

  1. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल दाद तो कुबूल करनी ही होगी ...

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  2. बेहतरीन तमन्नाएं और ख्वाहिशें...

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  3. बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ

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  4. आप सभी का धन्यवाद.....

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  5. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  6. शुक्रिया वंदना जी

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  7. खूबसूरत एहसास .....

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  8. बहुत-२ शुक्रिया अंजू जी

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