आइये आपका स्वागत है

Thursday, April 19, 2012

निहायत बत्तमीज़ हो

कभी शरीफ तो कभी निहायत बत्तमीज़ हो,
पागल मेरे दिल को फिर भी तुम अज़ीज़ हो,
आँखों में तेरी सूरत चाँद से भी खुबसूरत,
तुम्हे होंठों पर रखूं तो बेहद लज़ीज़ हो,
ओढ़ी है मैंने मन पर तेरे तन की चादर, 

मेरे दिल ने जो पहनी तुम वो कमीज़ हो,
जान से भी ज्यादा हिफाज़त तेरी करूँ,
साँसों से बढकर,तुम कीमत की चीज़ हो..

No comments:

Post a Comment

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर