किसी को मिले तो मुझको बताना,
यहीं कहीं खोया है दिल का खज़ाना,
फूलों के पौधों पे काँटों का कब्ज़ा,
मुश्किलों की डगर में मेरा ठिकाना,
समंदर उठा कर, हूँ आँखों में लाया,
अब मुझको है पलकों से नदियाँ बहाना,
कभी फुरसतों के जो मिले दो पल तो,
सजाऊँ मैं फिर से उजड़ा फ़साना,
मुझको मिली है उलझन अजब सी,
किया पेश किसने ये मुझे नजराना....
यहीं कहीं खोया है दिल का खज़ाना,
फूलों के पौधों पे काँटों का कब्ज़ा,
मुश्किलों की डगर में मेरा ठिकाना,
समंदर उठा कर, हूँ आँखों में लाया,
अब मुझको है पलकों से नदियाँ बहाना,
कभी फुरसतों के जो मिले दो पल तो,
सजाऊँ मैं फिर से उजड़ा फ़साना,
मुझको मिली है उलझन अजब सी,
किया पेश किसने ये मुझे नजराना....
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