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Thursday, May 17, 2012

मुस्किल हो गया

अब दिल के टुकड़ों को समेटना मुस्किल हो गया, 
तेरी सूरत से नज़रों को
सेंकना मुस्किल हो गया,
तबाह कर दी तेरी हर निशानी मगर, 
दिल से तुझको निकाल फेंकना मुस्किल हो गया,
नींद आती नहीं और यूँ ही
रात गुज़र जाती है,  
तले पलकों के आँखों का लेटना मुस्किल हो गया,
डाल दिया डेरा दर्द ने मेरे घर के चारों ओर
गले लगा खुशियों को भेंटना मुस्किल हो गया.....

1 comment:

  1. प्रिय अरुण शर्मा जी बहुत ही खूबसरत ब्लॉग और इसके kontent भी अच्छे हैं |
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    अब दिल के टुकड़ों को समेटना मुस्किल हो गया,
    तेरी सूरत से नज़रों को सेंकना मुस्किल हो गया,
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    धन्यवाद यहाँ पधारें http://www.akashsingh307.blogspot.in/

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