आइये आपका स्वागत है

Wednesday, May 16, 2012

सपने

खोने आँखों के होने जब से सपने लगे,
दर्द तेरी निहायतों से मेरे अपने लगे,
हिदायत भी दी, समझाया भी मगर,
जाने कैसे हम तेरा नाम जपने लगे,
बहुत ज्यादा न नजदीकियां रास आयीं,
जल्द ही यादों की आग में तपने लगे,
चुभन सीने में रोज़ तेज़ होने लगी,
दिल के पन्नों पे जब जख्म छपने लगे.....

6 comments:

  1. खूबसूरती से लिखे एहसास

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  2. अलोक जी, उपासना जी और संगीता जी आप सभी को बहुत बहुत शुक्रिया. धन्यवाद.

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  3. आपकी पोस्ट 17/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

    चर्चा - 882:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  4. एहसास की रचना

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आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर