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Monday, June 11, 2012

मुझे जगाने को

नींद को पड़ी आदत, मुझे जगाने को,
दर्द कोशिश करता है, गुदगुदाने को,
जब से मैं सोया हूँ, सदा के लिए,
उसके दिल में जगी चाहत मुझे उठाने को,
जिंदगी मेरी अब खुद रूठ गयी मुझसे,
भर कर माफ़ी लायी है मुझे मनाने को.....

5 comments:

  1. सुन्दर पंक्तियाँ अरुण जी.....

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  2. वाह क्या बात है ... नींद कों जगाने की आदत और दर्द कों दिल बहलाने की आदत ...

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  3. धन्यवाद दिगम्बर जी

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