आइये आपका स्वागत है

Sunday, June 10, 2012

हौसला न मिला

टूटकर बिखरे ऐसे की फिर हौसला न मिला,
बेगुनाही का मेरे आज तक फैसला न मिला,
भटकता रहता हूँ दर-ब-बदर लाख ठोकरें खा,
तन्हा जिंदगी बिताने को एक घोंसला न मिला,
दूरियां बढती गयीं और वक़्त के साथ - साथ,
मगर यादों के चुभे काटों से फासला न मिला,
सुना है लोग कहतें थे, कि जिंदगी खोखली है,
बहुत ढूंढा पर वो सुराख़ कहीं खोखला न मिला......

3 comments:

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर