आइये आपका स्वागत है

Friday, June 15, 2012

बात दिल की

बात दिल की निकल कर किताबों में आ गई,
वो आज रात फिर से मेरे खवाबों में आ गई,
मैंने पूंछा दिल से, दर्द की वजह है क्या,
उसकी सूरत नज़र मुझको जवाबों में आ गई,
मैंने सुना था कि होतें हैं फूल नाज़ुक, पर,
बड़ी बे-रहमियत अब गुलाबों में आ गई,
इक वो दवा, जो बे-मौत मार दे,
घुलकर इश्क से शबाबों में आ गई.........

5 comments:

  1. वाह वाह, बेहतरीन रचना पढने मिली, आज से हम आपके फ़ालोवर बन गए। मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में जहाँ रचा गया महाकाव्य मेघदूत।

    ReplyDelete
  2. बहुत -२ शुक्रिया ललित जी आपके भी ब्लॉग पर भ्रमण कर बड़ी प्रसंता हुई

    ReplyDelete
  3. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर