आइये आपका स्वागत है

Saturday, June 30, 2012

ठिकाने लगा दिए

जीने में जिंदगी ने ज़माने लगा दिए,
आँखों ने खुबसूरत निशाने लगा दिए,
सुहानी शाम जब-२ मुश्किलों से गुजरी,
रखकर लबों पे दो-चार पैमाने लगा दिए,
मिलती नहीं है अब तन्हाइयों से फुर्सत,
गलियों में कई गम के दवाखाने लगा दिए,
धोखे से बच गया, नज़रों को जो पढ़ गया,
जो फंस गए, उनको ठिकाने लगा दिए.........

3 comments:

  1. बहुत खूब
    क्या बात कही है.....
    बेहतरीन रचना.....
    :-)

    ReplyDelete
  2. शुक्रिया रीना जी

    ReplyDelete
  3. धोखे से बच गया, नज़रों को जो पढ़ गया,
    जो फंस गए, उनको ठिकाने लगा दिए.........

    पढ़ लिया फिर फंसे ही क्यों.
    बहुत खूब

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर