आइये आपका स्वागत है

Sunday, June 24, 2012

हंसके देख ले मुझको

हंसके देख ले मुझको, सुहानी शाम बन जाऊं,
लगकर तेरे जख्मों पे, सुख की बाम बन जाऊं,
शुकूं को भर दूँ तुझमे , चैन मैं बक्श दूँ तुझमे,
तेरी खुशियों के लिए मैं एक इल्जाम बन जाऊं,
गिरे ठोकर जब तू खाकर,तेरी बाहों में मैं आकर, 
तेरी ताकत की खातिर, बेशक बादाम बन जाऊं,
ख़ुशी के रास्ते हमदम, हों तेरे वास्ते हरदम,
काँटों के सफ़र में मैं, गिरके आराम बन जाऊं, 
सफ़र तेरा हो चुनिंदा, न कोई कर सके निंदा,
मैं तेरे वास्ते दिलबर बस ऐसा काम कर जाऊं......

7 comments:

  1. ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है.....अरुण जी
    नई पोस्ट .....मैं लिखता हूँ पर आपका स्वगत है

    ReplyDelete
  2. अभिवादन संजय भाई

    ReplyDelete
  3. वाह .. क्या बात है सच में किसी की लिए कुछ काम कर जाना ही जीवन है ...

    ReplyDelete
  4. बहुत खूब ! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

    ReplyDelete
  6. शुक्रिया सुनील जी

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर