तेरी भीगी निगाहों ने जब-जब छुआ है मुझे,
तेरा एहसास मिला तो कुछ-कुछ हुआ है मुझे,
फिसल कर छूट गया तेरा हाँथ मेरे हांथो से,
सितम गर ज़माने से मिली बददुआ है मुझे,
लगी है ठोकर संभालना बहुत मुस्किल है,
घूंट चाहत का लग रहा अब कडुआ है मुझे,
तरसती- बेबाक नज़रें ताकती हैं रास्तों को,
दिखा तेरी सूरत के बदले सिर्फ धुँआ है मुझे....
तेरा एहसास मिला तो कुछ-कुछ हुआ है मुझे,
फिसल कर छूट गया तेरा हाँथ मेरे हांथो से,
सितम गर ज़माने से मिली बददुआ है मुझे,
लगी है ठोकर संभालना बहुत मुस्किल है,
घूंट चाहत का लग रहा अब कडुआ है मुझे,
तरसती- बेबाक नज़रें ताकती हैं रास्तों को,
दिखा तेरी सूरत के बदले सिर्फ धुँआ है मुझे....
sundar prastuti |
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया SIR
ReplyDeletesaral abhivykti..
ReplyDelete**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
ReplyDelete~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
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बेहतरीन रचना
सावधान सावधान सावधान सावधान रहिए
♥ आपके ब्लॉग़ की चर्चा ब्लॉग4वार्ता पर ! ♥
♥ सावधान: एक खतरनाक सफ़र♥
♥ शुभकामनाएं ♥
ब्लॉ.ललित शर्मा
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बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुन्दर......
ReplyDeleteअनु
आप सभी का तहे दिल से शुर्किया
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