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Friday, July 20, 2012

उम्मीदों का कोना

लहू से लथपथ,  उम्मीदों का कोना है,
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है,

मिला लुटा हर लम्हा, जीवन का तिनका सा,
लबों पे रख कर लफ़्ज़ों को, जी भर रोना है,

छुड़ा के दामन अब वो दोस्त, अपना बदला,
मिला के आँखों का गम, सारा आलम धोना है,

जिगर में रखता हूँ, जलता -बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है,

कभी-कभी जब तबियत, दिल की बिगड़ी मेरे यारों,
निकाल साँसों को अपना दम खुद ही खोना है..........

18 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (21-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  2. वाह, बहुत खूब समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/

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  3. बहुत खूब !!
    सोना रोना धोना खोना चलता रहता है
    संजोना इनमें सब से अच्छा रहता है

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  4. बहुत सुन्दर अरुण जी....
    आपकी लेखनी में दिनों-दिन निखार है..
    वाह...

    अनु

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  5. आदरणीय मयंक SIR सुशील SIR एवं आदरणीया अनु जी पल्लवी जी, आप सभी के स्नेह मिला मैं धन्य हो गया. बहुत -२ शुक्रिया.

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  6. बहुत खूब,
    बहुत सुंदर लिखा है आपने !!

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  7. बहुत सुन्दर..... बहुत -२ शुक्रिया.

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    1. आपका हार्दिक अभिनन्दन

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  8. Replies
    1. मेहरबानी आदरणीय रविकर SIR

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  9. सच कहना है इनका,बस है यह अनमोल खजाना
    जीवन की हर खुशियाँ तज कर,यह दौलत है पाना,,,,,,,

    सुंदर प्रस्तुति,,,,,,,

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    1. शुक्रिया धीरेन्द्र सर

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  10. आदरणीय धर्मेन्द्र जी आपका तहे दिल से शुक्रिया

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    1. शुक्रिया आदरणीया संगीता पुरी जी

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  12. Replies
    1. शुक्रिया-शुक्रिया चौहान साहब

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