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Monday, July 30, 2012

खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है

अजनबी पर ना भरोसा कर अभी सुनसान है।
लूट कर सब चल बसेगा साथ जो सामान है।।

पूंछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का।
यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है।।

शोर गलियों में मचा है, वो बनी दुल्हन मिरी।
प्यार मेरा आज देखो चढ़ रहा परवान है।।

इश्क से ये दिल हमेशा यार क्यूँ डरता रहा।
इश्क तुमको पा लगा मुझको बड़ा आसान है।।

ताड़ते इज्ज़त घरों की फिर दुशाशन रूप में।  
खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है।।

28 comments:

  1. पूछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का
    यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है ....

    बहुत खूब....!!

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  2. बहुत-२ शुक्रिया इस स्नेह और आशीर्वाद के लिए............

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार को ३१/७/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका स्वागत है

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    1. बहुत-२ शुक्रिया आदरणीया

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  4. यह तोसही है की कुछ लोग दिखाते मानव है.
    पर प्रवृत्ति उनकी शैतानी है..
    यथार्थ बयां करती रचना...
    :-)

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  5. पूछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का
    यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है ....

    बहुत बेहतरीन,,,,,,,,,,

    RECENT POST,,,इन्तजार,,,

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  6. पूंछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का।
    यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है ..

    सच कहा है ... आज की तो पहचान यही है .. आज को लिखा है ...

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    1. शुक्रिया आदरणीय दिगम्बर जी

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  7. पूंछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का।
    यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है।।

    ...बहुत खूब! एक कटु सत्य...

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    1. आदरणीय कैलाश सर आपकी टिप्पणियों से मुझे बल मिलता है , शुक्रिया

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  8. सटीक पंक्तियाँ ...अर्थपूर्ण

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  9. पूछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का
    यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है ....

    अच्छा कटाक्ष....

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    1. आदरणीया डॉ. साहिबा बहुत-२ शुक्रिया

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  10. वर्तमान परिस्थितियों का सटीक चित्रण... सार्थक प्रस्तुति

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  11. बहुत खुब. बेहतरीन गज़ल.

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    1. निगम साहब आपका आशीर्वाद यूँ ही बना रहे.

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  13. आज के इंसान और माहौल का सही चित्रण किया है अरुण...बहुत खूब!

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    1. बहुत-२ शुक्रिया शालिनी जी

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