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Monday, August 20, 2012

आँखों से मेरे दोस्त, ना निशाने का शौक रख

आँखों से मेरे दोस्त, ना निशाने का शौक रख,
पागल दिल है, दिल से दिल ना लगाने का शौक रख,

गायब हो ना जाये, ये नींद आँखों से रात की,
यादों में इतना खुद को ना जगाने का शौक रख,

चाहत में थोडा तो रख तू भरोसा, शक छोड़ दे,
लम्हा-लम्हा ऐसे, ना आजमाने का शौक रख,

राहों पर बिखरे हैं पत्थर, ज़रा चल, संभल ज़रा,
ठोकर हैं दुश्मन, दोस्त ना बनाने का शौक रख,

आ सकती है फिर ये पागल हवा, लेकर जलज़ला,
 तूफानों को अपने घर ना बिठाने का शौक रख............

14 comments:

  1. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 22/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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    1. यशोदा जी सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया, मेरी रचना को आपने ने नयी-पुरानी-हलचल के मंच पर लिंक किया बहुत-२ शुक्रिया

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  2. चाहत में थोडा तो रख तू भरोसा, शक छोड़ दे,
    लम्हा-लम्हा ऐसे, ना आजमाने का शौक रख,
    वाह बहुत सुंदर ......

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    1. सुनील सर बस इसी वाह शब्द की तलाश रहती है, शुक्रिया

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  3. गायब हो ना जाये, ये नींद आँखों से रात की,
    यादों में इतना खुद को ना जगाने का शौक रख,..

    बहुत खूब ... सच है अगर जागते रहे तो सपनों का क्या होगा ... लाजवाब शेर ...

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    1. तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय दिगम्बर जी

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  4. बहुत ही बढ़िया गजल


    सादर

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    1. आदरणीय यशवंत साहब अभिवादन

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  5. Replies
    1. आदरणीया संगीता जी सराहना के लिए हार्दिक अभिनन्दन .

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  6. bahut bahut acchi gazal...enjoyed reading every line of it

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  7. bahut bahut badhiya gazal...njoyed every line of it

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    1. सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया

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  8. वाह|||
    बहुत -बहुत बेहतरीन गजल..
    लाजवाब.....
    :-)

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