आँखों से मेरे दोस्त, ना निशाने का शौक रख,
पागल दिल है, दिल से दिल ना लगाने का शौक रख,
गायब हो ना जाये, ये नींद आँखों से रात की,
यादों में इतना खुद को ना जगाने का शौक रख,
चाहत में थोडा तो रख तू भरोसा, शक छोड़ दे,
लम्हा-लम्हा ऐसे, ना आजमाने का शौक रख,
राहों पर बिखरे हैं पत्थर, ज़रा चल, संभल ज़रा,
ठोकर हैं दुश्मन, दोस्त ना बनाने का शौक रख,
आ सकती है फिर ये पागल हवा, लेकर जलज़ला,
तूफानों को अपने घर ना बिठाने का शौक रख............
आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 22/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteयशोदा जी सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया, मेरी रचना को आपने ने नयी-पुरानी-हलचल के मंच पर लिंक किया बहुत-२ शुक्रिया
Deleteचाहत में थोडा तो रख तू भरोसा, शक छोड़ दे,
ReplyDeleteलम्हा-लम्हा ऐसे, ना आजमाने का शौक रख,
वाह बहुत सुंदर ......
सुनील सर बस इसी वाह शब्द की तलाश रहती है, शुक्रिया
Deleteगायब हो ना जाये, ये नींद आँखों से रात की,
ReplyDeleteयादों में इतना खुद को ना जगाने का शौक रख,..
बहुत खूब ... सच है अगर जागते रहे तो सपनों का क्या होगा ... लाजवाब शेर ...
तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय दिगम्बर जी
Deleteबहुत ही बढ़िया गजल
ReplyDeleteसादर
आदरणीय यशवंत साहब अभिवादन
Deleteबेहतरीन गज़ल
ReplyDeleteआदरणीया संगीता जी सराहना के लिए हार्दिक अभिनन्दन .
Deletebahut bahut acchi gazal...enjoyed reading every line of it
ReplyDeletebahut bahut badhiya gazal...njoyed every line of it
ReplyDeleteसराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया
Deleteवाह|||
ReplyDeleteबहुत -बहुत बेहतरीन गजल..
लाजवाब.....
:-)