भार इस दुनिया में,
किसका इतना जियादा,
बाप के कन्धों पे,
हो बेटे का जनाजा,
मौत से बद्तर,
है जीने का इरादा,
बदनसीबी कैसी,
है किस्मत ने नवाजा,
दुःख का है साया,
है जख्मों का तकाजा .....
किसका इतना जियादा,
बाप के कन्धों पे,
हो बेटे का जनाजा,
मौत से बद्तर,
है जीने का इरादा,
बदनसीबी कैसी,
है किस्मत ने नवाजा,
दुःख का है साया,
है जख्मों का तकाजा .....
विजयादशमी की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteसादर --
रविकर सर आपको भी विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteछोटी पर सारगर्भित रचना
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया मित्र
Deleteउम्दा सारगर्भित,,,
ReplyDeleteविजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
RECENT POST...: विजयादशमी,,,
आभार धीरेन्द्र सर
Deleteबच्चों की ख़ुशी ही बाप की ख़ुशी होती है।
ReplyDeleteऐसा दर्द बयाँ करने में भी हिम्मत की जरूरत होती है।
आभार !!
तहे दिल से आभार रोहितास जी.
Deleteसच में इससे बड़ा बोझ और कोई नहीं...
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...
सत्य है रीना जी धन्यवाद.
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