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Wednesday, October 24, 2012

बाप के कन्धों पे - हो बेटे का जनाजा

भार इस दुनिया में, 
किसका इतना जियादा,


बाप के कन्धों पे,
हो बेटे का जनाजा,


मौत से बद्तर,
है जीने का इरादा,

बदनसीबी कैसी,
है किस्मत ने नवाजा,

दुःख का है साया,
है जख्मों का तकाजा .....

10 comments:

  1. विजयादशमी की शुभकामनाएं |
    सादर --

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    1. रविकर सर आपको भी विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. छोटी पर सारगर्भित रचना

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  3. उम्दा सारगर्भित,,,

    विजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
    RECENT POST...: विजयादशमी,,,

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  4. बच्चों की ख़ुशी ही बाप की ख़ुशी होती है।
    ऐसा दर्द बयाँ करने में भी हिम्मत की जरूरत होती है।

    आभार !!

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    1. तहे दिल से आभार रोहितास जी.

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  5. सच में इससे बड़ा बोझ और कोई नहीं...
    मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति...

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    1. सत्य है रीना जी धन्यवाद.

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