छलक जाता है आँखों से, सावन इन दिनों,
नसीबा टूटा है भारी है, मन इन दिनों,
सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,
क्यूँ है दिल में हलचल, ये भी मालुम नहीं,
नहीं माने मेरा कहना, धड़कन इन दिनों,
बसी है आखों में, तेरी सूरत जादुई,
लुटा चाहत में है दिल का, उपवन इन दिनों,
हुआ है दिल जबसे जख्मी, जागा है दर्द,
सभी से हो बैठी, मेरी अनबन इन दिनों,
बुझी है जीवन की लौ रह-2 के हर घडी,
जला है सांसों का, सारा ईंधन इन दिनों।
बहुत सच्चे भाव है अरुण भाई...पढ़कर अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया मित्र निहार रंजन जी
Deleteवाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteअनेक-2 धन्यवाद सदा दी
Deleteबेहद सुन्दर भाव पूर्ण प्रस्तुति ..शुभ कामनाएं भाई अरुण जी
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया श्रीप्रकाश भाई.
Deleteछलक जाता है आँखों से, सावन इन दिनों,
ReplyDeleteनसीबा टूटा है भारी है, मन इन दिनों,
सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,
क्यूँ है दिल में हलचल, ये भी मालुम नहीं,
नहीं माने मेरा कहना, धड़कन इन दिनों,
सावन भादों नैना भये पत्नारे से , अब तो धड़के है दिल भी किसी और के इशारे पर ...बढ़िया आगाज़े मोहब्बत है,अंजाम देखा जाएगा .
अनेक-2 धन्यवाद वीरेंद्र सर
DeleteBahut badhiya..:)))
ReplyDeleteशुक्रिया सुमन जी
Deleteइन दिनों हाल बहुत गंभीर है..
ReplyDeleteबहुत बढियां रचना...
:-)
बहुत- शुक्रिया रीना बहन
Deleteभाई साहब बहुत ही उम्दा गजल ... एक-एक शेर बेहद संजोया हुआ है।
ReplyDeleteक्या कहने ....
बहुत-2 शुक्रिया रोहित भाई
Delete
ReplyDeleteसदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,
बहुत खूब !बहुत खूब !बहुत खूब !
इब्तिदाए इश्क है रोता है क्या ,
आगे आगे देखिये होता है क्या ?
ह्रदय के अन्तःस्थल से शुक्रिया वीरेंद्र सर
Deletebahut sundar sher hai...
ReplyDeletehttp://kahanikahani27.blogspot.in/
बहुत-2 शुक्रिया कविता जी
Deleteदिल को सुकून रूह को आराम मिल जाए
ReplyDeleteपास बैठे जो तू दो पल को ...इन दिनों
भाई वाह अरुण..बहुत सुन्दर रचना!
हार्दिक आभार शालिनी जी.
Deleteबेहद सुन्दर ..... भाई अरुण जी
ReplyDeleteशुक्रिया राज भाई बहुत-2 शुक्रिया
Deleteबहुत ही उम्दा गजल.......अरुण जी मजा आ गया
ReplyDeleteअनेक-2 धन्यवाद भ्राताश्री संजय जी
Delete