आइये आपका स्वागत है

Sunday, November 18, 2012

कुछ - शे'र

होगा कैसा आगाज, देखा जाएगा,
कर लूं खुद को बर्बाद, देखा जाएगा,
जीना है मरना है, इश्क में हर घडी,
बाकी सब तेरे, बाद देखा जाएगा....

अश्कों पे कैसे, लगायेंगें ताले,
यादें तुम्हारी, जखम दिल में डाले,
बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।

दिन दूभर, लगी रात भारी।
ऐसी है, इश्क की बिमारी।।

शबनमी बूंदें, यूँ पलकों पे जमी होती है।
हम बहुत रोते हैं जब तेरी कमी होती है।।

इश्क नासूर, बेइलाज है।
जख्म नें बदला,मिजाज है।।
कभी आँखों से, बहे अश्क।
कभी दिल से दिल, नराज है।।  

30 comments:

  1. बहुत खुब. अच्छा लगा.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-2 शुक्रिया अमित जी.

      Delete
  2. वाह वाह तभी तो कहते है कि प्‍यार तो कठिन है

    यूनिक तकनकी ब्ला ग

    ReplyDelete
  3. बहुत ख़ूब!
    आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 19-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1068 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहे दिल से शुक्रिया गाफिल सर.

      Delete
  4. बहुत सुन्दर रचना है.

    http://pachhuapawan.blogspot.in/2012/11/blog-post_16.html

    ReplyDelete
  5. बढ़िया है अरुण जी ।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-2 शुक्रिया आदरणीय रविकर सर

      Delete
  6. सभी शेर बहुत अच्छे लगे
    बहुत बढियाँ..बहुत बेहतरीन...
    :-)

    ReplyDelete
  7. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर

      Delete
  8. वाह ... बहुत खूब।

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

    ReplyDelete
    Replies
    1. सक्सेना साहब आपका स्नेह मिला बड़ा अच्छा लगा, बहुत-2 शुक्रिया

      Delete
  10. Replies
    1. धन्यवाद आदरणीया शारदा जी

      Delete
  11. बहुत बढ़िया शेर....विशेष रूप से पहला व चौथा तो लाजवाब है!

    ReplyDelete
  12. अश्कों पे कैसे, लगायेंगें ताले,
    यादें तुम्हारी, जखम दिल में डाले,
    बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
    घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।
    बहुत सुन्दर शानदार लिखा बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहे दिल से आभार आदरेया राजेश कुमारी जी

      Delete

  13. दिन दूभर, लगी रात भारी।
    ऐसी है, इश्क की बिमारी।।

    शबनमी बूंदें, यूँ पलकों पे जमी होती है।
    हम बहुत रोते हैं जब तेरी कमी होती है।।

    इश्क नासूर, बेइलाज है।
    जख्म नें बदला,मिजाज है।।
    कभी आँखों से, बहे अश्क।
    कभी दिल से दिल, नराज है।।

    बढ़िया प्रस्तुति दोस्त .

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-2 शुक्रिया आदरणीय वीरेंद्र सर

      Delete
  14. बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
    घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।
    बहुत सुन्दर शानदार ......... बधाई

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर