होगा कैसा आगाज, देखा जाएगा,
कर लूं खुद को बर्बाद, देखा जाएगा,
जीना है मरना है, इश्क में हर घडी,
बाकी सब तेरे, बाद देखा जाएगा....
कर लूं खुद को बर्बाद, देखा जाएगा,
जीना है मरना है, इश्क में हर घडी,
बाकी सब तेरे, बाद देखा जाएगा....
अश्कों पे कैसे, लगायेंगें ताले,
यादें तुम्हारी, जखम दिल में डाले,
बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।
दिन दूभर, लगी रात भारी।
ऐसी है, इश्क की बिमारी।।
शबनमी बूंदें, यूँ पलकों पे जमी होती है।
हम बहुत रोते हैं जब तेरी कमी होती है।।
इश्क नासूर, बेइलाज है।
जख्म नें बदला,मिजाज है।।
कभी आँखों से, बहे अश्क।
कभी दिल से दिल, नराज है।।
यादें तुम्हारी, जखम दिल में डाले,
बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।
दिन दूभर, लगी रात भारी।
ऐसी है, इश्क की बिमारी।।
शबनमी बूंदें, यूँ पलकों पे जमी होती है।
हम बहुत रोते हैं जब तेरी कमी होती है।।
इश्क नासूर, बेइलाज है।
जख्म नें बदला,मिजाज है।।
कभी आँखों से, बहे अश्क।
कभी दिल से दिल, नराज है।।
बहुत खुब. अच्छा लगा.
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया अमित जी.
Deleteवाह वाह तभी तो कहते है कि प्यार तो कठिन है
ReplyDeleteयूनिक तकनकी ब्ला ग
शुक्रिया विनोद भाई.
Deleteबहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 19-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1068 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
तहे दिल से शुक्रिया गाफिल सर.
Deleteबहुत सुन्दर रचना है.
ReplyDeletehttp://pachhuapawan.blogspot.in/2012/11/blog-post_16.html
बहुत-2 शुक्रिया मित्र
Deletebhavpoorn abhivyakti badhai
ReplyDeleteशुक्रिया शालिनी जी
Deleteबढ़िया है अरुण जी ।।
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया आदरणीय रविकर सर
Deleteसभी शेर बहुत अच्छे लगे
ReplyDeleteबहुत बढियाँ..बहुत बेहतरीन...
:-)
शुर्किया रीना जी
Deleteवाह,,,सभी शेर अच्छे लगे,,,अरुन जी ,,बधाई
ReplyDeleterecent post...: अपने साये में जीने दो.
हार्दिक आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर
Deleteवाह ... बहुत खूब।
ReplyDeleteधन्यवाद सदा दीदी
Deleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
सक्सेना साहब आपका स्नेह मिला बड़ा अच्छा लगा, बहुत-2 शुक्रिया
Deletebadhiya Arun ji...
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया शारदा जी
Deleteबहुत बढ़िया शेर....विशेष रूप से पहला व चौथा तो लाजवाब है!
ReplyDeleteशुक्रिया शालिनी जी
Deleteअश्कों पे कैसे, लगायेंगें ताले,
ReplyDeleteयादें तुम्हारी, जखम दिल में डाले,
बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।
बहुत सुन्दर शानदार लिखा बहुत बहुत बधाई
तहे दिल से आभार आदरेया राजेश कुमारी जी
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ReplyDeleteदिन दूभर, लगी रात भारी।
ऐसी है, इश्क की बिमारी।।
शबनमी बूंदें, यूँ पलकों पे जमी होती है।
हम बहुत रोते हैं जब तेरी कमी होती है।।
इश्क नासूर, बेइलाज है।
जख्म नें बदला,मिजाज है।।
कभी आँखों से, बहे अश्क।
कभी दिल से दिल, नराज है।।
बढ़िया प्रस्तुति दोस्त .
बहुत-2 शुक्रिया आदरणीय वीरेंद्र सर
Deleteबदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
ReplyDeleteघर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।
बहुत सुन्दर शानदार ......... बधाई
धन्यवाद चौहान साहब
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