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Friday, November 23, 2012

इन दिनों - भाग तीन

तेरी बहुत आती है, याद इन दिनों,
दिल ने किया मुझको, बर्बाद इन दिनों,

गम ने निशाना, घर की ओर कर लिया,
कैदी बना है दिल, आज़ाद इन दिनों,

पागल मुझे तेरी, करती रही अदा,
कातिल तेरी अदा को, दाद इन दिनों,

डाली डकैती दिल की, जायदाद पर,
बढ़ता रहा हर दिन, बेदाद इन दिनों,

नक्बत इश्क में, आया "अरुन" के,
सुनता नहीं रब भी, फ़रियाद इन दिनों,

बेदाद - अत्याचार, 
नक्बत - दुर्भाग्य

18 comments:

  1. फरियादी के दर्द से, इनका क्या सम्बन्ध ?
    जलवे से जलता जगत, ठगी मुहब्बत अंध |
    ठगी मुहब्बत अंध, मशीनें बनती काया |
    मरा सुकोमल भाव, ग़मों में सदा डुबाया |
    करुण अरुण जा चेत, बड़ी जालिम बेदादी |
    आदी कातिल जान, मरा रविकर फरियादी ||

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  2. बढिया है. लिखते रहे

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  3. बहुत सुंदर उत्कृष्ट रचना,,,बधाई अरुण जी,,

    recent post : प्यार न भूले,,,

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    1. तहे दिल से धन्यवाद धीरेन्द्र सर

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  4. बहुत-2 शुक्रिया सदा दीदी

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति दिल को छू जाती हैं पंक्तियाँ बहुत बहुत बधाई

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    1. तहे दिल से शुक्रिया संजय भाई

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  6. बहुत बढियां...
    इन दिनों का सिलसिला..
    :-)

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  7. Replies
    1. बहुत-2 शुक्रिया दिव्या जी

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  8. नक्बत इश्क में, आया "अरुन" के,
    सुनता नहीं रब भी, फ़रियाद इन दिनों,

    अच्छा शैर है ,रब बदल लो ,कई घूमते है गली गली इन दिनों .

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    1. वाह वीरेंद्र सर क्या बात कही है रब बदल लो.

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  9. सुंदर रचना । फरियाद को रब भी नही सुन रहा ।

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    1. तहे दिल से आभार आदरणीया आशा जी

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