तेरी बहुत आती है, याद इन दिनों,
दिल ने किया मुझको, बर्बाद इन दिनों,
गम ने निशाना, घर की ओर कर लिया,
कैदी बना है दिल, आज़ाद इन दिनों,
पागल मुझे तेरी, करती रही अदा,
कातिल तेरी अदा को, दाद इन दिनों,
डाली डकैती दिल की, जायदाद पर,
बढ़ता रहा हर दिन, बेदाद इन दिनों,
नक्बत इश्क में, आया "अरुन" के,
सुनता नहीं रब भी, फ़रियाद इन दिनों,
बेदाद - अत्याचार,
नक्बत - दुर्भाग्य
फरियादी के दर्द से, इनका क्या सम्बन्ध ?
ReplyDeleteजलवे से जलता जगत, ठगी मुहब्बत अंध |
ठगी मुहब्बत अंध, मशीनें बनती काया |
मरा सुकोमल भाव, ग़मों में सदा डुबाया |
करुण अरुण जा चेत, बड़ी जालिम बेदादी |
आदी कातिल जान, मरा रविकर फरियादी ||
आभार रविकर सर
Deleteबढिया है. लिखते रहे
ReplyDeleteशुक्रिया पवन जी
Deleteबहुत सुंदर उत्कृष्ट रचना,,,बधाई अरुण जी,,
ReplyDeleterecent post : प्यार न भूले,,,
तहे दिल से धन्यवाद धीरेन्द्र सर
Deleteबहुत-2 शुक्रिया सर
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया सदा दीदी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति दिल को छू जाती हैं पंक्तियाँ बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया संजय भाई
Deleteबहुत बढियां...
ReplyDeleteइन दिनों का सिलसिला..
:-)
शुक्रिया रीना जी
DeleteBeautiful creation..
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया दिव्या जी
Deleteनक्बत इश्क में, आया "अरुन" के,
ReplyDeleteसुनता नहीं रब भी, फ़रियाद इन दिनों,
अच्छा शैर है ,रब बदल लो ,कई घूमते है गली गली इन दिनों .
वाह वीरेंद्र सर क्या बात कही है रब बदल लो.
Deleteसुंदर रचना । फरियाद को रब भी नही सुन रहा ।
ReplyDeleteतहे दिल से आभार आदरणीया आशा जी
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