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Saturday, November 10, 2012

इन दिनों - भाग एक

मुहब्बत का सूरज, ढला इन दिनों,
उजाला भी घर से, चला इन दिनों,

बिना तेरे जीना, सजा है लगे,
मुझे तेरा जाना, खला इन दिनों,

निगाहों से आंसू, बहे हर घडी,
जला दिल से ये, दिलजला इन दिनों,

तबाही का मंजर, बढ़ा दिन-ब -दिन,
उठा साँसों में, जलजला इन दिनों,

ख़ुशी तेरी यूँ ही, सलामत रहे,
दिया बन मैं तिल-2, जला इन दिनों,

वफ़ा करते-करते, जफा कर गये,
दुआ है तेरा हो, भला इन दिनों,

दर्द - बेचैनी - बेबसी रात दिन,
रहा खुशियों से, फासला इन दिनों। 

11 comments:


  1. वफ़ा करते-करते, जफा कर गये,
    दुआ है तेरा हो, भला इन दिनों,


    दिवाली शुभ हो ,मुबारक हो ,सेहत मंद रहें सभी .

    खूब सूरत हैं अंदाज़ आपके फिर वो क्यों वफा करते करते जफा कर गए ,वायदे मोहब्बत बिखर क्यों गए ?

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    1. आदरणीय वीरेंद्र सर दीपावली की आपको भी ढेरों शुभकामनाएं

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  2. बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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  3. वफा करते करते,जफा कर गए,
    दुआ है तेरा हो,भला इन दिनों,,,,

    दीपावली की हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए,,,,
    RECENT POST:....आई दिवाली,,,100 वीं पोस्ट,

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    1. धीरेन्द्र सर शुक्रिया दीपावली की आपको भी हार्दिक बहुत२ शुभकामनाए .

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  4. बहुत ही बढियाँ गजल है...
    भावपूर्ण अहसास लिए...
    हृदयस्पर्शी....
    दीपावली की शुभकामनाएँ....
    :-)

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    1. रीना जी दिवाली की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें.

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  5. क्या बात है अरुण जी, आपका ब्लॉग तो दीवाली के दीयों से रोशन हो उठा है..बहुत सुन्दर... एक सुन्दर रचना के साथ!

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    1. बहुत-2 शुक्रिया शालिनी जी

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  6. आदरणीय शास्त्री सर दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें, रचना को स्थान देने हेतु बहुत-2 धन्यवाद.

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