जख्म मनमानी कर, खफा हो जाता है,
अश्क आँखों को, खामखा धो जाता है,
दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
रोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,
कश्तियों का कातिल, बवंडर सागर का,
लोभ में मांझी का, खुदा खो जाता है,
याद तेरी लाये, हवा का हर झोंका,
माफ़ करना ये दिल, अगर रो जाता है,
छोड़ जाता है साथ, जब कोई तन्हा,
लौट के आया कब चला, जो जाता है,
टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
मौत की बाँहों में, वही सो जाता है,
जाबित - मालिक, स्वामी
दुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
ReplyDeleteरोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,
काबिले दाद है यारा तेरी गजल ,
काबिले दाद लिखे हैं सबके सब अशआर तूने .
बहुत बढ़िया गजल है भाई .
आदरणीय वीरेंद्र सर आप स्नेह टिप्पणियों के जरिये मिला, ह्रदय गद -2 हो गया, बहुत-2 शुक्रिया सर.
Deleteछोड़ जाता है साथ, जब कोई तन्हा,
ReplyDeleteलौट के आया कब चला, जो जाता है
टूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
मौत की बाहों में, वही सो जाता है
वाह ... बहुत ही बढिया।
आदरणीया सदा दीदी आपका यूँ स्नेह पाकर ख़ुशी से आँखें भर आई, ह्रदय के अन्तः स्थल से आभार.
Deleteपहला शेर ही इतना लाजवाब है कि क्या कहें...!
ReplyDeleteभ्राताश्री आपकी सराहना मुझे सदैव उर्जा मिलती है।
Deleteखूबसूरत अंदाज़....जज्बातोँ से भरी सजी पंक्तियाँ....अरुन जी
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया संजय भाई यूँ ही अपना स्नेह बनाये रखें अनुज पर.
Deleteबहुत अच्छे अरुण ।।
ReplyDeleteकातिल क्या तिल तिल मरे, तमतमाय तुल जाय ।
हँस हठात हत्या करे, रहे ऐंठ बल खाय ।
रहे ऐंठ बल खाय, नहीं अफ़सोस तनिक है ।
कहीं अगर पकड़ाय, डाक्टर लिखता सिक है ।
मिले जमानत ठीक, नहीं तो अन्दर हिल मिल ।
खा विरयानी मटन, मौज में पूरा कातिल ।।
वाह रविकर सर वाह मज़ा आ गया शुक्रिया.
Deleteदुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
ReplyDeleteरोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,
...क्या बात है...बेहतरीन गज़ल..
सराहना व आशीष हेतु अनेक-2 धन्यवाद कैलाश सर
Deleteसुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDelete:-)
बहुत-2 शुक्रिया रीना जी.
Deleteतहे दिल से शुक्रिया रविकर सर
ReplyDeleteटूट जाती है डोर, जिसके सांसों की,
ReplyDeleteमौत की बाहों में, वही सो जाता है
बहुत ही बढिया।
.......मेरे ब्लॉग पर स्वागत है
http://rajkumarchuhan.blogspot.in
बहुत-2 शुक्रिया राज जी
Deleteदुश्मनी दिल से, कर गया दिल का जाबित,
ReplyDeleteरोग दिल का अक्सर, दर्द बो जाता है,
bahut acchhi gazal likhi hai arun ji,,,, badhai!
शालिनी जी स्नेह व सराहना हेतु अनेक-2 धन्यवाद.
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