आइये आपका स्वागत है

Saturday, January 12, 2013

हद है

मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,  
लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,

हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,

स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,  
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,

कौन अपना है पराया है हमे क्या मालुम,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से,
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.

27 comments:

  1. प्रेम का रस जानलेवा इक शहद है,क्या बात है अतिसुन्दर।

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  2. वाह! क्या बात है!! बहुत ही उम्दा

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    1. धन्यवाद भ्राताश्री

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    2. बढ़िया प्रस्तुति प्रिय अरुण अनंत ||

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  3. बहुत ही बढ़ियाँ गजल है...
    :-)

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  4. ज़िन्दगी की झरबेरियों से रिसती चुभन हर शैर में मौजूद है .उम्दा गजल और बिम्ब .रूपकात्मक खूब सूरती लिए है हर शैर ,एक अलग रूपक लिए हैं .


    कौन अपना है पराया हमे(हमें ) क्या मालुम,(मालूम )
    प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

    ज़िन्दगी तू मिलकर भी न मिली ये तो हद है .

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  5. ज़िन्दगी की झरबेरियों से रिसती चुभन हर शैर में मौजूद है .उम्दा गजल और बिम्ब .रूपकात्मक खूब सूरती लिए है हर शैर ,एक अलग रूपक लिए हैं .


    कौन अपना है पराया हमे(हमें ) क्या मालुम,(मालूम )
    प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,

    ज़िन्दगी तू मिलकर भी न मिली ये तो हद है .

    प्रेम पगी कुनैन ज़िन्दगी ये तो हद है .

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    1. धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  7. प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है,हद है,,वाह वाह,,,बहुत उम्दा,,

    recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

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    1. आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर

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  8. वाकई भावों की भी हद है .... सुंदर प्रस्तुति

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  9. "हद" के भीतर बहुत ही सुन्दर रचना ....बहुत ही बढ़िया .....हार्दिक शुभकामनाएं ..

    पड़ोसी गरिया रहा, रुधिर सरिता बन गया सरहद है ....हद है

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  10. bahut sundar Rachna ...wahh
    http://ehsaasmere.blogspot.in/

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  11. वाह ... बहुत खूब

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  12. वाह! क्या बात है, सुंदर प्रस्तुति..... हद है बहुत खूब

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  13. .शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का . यही है जीवन का यथार्थ .यथार्थ जीवन .देखिये पडोसी का मिजाज़ कहिये ,हद है .हिना रब्बानी जो भी कहें हद है .

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ
    http://veerubhai1947.blogspot.in/
    बृहस्पतिवार, 17 जनवरी 2013
    शख्शियत :हिना रब्बानी खार( पाकिस्तानी मैना )

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    1. आभार आदरणीय वीरेंद्र सर

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  14. हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
    सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,...

    भई वाह ... क्या बात है ...

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    1. आभार आदरणीय दिगम्बर सर

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