मान है सम्मान गर दौलत नगद है .. हद है,
लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,
लोभ बिन इंसान कब करता मदद है .. हद है,
हाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,
सास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,
स्वाद चखते थे कभी हम स्नेह की बातों का,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,
आज जहरीली जुबां कड़वा शबद है .. हद है,
कौन अपना है पराया है हमे क्या मालुम,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,
भूल मुझको जो गई यादों के हर लम्हों से,
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.
जिंदगी उसके की ख्यालों की सुखद है .. हद है.
प्रेम का रस जानलेवा इक शहद है,क्या बात है अतिसुन्दर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार मित्रवर
Deleteवाह! क्या बात है!! बहुत ही उम्दा
ReplyDeleteधन्यवाद भ्राताश्री
Deleteबढ़िया प्रस्तुति प्रिय अरुण अनंत ||
Deleteबहुत ही बढ़ियाँ गजल है...
ReplyDelete:-)
आभार रीना जी
Deleteज़िन्दगी की झरबेरियों से रिसती चुभन हर शैर में मौजूद है .उम्दा गजल और बिम्ब .रूपकात्मक खूब सूरती लिए है हर शैर ,एक अलग रूपक लिए हैं .
ReplyDeleteकौन अपना है पराया हमे(हमें ) क्या मालुम,(मालूम )
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,
ज़िन्दगी तू मिलकर भी न मिली ये तो हद है .
ReplyDeleteज़िन्दगी की झरबेरियों से रिसती चुभन हर शैर में मौजूद है .उम्दा गजल और बिम्ब .रूपकात्मक खूब सूरती लिए है हर शैर ,एक अलग रूपक लिए हैं .
कौन अपना है पराया हमे(हमें ) क्या मालुम,(मालूम )
प्रेम का रस जान लेवा इक शहद है .. हद है,
ज़िन्दगी तू मिलकर भी न मिली ये तो हद है .
प्रेम पगी कुनैन ज़िन्दगी ये तो हद है .
धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आभार शास्त्री सर
Deleteप्रेम का रस जान लेवा इक शहद है,हद है,,वाह वाह,,,बहुत उम्दा,,
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर
Deleteवाकई भावों की भी हद है .... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया
Delete"हद" के भीतर बहुत ही सुन्दर रचना ....बहुत ही बढ़िया .....हार्दिक शुभकामनाएं ..
ReplyDeleteपड़ोसी गरिया रहा, रुधिर सरिता बन गया सरहद है ....हद है
धन्यवाद सूर्यकांत सर
Deletebahut sundar Rachna ...wahh
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/
आभार सुरेश सर
Deleteवाह ... बहुत खूब
ReplyDeleteवाह! क्या बात है, सुंदर प्रस्तुति..... हद है बहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद मधु जी
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ReplyDelete.शुक्रिया आपकी सद्य टिपण्णी का . यही है जीवन का यथार्थ .यथार्थ जीवन .देखिये पडोसी का मिजाज़ कहिये ,हद है .हिना रब्बानी जो भी कहें हद है .
ram ram bhai
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बृहस्पतिवार, 17 जनवरी 2013
शख्शियत :हिना रब्बानी खार( पाकिस्तानी मैना )
आभार आदरणीय वीरेंद्र सर
Deleteहाल मैं ससुराल का कैसे बताऊँ सखियों,
ReplyDeleteसास बैरी है बहुत तीखी ननद है .. हद है,...
भई वाह ... क्या बात है ...
आभार आदरणीय दिगम्बर सर
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