इंसान की फितरत खुदा हर हाल बदलो,
थोड़ी समय की गति जरा सी चाल बदलो,
खोटी नज़र के लोग अब बढ़ने लगे हैं,
आदत निगाहों की गलत इस साल बदलो,
जीना नहीं आसान इस दौरे जहाँ में,
अपमान ये घृणा बुरा हर ख्याल बदलो,
नारी नहीं सुरक्षित दरिंदों की नज़र से,
कमजोरियां ये नारिओं की ढाल बदलो,
लाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
सरकार है बेकार शासनकाल बदलो,
नारद उठाओ प्रभु को किस्सा सुनाओ,
कलियुग मेरे भगवान अब तत्काल बदलो.
बढ़िया उलाहना |
ReplyDeleteबधाई अरुण जी ||
आभार गुरुदेव श्री रविकर सर.
Deletebade hi andaj se aap ne apni bat kah diya*** behatreen
ReplyDeleteआभार आदरणीया बहुत - बहुत शुक्रिया
Deleteलाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
ReplyDeleteसरकार है बेकार शासनकाल बदलो,..
ये कलाम तो हम सब को मिल के करना है ... पता नहीं कब जागेंगे ...
आभार दिगम्बर सर
Deleteनारी नहीं सुरक्षित दरिंदों की नज़र से,
ReplyDeleteकमजोरियां ये नारिओं की ढाल बदलो,
लाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
सरकार है बेकार शासनकाल बदलो,
बढ़िया रिज़ोल्व है संकल्प है आपका .
नारी नहीं सुरक्षित दरिंदों की नज़र से,
ReplyDeleteकमजोरियां ये नारिओं की ढाल बदलो,
लाखों शिकारी भीड़ में हर ओर फैले,
सरकार है बेकार शासनकाल बदलो,
बढ़िया रिज़ोल्व है संकल्प है आपका .
ram ram bhai
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बुधवार, 9 जनवरी 2013
शर्म इन्हें फिर भी नहीं आती
http://veerubhai1947.blogspot.in/
धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर
Deletebahut sundar shabdo se Vinay karti Rachna ...Badhai
ReplyDeletehttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post.html
शुक्रिया मित्र
Deleteबिलकुल सही बात है तत्काल बदलो... बहुत हो चुका अंधेर अब देर ना करो...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सटीक प्रस्तुति... शुभकामनायें
धन्यवाद संध्या दी
Deleteवाह ... बहुत खूब और बिल्कुल सच्ची बात
ReplyDeleteआभार सदा दी
Deletewaah sahi samy anusaar rachna ...behtreen
ReplyDeleteआभार रंजना जी
Deleteदिन प्रतिदिन अपराध के बढ़ते ग्राफ को देखकर सर्वबिदित है हमारी सरकार तो नाकाम है,मन को उद्धेलित करती सुंदर रचना।
ReplyDeleteराजेंद्र जी धन्यवाद
Deleteआपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं
धन्यवाद आदरणीय दिलबाग सर
Deleteवाह बेहद शानदार गज़ल
ReplyDeleteशुक्रिया रोहित भाई
Deleteबाह बाह वाह बहुत बहूत बहुत ...अच्छा कमाल का सोच ..काश भगवान मुल्तानी मिट्टी के बिना बनाये तो किसी को घमंड ना हो रेगिस्तानी से बनाये तो चिँता ना हो बलुआही से बनाये तो गम ना हो कालीमिट्टी से बनाये तो किसी से कम ना हो ...आज भगवान को अपनी मेड इन इंसान प्रणाली तो हर हाल मे सुधारनी होगी..
ReplyDeleteधन्यवाद वरुण भाई
Deleteवाह....सटीक बहुत ही प्रभावी.. !!!
ReplyDeleteआभार संजय भाई
Deleteकुछ उर्दू और कुछ हिंदी में एक रचना। जो अपने अन्दर एक पैगाम लिए हुए है।
ReplyDeleteशुक्रिया आमिर भाई
Deleteखोटे - सिक्के ढल रहे सारे के सारे
ReplyDeleteसोचते क्या हो, अजी ! टकसाल बदलो
शानदार गज़ल..............
ह्रदय से आभार आदरणीय गुरुदेव
Deleteमन को उद्धेलित करती प्रभावी रचना,,,,बधाई
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
हार्दिक आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर
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