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Sunday, May 12, 2013

माँ - मेरी माँ (प्यारी माँ - न्यारी माँ)

माँ तुमसे जीवन मिला, माँ तुमसे यह रूप।
माँ तुम मेरी छाँव हो, माँ तुम मेरी धूप ।।

तू मेरा भगवान माँ, तू मेरा संसार ।
तेरे बिन मैं, मैं नहीं, बंजर हूँ बेकार ।।

पूजा माँ की कीजिये, कीजे न तिरस्कार ।
धरती पर मिलता नहीं, माँ सा
सच्चा प्यार ।।

छू मंतर पीड़ा करे, भर दे पल में घाव ।
माँ की ममता का कहीं, कोई मोल न भाव ।।

माँ तेरी महिमा अगम, कैसे करूँ बखान ।
संभव परिभाषा नहीं, संभव नहीं विधान ।।

13 comments:

  1. बहुत बढ़िया
    क्या बात है ?

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  2. भावपूर्ण रचना !!

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  3. नमस्कार
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (13-05-2013) के चर्चा मंच अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
    सूचनार्थ

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  4. बहुत ही सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .

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  5. माँ तेरी महिमा अगम, कैसे करूँ बखान ।
    संभव परिभाषा नहीं, संभव नहीं विधान ।।
    बिलकुल सही...माँ को नमन

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  6. तू मेरा भगवान माँ, तू मेरा संसार ।
    तेरे बिन मैं, मैं नहीं, बंजर हूँ बेकार ।sacchi bat ,,,,,,

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  7. बहुत ही सुन्दर रचना...
    कोमल और ममतामयी ...
    सुन्दर :-)

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  8. माँ तेरी महिमा अगम, कैसे करूँ बखान ।
    संभव परिभाषा नहीं, संभव नहीं विधान ।।

    अरुण जी बिलकुल सही कहा .... माँ को किसी एक परिभाषा में परिभाषित नहीं किया जा सकता ... माँ तो गुणों की खान है बखान करते करते थक जायेंगे लेकिन माँ के गुण और माँ की महिमा का अंत न होगा ... बधाई !

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  9. माँ तेरी महिमा अगम, कैसे करूँ बखान ।
    संभव परिभाषा नहीं, संभव नहीं विधान ।।
    माँ तो कण-कण में समाई ...
    तभी जो बन श्रद्धा लेखनी में उतर आई है .... अनुपम प्रस्‍तुति

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  10. pyare se bhaw ka samavesh ... behtareen...
    माँ तेरी महिमा अगम, कैसे करूँ बखान ।
    संभव परिभाषा नहीं, संभव नहीं विधान ।।

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    Replies
    1. काशः,मां को हर पल याद रख पाएं.

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  11. मार्मिक और भावपूर्ण रचना
    माँ को समर्पित
    बधाई

    आग्रह है पढ़े "अम्मा"
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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