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Friday, July 19, 2013

ग़ज़ल : अजब ये रोग है दिल का

पेश-ए-खिदमत है छोटी बहर की ग़ज़ल.

बहर : हज़ज मुरब्बा सालिम
1222, 1222

.............................
परेशानी बढ़ाता है,
सदा पागल बनाता है,

अजब ये रोग है दिल का,
हँसाता है रुलाता है,

दुआओं से दवाओं से,
नहीं आराम आता है,

कभी छलनी जिगर कर दे,
कभी मलहम लगाता है,

हजारों मुश्किलें देकर,
दिलों को आजमाता है,

गुजरती रात है तन्हा,
सवेरे तक जगाता है,

नसीबा ही जुदा करता,
नसीबा ही मिलाता है,

कभी ख्वाबों के सौ टुकड़े,
कभी जन्नत दिखाता है,

उमर लम्बी यही कर दे,
यही जीवन मिटाता है...
.............................

अरुन शर्मा 'अनन्त'

21 comments:

  1. बेहतरीन ग़ज़ल....
    बधाई अरुण.

    अनु

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(20-7-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  3. बहुत सुंदर, क्या कहने


    मेरी कोशिश होती है कि टीवी की दुनिया की असल तस्वीर आपके सामने रहे। मेरे ब्लाग TV स्टेशन पर जरूर पढिए।
    MEDIA : अब तो हद हो गई !
    http://tvstationlive.blogspot.in/2013/07/media.html#comment-form

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  4. छोटी बहार में बहुत सुंदर गजल ,,,क्या बात है,

    RECENT POST : अभी भी आशा है,

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  5. जीवन के मर्म को उकेरती बेहतरीन गजल
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई

    आग्रह है
    केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------

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  6. बेहतरीन बहुत खुबसूरत!!

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  7. वाह वाह वाह वाह वाह...
    लाजवाब...
    बेहतरीन गजल....:-)

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  8. क्या बात है गजल के माहिर
    अरुण शर्मा अनंत
    खुबसूरत गजल

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  9. बहुत बेहतरीन ग़ज़ल

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  10. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (22.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. आपके सूचनार्थ .

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  11. छोटी बहर में लाजवाब गज़ल ... मुश्किल काम को अंदाज़ दिया है ...
    हर शेर खूब्सीतर ...

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  12. बहुत सुन्दर गजल बेहतरीन पंक्तियां

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  13. श्री अनंत जी,
    बहुत ही खूबसूरत लेखन |
    बेहतरीन गजल |

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  14. क्या बात है अरुण .. बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है ..
    कभी ख्वाबों के सौ टुकड़े,
    कभी जन्नत दिखाता है,

    उमर लम्बी यही कर दे,
    यही जीवन मिटाता है...क्या बात कही है .. वाह!

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  15. अजब है ये दिल भी
    बिन ये रोग लगाये माने ना ....

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  16. नसीबा ही जुदा करता,
    नसीबा ही मिलाता है....bilkul sahi..umda ghazal

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