दूरियों का ही समय निश्चित हुआ,
कब भला शक से दिलों का हित हुआ,
भोज छप्पन हैं किसी के वास्ते,
और कोई स्वाद से वंचित हुआ,
क्या भरोसा देश के कानून पर,
है बुरा जो वो भला साबित हुआ,
बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,
सभ्यता की देख उड़ती धज्जियाँ,
मन ह्रदय मेरा बहुत कुंठित हुआ..
कब भला शक से दिलों का हित हुआ,
भोज छप्पन हैं किसी के वास्ते,
और कोई स्वाद से वंचित हुआ,
क्या भरोसा देश के कानून पर,
है बुरा जो वो भला साबित हुआ,
बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,
सभ्यता की देख उड़ती धज्जियाँ,
मन ह्रदय मेरा बहुत कुंठित हुआ..
बहुत बढ़िया..... बहुत ही चिंतित भाव के साथ अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteहर पिता को चिंता होना स्वाभाविक है आज के स्थिति को देखते हुए ..
behtreen rachna ..samyik sarthak .. beti ka pita hone ka dard .. aj ki pristhiti me swabhawik roop me ubhra hai ....
ReplyDeleteबड़ी ही दिलचस्प रचना रची है ,मैंने इसे आज कई बार पढ़ा। बहुत पसंद आई।
ReplyDeleteसुंदर सामायिक गजल !!पिता के नाते चिंता करना स्वाभाविक है,,,
ReplyDeleteRECENT POST : बिखरे स्वर.
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १७/९/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है।
ReplyDeleteस्वाभाविक चिंता सुंदर !
ReplyDeleteहर पिता का हृदय चिंतित होता है, यह सब देखकर।
ReplyDeleteबेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
ReplyDeleteमैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,...
बहुत ही लाजवाब शेर .. नायाब शेर है ये ओर सब शेरों पे भारी है ...
पूरी गज़ल कामयाब है अपने मकसद में ...
आज की स्थिति को देखकर हर पिता का चिंतित होना स्वभाविक है..सामायिक रचना..
ReplyDeleteबढ़िया रचना
ReplyDeletedownloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
yek Pita hi in bhavnayon ko samajh sakta hai....sarthak rachna
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति .
ReplyDeleteपापा मेरी भी शादी करवा दो ना
बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
ReplyDeleteमैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,
बहुत बढ़िया अनंत भाई एक तुकबंदी इधर भी
नोंच खाई जिसने सारी बोटियाँ
बाल अपराधी वही साबित हुआ ,
वाकई..पिता बनने के बाद आज के जमाने को देख अनचाहा भय समा जाता है मन में....मगर ये दौर बदलेगा...बहरहाल अच्छी लगी रचना
ReplyDeleteबेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
ReplyDeleteमैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,...
...........लाजवाब शेर