आइये आपका स्वागत है

Friday, September 20, 2013

माँ की आँचल के तले, बच्चों का संसार

 शिशु बैठा है गोद में, मूंदे दोनों नैन ।
मात लुटाती प्रेम ज्यों, बरसे सावन रैन ।।

जननी चूमे प्रेम से, शिशु को बारम्बार ।
ज्यों शंकर के शीश से, बहे गंग की धार ।।

माँ की आँचल के तले, बच्चों का संसार।
धरती पर संभव नहीं, माँ सा सच्चा प्यार ।।

माँ तेरे से स्पर्श का, सुखद सुखद एहसास ।
तेरी कोमल गोद माँ, कहीं स्वर्ग से खास ।।

नैना सागर भर गए, करके तुझको याद ।
माता तेरे प्रेम का, संभव नहिं अनुवाद ।।

फिर से आकर चूम ले, सूना मेरा माथ ।
वादा कर माँ छोड़कर, जायेगी ना साथ ।।

14 comments:

  1. सचमुच-
    धरती पर संभव कहाँ-
    माँ सा सच्चा प्यार-
    बहुत अच्छे
    बधाई प्रियवर

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
    बधाई..
    :-)

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक कल शनिवार (21-09-2013) को "एक भीड़ एक पोस्टर और एक देश" (चर्चा मंचःअंक-1375) पर भी होगा!
    हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !

    ReplyDelete
  5. सुंदर रचना, शुभकामनाये

    ReplyDelete
  6. dil se badhai ... bhai :)
    waise tum sach me behtareen rachnaakar ho..:)

    ReplyDelete
  7. bhai bahut bahut badhai... dil se:)
    tum ek behtareen rachnaaakar ho :)

    ReplyDelete
  8. bahut hi sundar rachna @arun ji .. maa ka pyaar anmol hai .. use bhulana matlab khod ko bhulana ... shubhkamnaye :)

    ReplyDelete
  9. सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  10. बहुत बढ़िया दोहावली

    ReplyDelete
  11. आपकी यह प्रस्तुति 26-09-2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  12. आपकी कविता ने मन को मोह लिया। बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, शब्दों का सटीक उपयोग। सरल कविताएं ही ज्यादा आकर्षित करती हैं।

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर