नमन कोटिशः आपको, हे नवदुर्गे मात ।
श्री चरणों में हो सुबह, श्री चरणों में रात ।।
नमन हाथ माँ जोड़कर, विनती बारम्बार ।
हे जग जननी कीजिये, सबका बेड़ापार ।।
हे वीणा वरदायिनी, हे स्वर के सरदार ।
सुन लो हे ममतामयी, करुणा भरी पुकार ।।
केवल इतनी कामना, कर रखता उपवास ।
मन में मेरे आपका, इक दिन होगा वास ।।
सुबह शाम वंदन नमन, मन से माते जाप ।
पूर्ण करो हर कामना, इस बालक की आप ।।
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteनवरात्रि की शुभकामनायें प्रियवर-
१९-२० को दिल्ली में हूँ-
स्वर की सहकार-
करुणामयी
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (10-10-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 142"शक्ति हो तुम
ReplyDeleteपर लिंक की गयी है.
बहुतही खुबसूरत करुणा पूर्ण प्रार्थना ! बधाई अरुण जी !
ReplyDeleteलेटेस्ट पोस्ट नव दुर्गा
नई पोस्ट साधू या शैतान
मनमोहक सुंदर अभिव्यक्ति...!
ReplyDeleteनवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!
RECENT POST : अपनी राम कहानी में.
नवरात्रि की शुभकामनायें
ReplyDeleteसुंदर वंदना |
ReplyDeleteमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
माँ दुर्गे की सुन्दर स्तुति
ReplyDeleteजय माता रानी की!
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : मंदारं शिखरं दृष्ट्वा
नवरात्रि की शुभकामनाएँ .
नमन कोटिशः आपको, हे नवदुर्गे मात ।
ReplyDeleteश्री चरणों में हो सुबह, श्री चरणों में रात ।।
प्रांजल भाव अनुभाव की प्रांजल रचना। कोमल कान्त भाषा विषयानुरूप
जय माँ भवानी.....सुन्दर पंक्तियाँ बधाई
ReplyDeleteमाँ दुर्गे कि बेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDelete:-)