...................... दोहे ......................
मन से सच्चा प्रेम दें, समझें एक समान ।
बालक हो या बालिका, दोनों हैं भगवान ।।
उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करते हैं आसान ।।
नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होते नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।
ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
भाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।
सच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।
मन से सच्चा प्रेम दें, समझें एक समान ।
बालक हो या बालिका, दोनों हैं भगवान ।।
उत्तम शिक्षा सभ्यता, भले बुरे का ज्ञान ।
जीवन की कठिनाइयाँ, करते हैं आसान ।।
नित सिखलायें नैन को, मर्यादा सम्मान ।
हितकारी होते नहीं, क्रोध लोभ अभिमान ।।
ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
भाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।
सच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।
बहुत ख़ूब! वाह!
ReplyDeleteसुन्दर दोहे।
ReplyDeleteईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
ReplyDeleteभाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।...
पूर्णतः सहमत अआपकी बात से ... सभी दोहे सार्थक, जीवक के अनुभव की बात करते हुए ... मन को छूने वाले हैं ...
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार१९/११/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।
ReplyDeleteसुन्दर दोहे ..
ReplyDeleteसुन्दर नीतिपरक दोहे...........
ReplyDeleteसुन्दर नीतिपरक दोहे, बधाई......
ReplyDeleteबढ़िया...
ReplyDeleteसच्चाई ईमान औ, सदगुण शिष्टाचार ।
ReplyDeleteसज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।
बहुत सुन्दर है अनंत भाई अरुण -
पानी से पानी मिले ,मिले कीच से कीच ,
अच्छों को अच्छे मिलें ,मिलें नीच को नीच।
बहुत ही बेहतरीन और सार्थक भाव लिए दोहे...
ReplyDelete:-)
ईश्वर से कर कामना, उपजें नेक विचार ।
ReplyDeleteभाषा मीठी प्रेम की, खुशियों का आधार ।...
भावमय करते शब्दों का संगम ...