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Sunday, November 10, 2013

प्रिय तुम तो प्राण समान हो

अंतस मन में विद्यमान हो,
तुम भविष्य हो वर्तमान हो,
मधुरिम प्रातः संध्या बेला,
प्रिय तुम तो प्राण समान हो....

अधर खिली मुस्कान तुम्हीं हो,
खुशियों का खलिहान तुम्हीं हो,
तुम ही ऋतु हो, तुम्हीं पर्व हो,
सरस सहज आसान तुम्हीं हो.

तुम्हीं समस्या का निदान हो,
प्रिय तुम तो प्राण समान हो....

पीड़ाहारी प्रेम बाम हो,
तुम्हीं चैन हो तुम आराम हो,
शब्दकोष तुम तुम्हीं व्याकरण,
तुम संज्ञा हो सर्वनाम हो.

तुम पूजा हो तुम्हीं ध्यान हो,
प्रिय तुम तो प्राण समान हो....

10 comments:

  1. बहुत खूब ...
    बहुत ही सुन्दर रचना...
    :-)

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  2. खुबसूरत रचना के लिए हार्दिक बधाई अरुण

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  3. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार प्रिय अरुण-

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  4. नमस्कार !
    आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [11.11.2013]
    चर्चामंच 1426 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
    सादर
    सरिता भाटिया

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  5. अधर खिली मुस्कान तुम्हीं हो ......बेहद सुन्दर ...अरुण जी..

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  6. प्रिय तुम प्राण समान हो ...........अहाहा इतनी सुंदर अभिव्यक्ति के लिए मित्र अरून शर्मा जी आपको अनंत अनंत बधाई ..। ...प्रियतमाओं को निहाल कर देने वाली .......एकदम ..रोमांटिकियाइए जी

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  7. बहुत अच्छा भावपूर्ण रचना !
    नई पोस्ट काम अधुरा है

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  8. Nice post computer and internet ki nayi jankaari tech and trick ke liye hamare blog ko bhi dhekhe www.hinditechtrick.blogspot.com

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  9. behud umda or pyar se bhara pyara udgar diye aapne....

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  10. तुम ही तुम हो ... प्रेम को समर्पित भाव ... प्रेम भरी अभिव्यक्ति अरुण जी ...

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