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Thursday, January 23, 2014

कुछ दोहे

ओ बी ओ छंदोत्सव में प्रस्तुत पांच दोहे.
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लिखवा लाई भाग में, गिट्टी गारा रेह ।
झुलस गई है धूप में, तपकर कोमल देह ।।

प्यास बुझाती बैठकर, नैनों को कर बंद ।
कुछ पानी की बूंद का, रोड़ी लें आनंद ।।

रोजी रोटी के लिए, भारी भरकम काम ।
भोर भरोसे राम के, सांझ भरोसे राम ।।

भय कुछ खोने का नहीं, ना पाने की चाह ।
कार्य कार्य बस कार्य में, जीवन हुआ तबाह ।।

जितना किस्मत से मिला, उतने में संतोष ।
ना खुशियों की लालसा, ना कष्टों से रोष ।।

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अरुन शर्मा अनन्त
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4 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर दोहे लिखे हैं भाई जी , चित्र को शब्द दे दिए , चित्र जीवंत हो उठा हो जैसे ..

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  2. जीवन का दर्शन, वास्तविकता के संग।

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