इक तरफ सुन्दर, जग-जमाना,
इक तरफ लुटता, मैं खज़ाना,
इक तरफ प्याला, है मदहोश,
इक तरफ लब, मेरे खामोश,
इक तरफ बिजली, हैं बादल,
इक तरफ आशिक, मैं पागल,
इक तरफ सागर, है गहरा,
इक तरफ खाली, मैं ठहरा,
इक तरफ खुशियों, के मौसम,
इक तरफ गम में, मैं हरदम,
इक तरफ मस्ती, में सावन,
इक तरफ सूना, मैं आँगन,
इक तरफ क़दमों, में मंजिल,
इक तरफ टूटा हूँ, मैं दिल,
इक तरफ हंसती, है बस्ती,
इक तरफ प्यासी, मैं धरती,
इक तरफ जलती, है आग,
इक तरफ साबुन, मैं झाग,
इक तरफ महफ़िल सुर ताल,
इक तरफ गुजरा, मैं साल,
इक तरफ दुश्मन दिल दीवाना,
इक तरफ जंगल, मैं वीराना...............
इक तरफ लुटता, मैं खज़ाना,
इक तरफ प्याला, है मदहोश,
इक तरफ लब, मेरे खामोश,
इक तरफ बिजली, हैं बादल,
इक तरफ आशिक, मैं पागल,
इक तरफ सागर, है गहरा,
इक तरफ खाली, मैं ठहरा,
इक तरफ खुशियों, के मौसम,
इक तरफ गम में, मैं हरदम,
इक तरफ मस्ती, में सावन,
इक तरफ सूना, मैं आँगन,
इक तरफ क़दमों, में मंजिल,
इक तरफ टूटा हूँ, मैं दिल,
इक तरफ हंसती, है बस्ती,
इक तरफ प्यासी, मैं धरती,
इक तरफ जलती, है आग,
इक तरफ साबुन, मैं झाग,
इक तरफ महफ़िल सुर ताल,
इक तरफ गुजरा, मैं साल,
इक तरफ दुश्मन दिल दीवाना,
इक तरफ जंगल, मैं वीराना...............
इक तरफ महफ़िल सुर ताल, इक तरफ जंगल, मैं वीराना...............
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुती, सुंदर रचना,,,,,बधाई अरुण जी
RECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
ReplyDeleteआदरणीय धर्मेन्द्र जी एवं कैलाश जी बहुत बहुत शुक्रिया.
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २४/७/१२ मंगल वार को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं
ReplyDeleteबहुत बहुत बेहतरीन
ReplyDeleteभाव अभिव्यक्ति...
:-)
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteएक तरफ कुछ कुछ
दूसरी तरफ भी कुछ बहुत कुछ !!
एक तरफ दुनिया भली, भलटी रविकर ओर।
ReplyDeleteभलमनसाहत गैर हित, मुझको मार-मरोर ।।
ला-जवाब" जबर्दस्त!!अरुण जी
ReplyDeleteनई पोस्ट ..बेमिसाल इरफ़ान -पान सिंह तोमर पर आपका स्वगत है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अरुण जी
ReplyDeleteशुभकामनाएं
अनु
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया.
ReplyDeleteवाह ... भाव पूर्ण ... अच्छी लगी ये रचना ....
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