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Sunday, August 12, 2012

कुल्हाड़ी से ख्वाबों पे वार हो

धोखा नैनो को तेरे स्वीकार हो,
तुझको भी तेरे जैसे से प्यार हो,
 

तू भी तडपे छुप-२ के रोये कभी,
तेरे गालों पर अश्कों की धार हो,
 

गायब तो तेरी रातों की नींद औ,
गम-ए-कुल्हाड़ी से ख्वाबों पे वार हो,
 

बिगड़ी हालत चिंता हो मजबूरियां,
हर लम्हा अब तेरा दिल बीमार हो,
 

गीला-गीला दिल का कोना हर घडी,
भीगी - भीगी यादों की दिवार हो.......... 

8 comments:

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    1. मित्र काजल कुमार जी हौंसल आफजाई के लिए शुक्रिया

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  2. चोट खाए दिल की तड़प
    भावप्रद रचना...

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    1. रीना जी आपको रचना पसंद आई आपने सराहा , तहे दिल से शुक्रिया

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  3. Replies
    1. विनय जी आपके हृदय को स्पर्श किया एक लेखक को और क्या चाहिए, शुक्रिया आपके ब्लॉग पर भ्रमर करके आनंद मिला मित्र.

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  4. बहुत खूब,,,,अरुण जी,,
    बेहतरीन रचना पसंद आई ,,,,बधाई,,,

    RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

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    1. आदरणीय धीरन्द्र सर रचना आपको पसंद आई और आपने सराहा बहुत-२ शुर्क्रिया

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