बेवफा है, वफ़ा का, ज्ञान देती है,
जख्म देकर दर्द पे, ध्यान देती है,
इश्क में मैं जला हूँ, हर घडी यूँ ही,
रोज़ चादर ग़मों की, तान देती है,
मैं जिया हूँ, मरा हूँ, साथ यादों के,
मौत का वो मुझे, सामान देती है,
खेल है ये मुहब्बत, का बुरा इतना,
जिंदगी को जिंदगी ही, जान देती है,
सोंचता हूँ कभी, जो मैं भुलाऊं तो
और भी याद, उस दौरान देती है........
जख्म देकर दर्द पे, ध्यान देती है,
इश्क में मैं जला हूँ, हर घडी यूँ ही,
रोज़ चादर ग़मों की, तान देती है,
मैं जिया हूँ, मरा हूँ, साथ यादों के,
मौत का वो मुझे, सामान देती है,
खेल है ये मुहब्बत, का बुरा इतना,
जिंदगी को जिंदगी ही, जान देती है,
सोंचता हूँ कभी, जो मैं भुलाऊं तो
और भी याद, उस दौरान देती है........
इश्क में मैं जला हूँ, हर घडी यूँ ही,
ReplyDeleteरोज़ चादर ग़मों की, तान देती है,..
इसको इश्क का साइड इफेक्ट भी बोलते हैं ... उसके साथ ही आता है ये गम ... बहुत खूब लिखा है ...
शुक्रिया सर शुक्रिया
Deleteबहुत खूब पंक्तियाँ....
ReplyDeleteहौसला आफजाई के लिए धन्यवाद महाशय
बहुत-२ शुक्रिया सदा जी
ReplyDeleteशुक्रिया मित्र
ReplyDeleteखूब सूरत रचना
ReplyDeleteबेवफा है,
वफ़ा का,
ज्ञान देती है,
जख्म देकर दर्द पे,
ध्यान देती है,
इश्क में मैं जला हूँ,
हर घडी यूँ ही,
रोज़ चादर ग़मों की,
तान देती है,
सादर
यशोदा दीदी बहुत-२ शुक्रिया, गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteवाह ,,, बहुत बढ़िया नज्म,,,,अरुण जी,,,
ReplyDeleteRECENT P0ST ,,,,, फिर मिलने का
शुक्रिया धीरेन्द्र सर
Deleteदीदी बहुत-२ शुक्रिया मेरी रचना को स्थान दिया
ReplyDeletebahut khoobsoorat ..
ReplyDeleteशुक्रिया आदरेया जी
Deleteबेवफा है, वफ़ा का, ज्ञान देती है,
ReplyDeleteजख्म देकर दर्द पे, ध्यान देती है,
waah bahut sundar bhav ...
shubhkamnayen ...!!
आदरेया अनुपमा जी आपकी सराहना मिली तबियत खुश हो गयी . शुक्रिया
Deletezindagi ko zindagi hi jaan deti hai!
ReplyDeletenice poem:)
बहुत-२ शुक्रिया गायत्री जी
Deleteबहुत खूब ....
ReplyDeleteआदरेया संगीता जी आपको तहे दिल से शुक्रिया
Deleteकोमल भावों की अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteसोंचता हूँ कभी, जो मैं भुलाऊं तो
और भी याद, उस दौरान देती है...
:-)
रीना जी आपको रचना पसंद आई आपने सराहा आपकी सराहना सर आँखों पर, शुक्रिया
Deleteवाह...खूब
ReplyDeleteशुक्रिया रश्मि जी
Deleteसोंचता हूँ कभी, जो मैं भुलाऊं तो
ReplyDeleteऔर भी याद, उस दौरान देती है........
Bhavpurn...bahut sundar
शुक्रिया प्रकाश भाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteशुक्रिया उपासना जी
Deleteसुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteशुक्रिया सर
Deleteसुंदर प्रस्तुति |
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट:-
मेरा काव्य-पिटारा:पढ़ना था मुझे
शुक्रिया प्रदीप जी
Deleteबेवफा है, वफ़ा का, ज्ञान देती है,
ReplyDeleteजख्म देकर दर्द पे, ध्यान देती है,
bahut khuubsuurt rachna beta arun ,likhte rho aaashiirvaad
शुक्रिया माँ आपका आशीर्वाद मिला मैं धन्य हो गया, हूँ ही अपना आशीर्वाद बनाये रखिएगा
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