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Thursday, September 20, 2012

यादों का मैं गोदाम बेंच दूँ

चाहत के पल,.... बेदाम बेंच दूँ,
फुरसत के दिन, आराम बेंच दूँ,
 
मुस्किल है,... कांटेदार जिंदगी,
फूलों को गम का,...बाम बेंच दूँ,
 
धोखा... बेचैनी.... और... बेबसी,
दिल को दिल का मैं काम बेंच दूँ,
 
गायब हो,, ये,,, मुस्कान होंठ से,
नैनों को इतना,,,,,, जाम बेंच दूँ,
 
रहता है तन्हा,,, रोज़- रोज़ दिल,
यादों का मैं,,,,,,,, गोदाम बेंच दूँ,

17 comments:

  1. बहुत बढ़िया |
    बधाई स्वीकारें ||

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    1. सर आपकी सराहना सर आँखों पर शुक्रिया

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  2. अभी कुछ दिन और किराये से कमाई कर लो

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    1. किराया बहुत महंगा है मित्र अब और नहीं दिया जाता है

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  3. शुक्रिया तहे दिल से शुक्रिया

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  4. वाह ...क्या कहना ....

    कुछ दिल के ज़ज्बात भी बेचने होंगे ...

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    1. अनु जी तहे दिल से शुक्रिया....

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  5. achchhaa likha hai ...!!
    shubhkamnayen ...

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    1. शुक्रिया अनुपमा जी स्नेह का आभारी रहूँगा

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  6. बहुत खूब...सुन्दर अभिव्यक्ति

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    1. सराहना के लिए शुक्रिया मित्र

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  7. blogjagat me nya hoon arun ji
    margdarshan kare

    Raj
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in/

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    1. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है मित्र.

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