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Wednesday, September 5, 2012

मैं आँखें भर-२ रोता हूँ

सोयी-२ रातों में, मैं जागा-जागा होता हूँ,
पल-२ तेरी यादों में, मैं आँखें भर-२ रोता हूँ, 

टूटा-टूटा रहता हूँ, खोई-खोई सी उलझन में,
दिल के कोने-२ में, मैं गम ही गम बस बोता हूँ,
 
चाहत की गहराई, ना मैं समझा, ना मैं जाना,
छोड़ा फूलों नें पत्थर कर, काटों में मैं जोता हूँ,
 
जीता हूँ मैं मरता हूँ, तेरे ख्यालों में अक्सर,
दर-२ मैं इस दुनिया में, जख्मों को लेकर ढोता हूँ,
 
मुस्किल है मुस्किल है, इन हालातों में मेरा जीना,
साँसों की डोरी तोड़ी है, आखिर अब मैं सोता हूँ.

5 comments:

  1. आदरणीय रविकर कर आपको नमन, सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया

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  2. बढ़िया प्रस्तुति... शुभकामनायें

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    1. आदरेया सराहना और शुभ-कामना का लिए धन्यवाद

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  3. सुंदर रचना और सुंदर शीर्षक :-)

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